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मुस्कुराइए कि फेफड़ों का कुछ नहीं बिगाड़ सका कोरोना

कोरोना संक्रमण से उबर चुके मरीजों में अगर सांस फूलने और घबराहट के लक्षण हैं तो यकीन दिलाइए कि वो आसानी से ठीक हो जाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Mar 2021 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 07 Mar 2021 04:00 AM (IST)
मुस्कुराइए कि फेफड़ों का कुछ नहीं बिगाड़ सका कोरोना
मुस्कुराइए कि फेफड़ों का कुछ नहीं बिगाड़ सका कोरोना

मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण से उबर चुके मरीजों में अगर सांस फूलने और घबराहट के लक्षण हैं तो यकीन दिलाइए कि वो आसानी से ठीक हो जाएंगे। सटीक इलाज और एहतियात बरतने से माहभर में फेफड़ों की ताकत पूरी तरह वापस आ रही है। बता दें कि पोस्ट कोविड फाइब्रोसिस में फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गई थी, लेकिन वायरस ऐसा नहीं कर सका।

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40 फीसद भर्ती मरीजों में थी सूजन

मेरठ में मई से नवंबर 2020 तक बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण की चपेट में आए। मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक भर्ती किए गए करीब 40 फीसद मरीजों के फेफड़ों में सूजन मिली। फेफड़े की झिल्लियों में सूजन से सांस लेने में दिक्कत हुई। शरीर में आक्सीजन सेचुरेशन का स्तर 98 के बजाय 80 से नीचे चला गया। ऐसे मरीजों को रेमिडीसीविर और स्टेरायड समेत कई दवाएं दी गई, और वो ठीक भी हुए, लेकिन बाद में पल्मोनरी फाइब्रोसिस हो गई। चेस्ट सीटी में निमोनाइटिस की तुलना में अलग बदलाव देखने को मिले।

दिल की धड़कन भी तेज

कोरोना से ठीक हुए कई मरीजों के शरीर में आक्सीजन की कमी बनी रही। छह मिनट पैदल चलने पर आक्सीजन में चार अंकों की गिरावट देखी गई। सांस फूलने, घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ने की परेशानी बनी रही। जिन मरीजों के फेफड़ों में रुई के धब्बे का निशान बन गया था, उन्हें फाइब्रोसिस ज्यादा हुई। ये हैं लंग्स फाइब्रोसिस

चोट लगने के बाद ठीक होने पर खाल पर सिकुड़न या सख्त होने का निशान रह जाता है। उसी प्रकार फेफड़े भी मुलायम स्पंज के बने होते हैं। इसमें लाखों की संख्या में सूक्ष्म अल्वोलाई होते हैं, जहां आक्सीजन और कार्बन डाई आक्साइड का आदान प्रदान होता है। कोरोना ठीक होने के बाद भी यहां सूजन बनी रह सकती है। अल्वोलाई में भरा गाढ़ा द्रव्य सूखकर फेफड़ों में चिपक जाने से उसकी लोच या इलास्टिीसिटी कम हो जाती है। ऐसे में मरीज पूरी सांस नहीं ले पाता है। इनका कहना है

पोस्ट कोविड स्टेज में सांस फूलने, घबराहट, चलने पर थकान और अवसाद जैसे लक्षण खूब उभरे। कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों को लेकर कई प्रकार की आशंकाएं थीं। फेफड़ों पर सर्वाधिक खतरा था, लेकिन फाइब्रोसिस के ज्यादातर मरीज ठीक हो गए।

-डा. अमित अग्रवाल, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ

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कोरोना संक्रमण की वजह से कई मरीजों के फेफड़ों में रुई के धब्बे जैसे निशान मिले, जो घातक लक्षण माना गया। आक्सीजन व हाई फ्लो नेजल कैनुला पर भर्ती मरीजों में पोस्ट कोविड फाइब्रोसिस और फेफड़ों को स्थायी नुकसान भी आशंका जताई गई, लेकिन मरीज माहभर में तेजी से उबर गए। सभी पूरी तरह सामान्य हैं।

-डा. वीएन त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ


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