गांव कस्बों में भी पति-पत्नी के रिश्ते तोड़ रहा स्मार्ट फोन
मियां-बीवी के निजी पलों को सोशल मीडिया ने छीन लिया है। अब वे अपनों के बजाए दूसरों से बतियाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
मेरठ (जहीर हसन)। स्मार्टफोन दांपत्य जीवन में भी बाधा बनने लगा है। कस्बेनुमा शहर बागपत में पिछले दिनों परिवार में स्मार्टफोन की दखलअंदाजी की दर्ज शिकायतें भविष्य का खतरनाक खाका खींच रही हैं। छह माह में आशा ज्योति केंद्र की महिला हेल्पलाइन पर इस तरह की तीन दर्जन से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं। जिनमें कहा गया है कि उन्हें समय देने के बजाय पति इंटरनेट और स्मार्टफोन पर व्यस्त रहते हैं।
वह रहते हैं ऑनलाइन मोड पर
बड़ौत निवासी माधुरी के पति पुलिस में हैं और पूर्वांचल में तैनात हैं। उनकी पीड़ा है कि हर वक्त ऑनलाइन रहते हैं। देर-सबेर घर आते हैं तो आते ही वीडियोकॉलिंग या फिर सोशल साइट पर लग जाएंगे। विरोध किया तो मायके छोड़ गए। मेरी कॉल रिसीव करने के लिए टाइम नहीं है, जबकि दूसरों की छोटी-छोटी बात याद रहती है।
काश! इंटरनेट नहीं होता
बागपत निवासी सीमा और जावेद की फेसबुक पर दोस्ती हुई। दोनों ने भागकर शादी की और सोनीपत हरियाणा में रहने लगे। एक साल के अंदर ही प्यार का बुखार उतर गया। सीमा का दर्द है कि पति किसी और से चैटिंग करता है। उसने तलाक दिलाने की गुहार लगाई। उसका कहना है कि इंटरनेट न होता तो ये दिन नहीं देखने पड़ते।
सोशल साइट पर आधी रात
छपरौली क्षेत्र के एक गांव की निशा की शिकायत है कि पति सरकारी नौकरी में हैं। पहले खूब बतियाते थे। अब स्मार्टफोन और इंटरनेट में लगे रहते हैं। दिन में कॉल रिसीव नहीं करते। दूसरों के साथ सोशल साइट पर बतियाने या यू-ट्यूब पर मूवी देखने में ही रात गुजार देते हैं। हेल्पलाइन में शिकायत कर कहा कि कुछ कीजिए ताकि दांपत्य जीवन पटरी पर लौटे।
..क्योंकि शौहर नहीं चलाते स्मार्टफोन
यह मामला कुछ हटकर है। थाना ¨सघावली अहीर के एक गांव निवासी युवती ने हेल्पलाइन में शिकायत की है कि शौहर स्मार्ट फोन चलाना नहीं जानते। जो इंसान सोशल मीडिया से दूर है, उसके साथ जिंदगी क्यों बर्बाद करें।
प्रभारी महिला हेल्पलाइन विमल कुमार ढाका का कहना है कि कई महिलाओं ने पतियों के खिलाफ ऐसी शिकायतें की हैं, जिनका कारण स्मार्टफोन तथा इंटरनेट हैं।
क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट
डा. सीमा शर्मा का कहना है कि परिवार का आपसी संवाद में तकनीक बाधा बनने लगी है। ज्यादातर सदस्य मोबाइल व इंटरनेट पर व्यस्त रहते हैं। सभी सदस्यों का नेट के जरिए बाहर की दुनिया के लोगों से मूक संवाद हो रहा है। अनुशासनहीनता तकनीक विध्वंस का कारण होती है। परिवार के सदस्य नेट, मोबाइल या लैपटाप जैसी तकनीकों के प्रयोग का समय सीमित करें और आपसी संवाद से वार्ता का सुख उठाएं।