मंदी का असर : दवा बाजार की सेहत बिगाड़ रहे हैं ये पांच कारण Meerut News
दवा बाजार पर मंदी छाई हुई है। अस्पतालों में बैठे कंपनियों के एजेंट डायरेक्ट दवा की आपूर्ति के साथ ही जीएसटी व ऑनलाइन खरीद भी इसका बड़ा कारण है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 01:42 PM (IST)Updated: Wed, 28 Aug 2019 01:42 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। कहते हैं कि मरीज रोटी खाए या न खाए...दवाई जरूर खाएगा। फिर मेडिकल इंडस्ट्री भी मंदी की चपेट में कैसे आ गई? मांग-आपूर्ति सिद्धांत से अलग दवा बाजार पर छाई मंदी के कारण और भी हैं। कंपनियां अस्पतालों को सीधे दवा सप्लाई दे रही हैं, वहीं जीएसटी, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र एवं आनलाइन खरीद-फरोख्त ने भी दवा बाजार की सेहत गिरा दी। जिले में दर्जनों मेडिकल स्टोर बंद हो चुके हैं। दवा की मंडी खैरनगर में सौ से ज्यादा दुकानें खाली पड़ी हैं, जिसका कोई खरीदार नहीं।
अस्पतालों में पल रहे एजेंट...कहां जाएं दवा व्यवसायी
मेरठ में खैरनरगर, इब्ज चौराहा, बच्चा पार्क, गढ़ रोड से लेकर कंकरखेड़ा तक करीब पौने चार हजार मेडिकल स्टोर हैं। दवा व्यापारियों का आरोप है कि अधिकांश अस्पतालों एवं क्लीनिकों में दवा स्टोर खोला गया। मरीजों को एमआरपी या दस प्रतिशत छूट के साथ दवा मिल जाती है, ऐसे में मरीज खुदरा दवा व्यापारियों तक नहीं पहुंच पाते हैं। खैरनगर बाजार में सालभर में कई स्टोर बंद हो चुके हैं। करीब सवा सौ दुकानें ऐसी हैं, जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं। उधर, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों में दवाओं की सस्ती उपलब्धता से भी मेडिकल स्टोरों की सेहत गिरी है।
ऑनलाइन बाजार ने बिगाड़ी सेहत
दवा बाजार में भारी मंदी है। ड्रग स्टोर संचालकों की मानें तो मरीजों की संख्या में कमी नहीं आई, किंतु उनका टर्नओवर महज 40 फीसद रह गया है। दवाओं को आनलाइन मंगाया जा रहा है। सर्जिकल आयटम विक्रेताओं का कहना है कि हम ग्लूकोमीटर महज 800 रुपए में दे रहे हैं, जबकि आनलाइन लोग 900 में खरीदने को तैयार हैं। ब्लडप्रेशर नापने वाली डिजिटल मशीन स्टोर पर करीब 1450 रुपए में मिलेगी, जबकि आनलाइन में इसे 1900 रुपए में भी खरीदा-बेचा जा रहा है।
इन्होंने बताया
पांच साल में दवा का काम ही बंद करना पड़ेगा। आनलाइन दवा की उपलब्धता और प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र ने भारी नुकसान पहुंचाया है। दवा बाजार में करीब 40 फीसद की गिरावट है। आने वाले दिनों में कोई सुधार की उम्मीद भी नहीं है।
- योगेंद्र प्रधान, न्यू जनता मेडिकोज, गढ़ रोड
मेडिकल इंडस्ट्री में मंदी के कारण अलग हैं। जीएसटी से पहले दवा कंपनी किसी डाक्टर या अस्पताल को सीधे दवा न देकर एक डिस्ट्रब्यूशन केंद्र बनाती थी, जो अब खत्म हो गई। नर्सिग होमों में खुले स्टोर, आनलाइन दवा व्यवसाय च प्रधानमंत्री जनऔषधिकेंद्रों से भी दवा का कारोबार 50 फीसद तक गिरा है।
- रजनीश कौशल, महामंत्री जिला मेरठ ड्रग एसोसिएशन
डाक्टरों ने रिटेलर या होल सेल का लाइसेंस लेकर क्लीनिक में दवा स्टोर खोल लिया। कंपनियों से सीधे बात कर ली तो मेडिकल स्टोर का कहां स्कोप बचा। बड़ी संख्या में रोजगार खत्म हो रहा है। ब्रांडेड की जगह सामान्य कंपनियों की दवाएं ज्यादा लिखी जा रही हैं।
- मनोज अग्रवाल, दवा व्यवसायी
सर्जिकल आयटम आनलाइन मंगाने पर महंगा होने के बावजूद लोग आर्डर कर रहे हैं। बीपी मापने का एक खास मॉडल सिर्फ आनलाइन ही मिलेगा। अस्पतालों में सर्जिकल आयटम मंगाने के लिए कंपनियों के एजेंट बैठे हुए हैं। मेडिकल का बाजार तेजी से सिमट रहा है।
- मनोज शर्मा, सर्जिकल आयटम विक्रेता, खैरनगर
दवाओं की एमआरपी पर सरकार कोई नियंत्रण नहीं कर सकी। कई डाक्टर ऐसी दवाएं लिखते हैं जो उनकी क्लीनिक के पास वाले स्टोर पर ही मिलती है। कंपनियां एक ही साल्ट को डाक्टरों को अलग-अलग दामों में देती हैं। जीएसटी लागू होने के बाद दवा निर्माता कंपनियां अब सीधे डाक्टरों या उनकी क्लीनिक के नाम बिलिंग कर रही हैं, ऐसे में नुकसान तय है।
- सुधीर, विशाल मेडीकोज, खैरनगर
अस्पतालों में पल रहे एजेंट...कहां जाएं दवा व्यवसायी
मेरठ में खैरनरगर, इब्ज चौराहा, बच्चा पार्क, गढ़ रोड से लेकर कंकरखेड़ा तक करीब पौने चार हजार मेडिकल स्टोर हैं। दवा व्यापारियों का आरोप है कि अधिकांश अस्पतालों एवं क्लीनिकों में दवा स्टोर खोला गया। मरीजों को एमआरपी या दस प्रतिशत छूट के साथ दवा मिल जाती है, ऐसे में मरीज खुदरा दवा व्यापारियों तक नहीं पहुंच पाते हैं। खैरनगर बाजार में सालभर में कई स्टोर बंद हो चुके हैं। करीब सवा सौ दुकानें ऐसी हैं, जिसे कोई खरीदने को तैयार नहीं। उधर, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों में दवाओं की सस्ती उपलब्धता से भी मेडिकल स्टोरों की सेहत गिरी है।
ऑनलाइन बाजार ने बिगाड़ी सेहत
दवा बाजार में भारी मंदी है। ड्रग स्टोर संचालकों की मानें तो मरीजों की संख्या में कमी नहीं आई, किंतु उनका टर्नओवर महज 40 फीसद रह गया है। दवाओं को आनलाइन मंगाया जा रहा है। सर्जिकल आयटम विक्रेताओं का कहना है कि हम ग्लूकोमीटर महज 800 रुपए में दे रहे हैं, जबकि आनलाइन लोग 900 में खरीदने को तैयार हैं। ब्लडप्रेशर नापने वाली डिजिटल मशीन स्टोर पर करीब 1450 रुपए में मिलेगी, जबकि आनलाइन में इसे 1900 रुपए में भी खरीदा-बेचा जा रहा है।
इन्होंने बताया
पांच साल में दवा का काम ही बंद करना पड़ेगा। आनलाइन दवा की उपलब्धता और प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र ने भारी नुकसान पहुंचाया है। दवा बाजार में करीब 40 फीसद की गिरावट है। आने वाले दिनों में कोई सुधार की उम्मीद भी नहीं है।
- योगेंद्र प्रधान, न्यू जनता मेडिकोज, गढ़ रोड
मेडिकल इंडस्ट्री में मंदी के कारण अलग हैं। जीएसटी से पहले दवा कंपनी किसी डाक्टर या अस्पताल को सीधे दवा न देकर एक डिस्ट्रब्यूशन केंद्र बनाती थी, जो अब खत्म हो गई। नर्सिग होमों में खुले स्टोर, आनलाइन दवा व्यवसाय च प्रधानमंत्री जनऔषधिकेंद्रों से भी दवा का कारोबार 50 फीसद तक गिरा है।
- रजनीश कौशल, महामंत्री जिला मेरठ ड्रग एसोसिएशन
डाक्टरों ने रिटेलर या होल सेल का लाइसेंस लेकर क्लीनिक में दवा स्टोर खोल लिया। कंपनियों से सीधे बात कर ली तो मेडिकल स्टोर का कहां स्कोप बचा। बड़ी संख्या में रोजगार खत्म हो रहा है। ब्रांडेड की जगह सामान्य कंपनियों की दवाएं ज्यादा लिखी जा रही हैं।
- मनोज अग्रवाल, दवा व्यवसायी
सर्जिकल आयटम आनलाइन मंगाने पर महंगा होने के बावजूद लोग आर्डर कर रहे हैं। बीपी मापने का एक खास मॉडल सिर्फ आनलाइन ही मिलेगा। अस्पतालों में सर्जिकल आयटम मंगाने के लिए कंपनियों के एजेंट बैठे हुए हैं। मेडिकल का बाजार तेजी से सिमट रहा है।
- मनोज शर्मा, सर्जिकल आयटम विक्रेता, खैरनगर
दवाओं की एमआरपी पर सरकार कोई नियंत्रण नहीं कर सकी। कई डाक्टर ऐसी दवाएं लिखते हैं जो उनकी क्लीनिक के पास वाले स्टोर पर ही मिलती है। कंपनियां एक ही साल्ट को डाक्टरों को अलग-अलग दामों में देती हैं। जीएसटी लागू होने के बाद दवा निर्माता कंपनियां अब सीधे डाक्टरों या उनकी क्लीनिक के नाम बिलिंग कर रही हैं, ऐसे में नुकसान तय है।
- सुधीर, विशाल मेडीकोज, खैरनगर
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