स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त है जबरदस्त भ्रष्टाचार : सिद्धार्थनाथ सिंह
प्रभारी मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष से लंबी पारी खेल चुके कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के चेहरे पर रविवार को सियासी थकान स्पष्ट नजर आई।
By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 12:01 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 12:01 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने माना कि विभाग में भारी भ्रष्टाचार है। कहा कि गत दिनों ब्लड में पानी मिलाकर सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को सप्लाई करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद कई अन्य शहरों में भी एसटीएफ इनपुट जुटा रही है। विभाग में क्लर्को के स्तर पर गड़बड़झाला उजागर हो रहा है, जिन्हें बचाने के लिए ‘अपने’ ही लोग पैरवी करने लगते हैं। पिछले दौरे पर घोषणा के बावजूद नगर स्वास्थ्य अधिकारी को मेरठ से न हटवा पाने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने माना कि वो नाकाम रहे हैं। उधर, प्रभारी मंत्री के सामने कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों पर जमकर जुबानी हमला बोला।
निजी डाक्टरों के बिना नहीं चलेगा स्वास्थ्य विभाग
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं मेरठ के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह रविवार को शहर में थे। आइएमए हाल में ब्लड बैंक का उद्घाटन करने पहुंचे प्रभारी मंत्री का दर्द सामने सरेआम छलका। कहा कि निजी डाक्टरों के सहयोग के बिना सरकारी अस्पताल नहीं चल पाएंगे। डाक्टरों की कमी दूर करने के तमाम उपाय बेअसर रहे हैं। प्रभारी मंत्री ने निजी डाक्टरों से रोस्टर बनाकर सरकारी अस्पतालों में फ्री ओपीडी करने की अपील की। भ्रष्टाचार को लेकर भाजपाइयों को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि हाल में लखीमपुर में स्वास्थ्य विभाग के तीन क्लर्कों को हटाते ही अपने दल से फोन आने शुरू हो गए। गत दिनों मेरठ में पार्षद-दारोगा के बीच हुई मारपीट पर भाजपाइयों के आक्रोश से प्रभारी मंत्री अवगत नजर आए।
पदाधिकारियों से लिया फीडबैक
सर्किट हाउस में पार्टी पदाधिकारियों मुकेश सिंहल, रविंद्र भड़ाना समेत अन्य से फीड बैक लेने के बाद अधिकारियों से भी चर्चा की। पार्षद-दारोगा प्रकरण पर उन्होंने कहा कि जल्द ही दूसरे पक्ष से भी एफआइआर दर्ज की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस की वसूली पकड़ने के लिए जिलाधिकारी एवं एसएसपी को सादी वर्दी में छापेमारी करने का निर्देश दिया। ऐसे गन्ना किसान, जिन्हें भुगतान नहीं मिला है अगर उनके खिलाफ बिजली विभाग नोटिस जारी करेगा तो जूनियर इंजीनियर दंडित किए जाएंगे। कहा कि पीडीएस में धांधली पर अब रोक लग गई है।
बड़े बेबस नजर आए प्रभारी मंत्री
प्रभारी मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष से लंबी पारी खेल चुके कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के चेहरे पर रविवार को सियासी थकान स्पष्ट नजर आई। उन्होंने इमानदारी से माना कि कई अधिकारी उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, वहीं डाक्टरों की कमी पर भी वह बेबस नजर आए। उधर, पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी प्रभारी मंत्री के बयानों का मायने खंगाला। माना जा रहा है कि चुनावों से पहले पदाधिकारियों की बढ़ती नाराजगी कई अधिकारियों पर भारी पड़ सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कार्यकर्ता घर की पगडंडी पकड़ लेगा।
बेबसी के सियासी मायने
लोकसभा चुनावों से पहले जहां पार्टी अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने में जुटी है, वहीं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की बेबसी के बड़े सियासी मायने हैं। माना जा रहा है कि इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल जमींदोज होगा। प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह डेढ़ वर्ष बाद भी कार्यकर्ताओं से कनेक्ट नहीं बना पाए। कार्यकर्ताओं को मलाल है कि प्रभारी मंत्री ज्यादातर अधिकारियों की बात मानते हैं, जिससे मूल कैडर निराश होने लगा। चंद माह पहले जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर के खिलाफ पंचायत सदस्यों के लामबंद होने पर पहली बार कार्यकर्ताओं ने प्रभारी मंत्री से तल्ख शिकायत की। महापौर के चुनाव में भी प्रभारी मंत्री के तौर पर उन्होंने खास भूमिका नहीं निभाई। सरकार के एक साल पूरे होने के बाद ही उन्होंने पहली बार मेरठ में रात्रि विश्रम किया।
असमंजस में नजर आए
इधर, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के बीच बढ़ती जंग ने सिद्धार्थनाथ की चुनौती बढ़ा दी। पार्षद-दारोगा प्रकरण के बाद महानगर इकाई ने दो टूक कहा कि अब प्रभारी मंत्री को पार्टी कार्यकर्ताओं की सुननी होगी, वहीं पहली बार प्रभारी मंत्री असमंजस में फंसे नजर आए।
पीपीपी मॉडल पर 100 बेड की बनाएं सीएचसी
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने माना कि डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार के पास कोई बड़ा विकल्प नहीं बचा है। इसके लिए हर जिले की दो-दो सीएचसी को निजी अस्पतालों की भागेदारी के माध्यम से विकसित किया जाएगा। मैक्स एवं अपोलो जैसे अस्पतालों के साथ निजी अस्पताल भी इससे जुड़ सकते हैं। भरोसा दिया कि मरीजों के इलाज की पूरी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।
सरकारी अस्पतालों में जाएं निजी डॉक्टर
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोई भी निजी अस्पताल शहरी क्षेत्र में ही खुलता है, जहां उसकी आय बेहतर होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र आधुनिक अस्पतालों की रेस में पिछड़ जाता है। ऐसे में पीपीपी माडल पर सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने का वक्त आ गया है। इसमें इलाज के खर्च का भुगतान आयुष्मान भारत समेत अन्य स्कीमों में तत्परता के साथ किया जाएगा। उधर, प्रभारी मंत्री ने प्राइवेट डाक्टरों से कहा कि वो रोस्टर बनाकर सरकारी अस्पतालों में भी मरीज देखें, अन्यथा गरीबों को इलाज नहीं मिल पाएगा।
ब्लड बैंक के लिए आइएमए की तारीफ
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश में आइएमए द्वारा छठवां ब्लड बैंक मेरठ में खोला गया। इस योजना पर लंबे समय से काम किया जा रहा था। हर साल करीब दस लाख यूनिट ब्लड कम पड़ रहा है। जरूरत के सापेक्ष रक्त की उपलब्धता बेहद होने से हर साल बड़ी संख्या में मरीजों की जान चली जाती है। शुभारंभ के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल और क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी के साथ ब्लड बैंक में लगी मशीनों का भी निरीक्षण किया। चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि इस ब्लड बैंक की क्षमता 500 यूनिट होगी।
मंत्री ने सुनी लोगों की समस्याएं
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सर्किट हाउस में लोगों की समस्याएं भी सुनीं। दोपहर करीब दो बजे मंत्री सर्किट हाउस पहुंचे। उन्हें सबसे पहले गार्ड आफ आर्नर दिया गया। साथ ही भाजपा नेताओं ने वहां उनका स्वागत किया। स्वागत करने वालों में जिलाध्यक्ष रविंद्र भड़ाना व महानगर मुकेश सिंघल, विधायक संगीत सोम, जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मनिंदर पाल सिंह, सुनील भराला, विमल शर्मा, सतेंद्र भराला, रोहिताश्व पहलवान, चौधरी अजित सिंह, देवेंद्र गुर्जर, अजय भराला, राजेंद्र प्रेमी, गजेंद्र शर्मा आदि शामिल रहे।
निजी डाक्टरों के बिना नहीं चलेगा स्वास्थ्य विभाग
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री एवं मेरठ के प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह रविवार को शहर में थे। आइएमए हाल में ब्लड बैंक का उद्घाटन करने पहुंचे प्रभारी मंत्री का दर्द सामने सरेआम छलका। कहा कि निजी डाक्टरों के सहयोग के बिना सरकारी अस्पताल नहीं चल पाएंगे। डाक्टरों की कमी दूर करने के तमाम उपाय बेअसर रहे हैं। प्रभारी मंत्री ने निजी डाक्टरों से रोस्टर बनाकर सरकारी अस्पतालों में फ्री ओपीडी करने की अपील की। भ्रष्टाचार को लेकर भाजपाइयों को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि हाल में लखीमपुर में स्वास्थ्य विभाग के तीन क्लर्कों को हटाते ही अपने दल से फोन आने शुरू हो गए। गत दिनों मेरठ में पार्षद-दारोगा के बीच हुई मारपीट पर भाजपाइयों के आक्रोश से प्रभारी मंत्री अवगत नजर आए।
पदाधिकारियों से लिया फीडबैक
सर्किट हाउस में पार्टी पदाधिकारियों मुकेश सिंहल, रविंद्र भड़ाना समेत अन्य से फीड बैक लेने के बाद अधिकारियों से भी चर्चा की। पार्षद-दारोगा प्रकरण पर उन्होंने कहा कि जल्द ही दूसरे पक्ष से भी एफआइआर दर्ज की जाएगी। ट्रैफिक पुलिस की वसूली पकड़ने के लिए जिलाधिकारी एवं एसएसपी को सादी वर्दी में छापेमारी करने का निर्देश दिया। ऐसे गन्ना किसान, जिन्हें भुगतान नहीं मिला है अगर उनके खिलाफ बिजली विभाग नोटिस जारी करेगा तो जूनियर इंजीनियर दंडित किए जाएंगे। कहा कि पीडीएस में धांधली पर अब रोक लग गई है।
बड़े बेबस नजर आए प्रभारी मंत्री
प्रभारी मंत्री के तौर पर डेढ़ वर्ष से लंबी पारी खेल चुके कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के चेहरे पर रविवार को सियासी थकान स्पष्ट नजर आई। उन्होंने इमानदारी से माना कि कई अधिकारी उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, वहीं डाक्टरों की कमी पर भी वह बेबस नजर आए। उधर, पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी प्रभारी मंत्री के बयानों का मायने खंगाला। माना जा रहा है कि चुनावों से पहले पदाधिकारियों की बढ़ती नाराजगी कई अधिकारियों पर भारी पड़ सकती है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कार्यकर्ता घर की पगडंडी पकड़ लेगा।
बेबसी के सियासी मायने
लोकसभा चुनावों से पहले जहां पार्टी अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करने में जुटी है, वहीं कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की बेबसी के बड़े सियासी मायने हैं। माना जा रहा है कि इससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल जमींदोज होगा। प्रभारी मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह डेढ़ वर्ष बाद भी कार्यकर्ताओं से कनेक्ट नहीं बना पाए। कार्यकर्ताओं को मलाल है कि प्रभारी मंत्री ज्यादातर अधिकारियों की बात मानते हैं, जिससे मूल कैडर निराश होने लगा। चंद माह पहले जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर के खिलाफ पंचायत सदस्यों के लामबंद होने पर पहली बार कार्यकर्ताओं ने प्रभारी मंत्री से तल्ख शिकायत की। महापौर के चुनाव में भी प्रभारी मंत्री के तौर पर उन्होंने खास भूमिका नहीं निभाई। सरकार के एक साल पूरे होने के बाद ही उन्होंने पहली बार मेरठ में रात्रि विश्रम किया।
असमंजस में नजर आए
इधर, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के बीच बढ़ती जंग ने सिद्धार्थनाथ की चुनौती बढ़ा दी। पार्षद-दारोगा प्रकरण के बाद महानगर इकाई ने दो टूक कहा कि अब प्रभारी मंत्री को पार्टी कार्यकर्ताओं की सुननी होगी, वहीं पहली बार प्रभारी मंत्री असमंजस में फंसे नजर आए।
पीपीपी मॉडल पर 100 बेड की बनाएं सीएचसी
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने माना कि डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार के पास कोई बड़ा विकल्प नहीं बचा है। इसके लिए हर जिले की दो-दो सीएचसी को निजी अस्पतालों की भागेदारी के माध्यम से विकसित किया जाएगा। मैक्स एवं अपोलो जैसे अस्पतालों के साथ निजी अस्पताल भी इससे जुड़ सकते हैं। भरोसा दिया कि मरीजों के इलाज की पूरी प्रतिपूर्ति सरकार करेगी।
सरकारी अस्पतालों में जाएं निजी डॉक्टर
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कोई भी निजी अस्पताल शहरी क्षेत्र में ही खुलता है, जहां उसकी आय बेहतर होती है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र आधुनिक अस्पतालों की रेस में पिछड़ जाता है। ऐसे में पीपीपी माडल पर सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने का वक्त आ गया है। इसमें इलाज के खर्च का भुगतान आयुष्मान भारत समेत अन्य स्कीमों में तत्परता के साथ किया जाएगा। उधर, प्रभारी मंत्री ने प्राइवेट डाक्टरों से कहा कि वो रोस्टर बनाकर सरकारी अस्पतालों में भी मरीज देखें, अन्यथा गरीबों को इलाज नहीं मिल पाएगा।
ब्लड बैंक के लिए आइएमए की तारीफ
सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश में आइएमए द्वारा छठवां ब्लड बैंक मेरठ में खोला गया। इस योजना पर लंबे समय से काम किया जा रहा था। हर साल करीब दस लाख यूनिट ब्लड कम पड़ रहा है। जरूरत के सापेक्ष रक्त की उपलब्धता बेहद होने से हर साल बड़ी संख्या में मरीजों की जान चली जाती है। शुभारंभ के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल और क्षेत्रीय अध्यक्ष अश्विनी त्यागी के साथ ब्लड बैंक में लगी मशीनों का भी निरीक्षण किया। चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि इस ब्लड बैंक की क्षमता 500 यूनिट होगी।
मंत्री ने सुनी लोगों की समस्याएं
स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने सर्किट हाउस में लोगों की समस्याएं भी सुनीं। दोपहर करीब दो बजे मंत्री सर्किट हाउस पहुंचे। उन्हें सबसे पहले गार्ड आफ आर्नर दिया गया। साथ ही भाजपा नेताओं ने वहां उनका स्वागत किया। स्वागत करने वालों में जिलाध्यक्ष रविंद्र भड़ाना व महानगर मुकेश सिंघल, विधायक संगीत सोम, जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन मनिंदर पाल सिंह, सुनील भराला, विमल शर्मा, सतेंद्र भराला, रोहिताश्व पहलवान, चौधरी अजित सिंह, देवेंद्र गुर्जर, अजय भराला, राजेंद्र प्रेमी, गजेंद्र शर्मा आदि शामिल रहे।
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