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संरक्षण केंद्र की कीचड़ में तड़प रहे बीमार गोवंश

बेसहारा गोवंश को सहारा देने वाले स्थल पर गोवंश को ऐसी मौत मिल रही है, जिसे देखकर किसी भी गो प्रेमी की रूह कांप जाए। जो गोवंश मरणासन्न अवस्था में पहुंच चुके हैं या जिन्हें आपातकालीन इलाज की जरूरत है उन्हें तड़पने के लिए कीचड़ में पड़े रहने दिया जाता है। ऐसे गोवंश कुछ मिनट या कुछ घंटे में वहां पड़े-पड़े दम तोड़ देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 03:00 AM (IST)
संरक्षण केंद्र की कीचड़ में तड़प रहे बीमार गोवंश
संरक्षण केंद्र की कीचड़ में तड़प रहे बीमार गोवंश

मेरठ । बेसहारा गोवंश को सहारा देने वाले स्थल पर गोवंश को ऐसी मौत मिल रही है, जिसे देखकर किसी भी गो प्रेमी की रूह कांप जाए। जो गोवंश मरणासन्न अवस्था में पहुंच चुके हैं या जिन्हें आपातकालीन इलाज की जरूरत है उन्हें तड़पने के लिए कीचड़ में पड़े रहने दिया जाता है। ऐसे गोवंश कुछ मिनट या कुछ घंटे में वहां पड़े-पड़े दम तोड़ देते हैं।

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नगर निगम में गोवंश को सहारा देने के नाम पर जो भी हो रहा है वह हृदय विदारक है। खबर के साथ प्रकाशित तस्वीर रविवार दोपहर की है। यहां पर कीचड़ में पड़ी एक बछिया और गाय तड़प रही थी। बछिया की गर्दन टूटी हुई थी। दर्द से राहत पाने को गर्दन उसने ऊपर की ओर मोड़ लिया और तड़पती रही। दूसरी तरफ पड़ी गाय हाथ-पैर भी नहीं खिसका पा रही थी। स्थिति ऐसी थी मानो सांस थम गई हो। इसी बीच पशु चिकित्सक आते हैं और उन्हें इंजेक्शन लगाकर चले जाते हैं। ड्यूटी पूरी हो जाती है।

दोनों गोवंश उसी कीचड़ में तड़पते रहे। दोनों अंतिम सांस गिन रहे थे, शायद इसीलिए उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया। कुछ पशु इनकी हालत पर तो दुखी होकर आसपास खड़े थे, लेकिन वहां तैनात कर्मचारियों के लिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उनके लिए बस इतना ही था कि यहां तो गोवंश मरते ही रहते हैं, ये भी मरेंगे तो फेंक दिया जाएगा। उन्हें न गर्म स्थान पर ले जाने की जरूरत समझी गई और न ही किसी विशेष उपचार की। कुछ लोगों ने बताया गोशाला-गो संरक्षण केंद्र के गोवंशों में संघर्ष हो गया था जिसमें बछिया के साथ यह हादसा हुआ वहीं गाय बीमार थी। इससे दोनों वहीं गिर पड़े थे। वहां पर बारिश के बाद से ही कीचड़ हो गया है।

यहां संघर्ष की स्थिति इसलिए भी आती है कि चारे के नाम पर सिर्फ भूसा इन्हें दिया जाता और उसे भी खोर में नहीं बल्कि छोटे-छोटे ड्रम में दे दिया जाता है। सभी गोवंश खुले होते हैं ऐसे में पहले खाने के लिए उनमें संघर्ष होना स्वाभाविक है। जो कमजोर पड़ जाते हैं वह दबकर कुचल जाते हैं। यहां की व्यवस्था ऐसी है जिसे देखकर कोई भी कह सकता है कि इससे ठीक होता कि ये गोवंश बेसहारा ही छोड़ दिए जाते।

इन्होंने कहा..

मुझे किसी गोवंश के रविवार को मरने की सूचना नहीं मिली है। गोवंश बीमार होंगे या चोटिल होंगे उनका उपचार किया गया होगा। यदि गोवंश के साथ कुछ गलत हो रहा है तो उसे सोमवार को ही दिखवाएंगे।

- मनोज कुमार चौहान, नगर आयुक्त


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