किसे बताएं अपना दर्द: ठीक से ‘इलाज’ हो जाए तो ‘बीमार व्यवस्था’ सुधर जाए
किसे बताएं अपना दर्द मेडिकल कालेज में लगातार हावी हैं अव्यवस्थाएं मरीजों और तीमारदारों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं। तीमारदार वाहन पार्किंग में काट रहे दिन-रात टेंट तक की व्यवस्था नहीं गंभीर मरीज नहीं हो पा रहे भर्ती।
मेरठ, जेएनएन। मेडिकल के कोरोना वार्ड में उपचार करा रहे संक्रमित मरीजों को इलाज तो मिल रहा है लेकिन घबराहट महसूस कर रहे हैं। मरीजों से स्वजन ने फोन पर बात की तो पता चला कि मेडिकल स्टाफ का व्यवहार उनके प्रति ठीक नहीं है।
मरीजों की मौत भी डरा रही है। गुरुवार को ऐसे ही दो मरीजों से उनके स्वजन द्वारा फोन पर बातचीत कराई गई तो कोरोना मरीजों का दर्द बाहर आया। मुजफ्फरनगर निवासी महिला मरीज ने बताया कि यहां उपचार तो ठीक मिल रहा है और समय पर खाना-नाश्ता मिलता है लेकिन मेडिकल स्टाफ का व्यवहार ठीक नहीं है।
चीखने पर भी नहीं आता कोई
कई बार पीड़ा होने पर चीखने पर भी कोई नहीं आता, उल्टा डांट कर शांत करा देते हैं। ऐसे ही मवाना निवासी संक्रमित मरीज ने बताया कि उनका स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है और हर दिन बस यहीं प्रार्थना है कि ठीक होकर जल्दी यहां से बाहर निकले। वार्ड के माहौल से कई मरीज काफी घबराए हुए हैं, क्योंकि अगर किसी संक्रमित की मौत हो जाती है तो शव काफी देर तक पास में ही पड़ा रहा है। ऐसे में अन्य मरीज घबरा जाते हैं। हालांकि यहां भर्ती मरीज एक-दूसरे का दिलासा देकर हौसला भी बढ़ाते हैं और ठीक होकर जाने वाले को बधाई देते हैं।
इलाज तो मिल रहा, पर डर बहुत लगता है
मेडिकल कालेज में लगातार अव्यवस्थाओं के हावी होने से व्यवस्था दम तोड़ रही है। गुरुवार को भी कालेज परिसर से मरीज भर्ती न होने से लौटते दिखे। तीमारदार पूर्व की तरह से वाहन पार्किंग में यहां-वहां बैठकर अपना समय काटते नजर आए, जबकि हमेशा की तरह से गंभीर मरीजों को लेकर स्वजन खुद ही आपातकालीन विभाग में लेकर जाते रहे।
मेडिकल कालेज में पसरी अव्यवस्थाओं से हर दिन यहां आने वाले मरीज और उनके स्वजन को परेशानी हो रही है। अव्यवस्था इस कदर हावी हो चुकी है कि कई मरीजों ने उपचार की आस में ही दम तोड़ दिया। तमाम शिकायतों और अप्रिय घटनाओं के बाद भी सुधार होता नजर नहीं आ रहा है।
गुरुवार को भी मेडिकल कालेज परिसर का नजारा हर दिन की तरह से ही रहा। यहां-वहां तीमारदार भटकते रहे और अंत में वाहन पार्किंग ही उनका आसरा बनी। यहां बैठे लोगों ने बताया कि बरसात के कारण रातभर सो नहीं सके और अब दिन में भी आराम करने के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे ही गंभीर मरीजों को लेकर पहुंचे स्वजन खुद ही अपने मरीज को स्टेचर पर डालकर आपाल कालीन विभाग लेकर गए। यहां काफी देर गुहार लगाने के बाद मेडिकल स्टाफ ने मरीजों को देखा और कुछ को भर्ती करने से इन्कार कर दिया। स्व्जन निराश होकर अपने मरीज को ले गए। कई लोग यहां से वहां इस लिए भी भटकते रहे, क्योंकि उन्हें मेडिकल स्टाफ ने गलत जानकारी देकर बरगलाया था।