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बंद रहे मंदिर, घरों में हुई शिव की आराधना

शवरात्रि में शिवालयों में विराजमान भोलेनाथ का अभिषेक तो दूर दर्शन के लिए भी श्रद्धालु तरस गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Jul 2020 10:26 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jul 2020 10:26 PM (IST)
बंद रहे मंदिर, घरों में हुई शिव की आराधना
बंद रहे मंदिर, घरों में हुई शिव की आराधना

अश्विनी शर्मा/यश नौहरिया, मोगा : गांव इंदरगढ़ में 13 जुलाई को ड्रेन टूटने से खड़ी फसलों में मिट्टी के साथ जलभराव हो गया था, जिसके कारण किसानों की सांसे फुल गई थी, वहीं ड्रेन टूटने से जिला प्रशासन के खोखले दावों की पोल भी खुली थी। लेकिन 18 जुलाई को जिला प्रशासन के अधिकारियों ने इस पर कड़ा संज्ञान हुए गांव इंदरगढ़ में जेसीबी एवं मिट्टी से भरे कट्टों के साथ टूटी ड्रेन के किनारों को जोड़ने का काम किया, जिसके चलते किसानों की राहत की सांस ली है तथा जिला प्रशासन का आभार प्रकट किया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रहने वालों किसानों की चिताए अभी भी जारी है, जैसे-जैसे मानसून एक्टिव हो रहा है, वैसे-वैसे किसानों की परेशानी भी बढ़ रही है। वहीं बढ़ते जल स्तर से सतलुज के किनारों में कटाव देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर ड्रेन टूटने से भी किसानों को नुकसान भुगतना पड़ा है, इसके बाद किसानों को खुद ही हर स्थिति पर नजर रखनी पड़ रही है। किसानों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए जल्द से जल्द टीमें गठित कर मोर्चा संभाल लेना चाहिए। हालांकि जिला प्रशासन ने दावा किया है कि प्रशासन की हर स्थिति पर नजर है और जिला प्रशासन हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। बता दें कि ड्रेन टूटने से फसलों में जलभराव होने पर दैनिक जागरण ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिस पर डीसी संदीप हंस ने कड़ा संज्ञान लिया है। 18 एकड़ फसल में हुआ था जलभराव

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13 जुलाई को गांव इंदरगढ़ में ड्रेन टूटने से करीब 18 एकड़ में लगी फसल में जलभराव हो गया था तथा रेतीली मिट्टी ने धान के पौधों को ढंक लिया। जिससे किसानों की चिताए बढ़ गई तथा जिला प्रशासन सहयोगी की अपील की थी समस्या का शीघ्र हल हो। वहीं किसान करण सिंह, सुखदेव सिंह, हरदयाल सिंह व मेजर सिंह ने बताया था कि बरसाती नालों की सफाई न होने के कारण यह घटनाक्रम हुआ है और इससे उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा है।

धर्मकोट के 28 गांव हैं बाढ़ संभावित

कस्बा धर्मकोट के 28 गांव अधिक बाढ़ संभावित गांव है, जो सतलुज दरिया के बेहद नजदीक है और 28 में से सबसे अधिक संभावित संघेड़ा, मराजपुर, भैनी, कंबोकलां,मंदरकलां, इंदरगढ़ व फतेहगढ़ पंजतूर के क्षेत्र शामिल है। अगर जलभराव अधिक होता है तो बाढ़ संभावित क्षेत्र की संख्या 28 से बढ़कर 35 तक पहुंच जाती है। जिले की हर टीम मुस्तैद : डीसी

डीसी संदीप हंस ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के बचाव को लेकर जिला प्रशासन की हर टीम मुस्तैद है और हर स्थिति पर नजर जमाए हुआ है, प्रशासन किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम है।


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