मुजफ्फरनगर में सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी, बेबस हो रहे मरीज
मुजफ्फरनगर जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में एमबीबीएस के भरोसे इलाज। चिलचिलाती गर्मी के बीच मरीजों को पहले पर्चा बनवाने की लंबी लाइन में लगना पड़ता है। परामर्श को पहुंचने वाले मरीज घंटों लाइन में लगने को मजबूर।
मुजफ्फरनगर, जागरण संवाददाता। जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पतालों की ओपीडी में परामर्श को पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस बढ़ती संख्या पर अस्पतालों में चिकित्सकों का अभाव मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। चिलचिलाती गर्मी के बीच मरीजों को पहले पर्चा बनवाने की लंबी लाइन में लगना पड़ता है। उसके बाद अपने नंबर के इंतजार में चिकित्सकों के कमरों के बाहर घंटों इंतजार की परेशानी झेलनी पड़ रही है। हालाकि की अस्पतालों के सीएमएस चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने की मांग को लगातार अफसरों को पत्र लिख रहे हैं।
चिकित्सकों के देरी से पहुंचने के कारण भी भीड़ लगने की समस्या
जिला अस्पताल की ओपीडी वैसे तो सुबह आठ बजे से दो बजे तक चलती है, लेकिन इस ओपीडी में अधिकतर चिकित्सक 10 बजे से पहले अपने कमरों में नही बैठते हैं। उधर मरीजों की भीड़ सुबह आठ बजे से ही पहुंच जाती है। इस कारण जब चिकित्सक पहुंचते हैं तो भीड़ जल्दी से अपने नंबर के इंतजार में रहती है। कुछ चिकित्सकों के लेट आने के कारण दो बजे तक पूर्ण मरीजों को नहीं देखा जाता, जिससे उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं।
सर्जन, बाल रोग विषेशज्ञ, त्वचा रोग चिकित्सक की भारी कमी
जिला अस्पताल की ओपीडी में शासन और संविदा के चिकित्सकों के सहारे मरीजों को सुविधा दी जा रही है, लेकिन ओपीडी में डा. गरिमा सिंह ही एकमात्र बाल रोग विशेषज्ञ है। इसके अलावा त्वचा रोग विशेषज्ञ के तौर पर अभी तक कोई चिकित्सक नहीं है। सर्जन के रूप में डा. मनोज शर्मा और डा. चारू ढाल हैं, जिसमें से एक ओटी में रहते हैं। इसके अलावा फिजीशियन डा. योगेंद्र त्रिखा और आरके डाबरे, ह्दय रोग विशेषज्ञ डा. बीके जैन, मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. संदीप रंजन, दंत रोग विशेषज्ञ डा. इति व मोहित तैनात हैं, जिनके उपर ही मरीजों का भार है। हड़्डी रोग विभाग में डा. औवेस सिद्दकी, डा. प्रदीप चतुर्वेदी मरीजों को दखते हैं, यहां डा. एमआर सिंह अपनी सीट से गायब रहते हैं। सीएमएस डा. राकेश कुमार का कहना है कि कम चिकित्सकों से इलाज कराना मजबूरी है। डिमांड भेजी है। कुछ चिकित्सकों को संविदा पर रखने की प्रक्रिया चल रही है।
महिला अस्पताल में एमबीबीएस के सहारे गर्भवतियों का इलाज
जिला महिला अस्पताल की ओपीडी में गर्भवति महिलाओं के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। ओपीडी में गर्भवति महिलाओं के परामर्श का पूर्ण भार एकमात्र डा. प्रीति गर्ग पर है। दिनभर करीब 250 से 300 मरीजों की ओपीडी होती है। उधर ओपीडी में तैनात दूसरी एमबीबीएस चिकित्सक डा. विशाखा लंबी छुट्टटी पर हैं। एक-एक चिकित्सक आयुष और हौम्यापैथिक परामर्श के लिए हैं, जहां नाममात्र ही मरीज पहुंचते हैं। सीएमएस डा. आभा आत्रे का कहना है कि चिकित्सकों की डिमांड लखनऊ तक भेजी हुई है।