शहीद पुत्र आरव होगा परिवार का अगला फौजी : वीरपाल
यह देश के प्रति समर्पण ही है जो शहीद अजय का परिवार यह कह पा रहा है कि परिवार का अगला फौजी शहीद अजय कुमार का बेटा आरव होगा। ढाई साल के आरव को यह पता भी नहीं कि उसके परिवार पर क्या बीती है। आरव को सेना में शामिल कर देशसेवा में भेजने की बात एक या दो सदस्य नहीं बल्कि पूरा परिवार कर रहा है। शहीद अजय के पिता पूर्व सैनिक वीरपाल कहते हैं सेना और देश का नमक खाकर बड़े हुए हैं तो उसी की सेवा में समर्पित रहेंगे। माता कमलेश के अनुसार यदि बड़ा बेटा विकास जिंदा होता तो वह भी फौज में ही जाता।
मेरठ । यह देश के प्रति समर्पण ही है जो शहीद अजय का परिवार यह कह पा रहा है कि परिवार का अगला फौजी शहीद अजय कुमार का बेटा आरव होगा। ढाई साल के आरव को यह पता भी नहीं कि उसके परिवार पर क्या बीती है। आरव को सेना में शामिल कर देशसेवा में भेजने की बात एक या दो सदस्य नहीं बल्कि पूरा परिवार कर रहा है। शहीद अजय के पिता पूर्व सैनिक वीरपाल कहते हैं सेना और देश का नमक खाकर बड़े हुए हैं तो उसी की सेवा में समर्पित रहेंगे। माता कमलेश के अनुसार यदि बड़ा बेटा विकास जिंदा होता तो वह भी फौज में ही जाता।
भर्ती के बाद हुई शादी
साल 2008 में एटा से 10वीं और साल 2010 में चौ. चरण सिंह इंटर कालेज पतला से 12वीं करने के बाद ही अजय सेना भर्ती रैली में शामिल हुए थे। साल 2011 में पतला डिग्री कालेज में बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही सात अप्रैल 2011 को सेना में भर्ती हो गए। उसके बाद नौ मार्च 2015 को मुरादनगर के सलेमाबाद की प्रियंका से शादी हुई थी। प्रियंका को परिवार में सभी डिंपल बुलाते हैं। बड़े भाई विकास कुमार ने भी सेना में भर्ती के बाद शादी करने का निर्णय लिया था लेकिन छह महीने ही उनकी मृत्यु हो गई।
सितंबर में मारा था आतंकी
वीरनारी प्रियंका बताती हैं कि पिछले साल सितंबर महीने में भी अजय आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल हुए थे। जनवरी में छुट्टी के दौरान उन्होंने प्रियंका को बताया था कि उनकी पार्टी सर्च ऑपरेशन में निकली थी। ऑपरेशन में उन्होंने एक मिलिटेंट को मार गिराया था। इस ऑपरेशन में उन्हें बहादुरी के लिए सम्मानित किए जाने की उम्मीद दी। इसकी घोषणा इस साल 15 अगस्त या अगले साल 26 जनवरी के पहले की जा सकती है।
पुलवामा घटना के बाद हुई बात
माता कमलेश बताती हैं कि पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आतंकी हमले के बाद उन्होंने अजय से फोन पर बात की थी। उन्होंने सलामती बताई थी। रविवार रात ऑपरेशन में जाने से पहले भी अजय ने माता कमलेश से बात की थी। उन्होंने बताया था कि वह एक सर्च ऑपरेशन में जा रहे हैं। देर रात लौटेंगे इसलिए सुबह फोन करेंगे। भीगी पलकों के साथ कमलेश ने कहा कि बेटे का फोन तो नहीं आया पर यूनिट से उनके पिता वीरपाल के पास सूचनाएं आने लगी। उनके दोनों बेटे शहीद हो गए जबकि बेटी अर्चना की शादी छपरौली में हुई है।
कोई परेशानी हो तब होती थी बात
वीरपाल बताते हैं कि अजय की ज्यादातर बात उनकी माता व पत्नी से ही होती थी। कहीं अटकने पर उनसे फोन पर बात किया करते थे। 90 के दशक में जब आतंकवाद कश्मीर में चरम पर था उसी समय साल 1995, 96 और 97 के दौरान वह कश्मीर में ही तैनात थे। वीरपाल के अनुसार उस समय तो कश्मीर से आतंकवाद को लगभग खत्म कर दिया गया था लेकिन अब तो केवल खूब बह रहे हैं।