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मेरठ में सीवेज का पानी ट्रीट करके दोबारा लाया जाएगा उपयोग में, यह है पूरी तैयारी

सबकुछ योजना के तहत हुआ तो कमालपुर स्थित 72 एमएलडी एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से शोधित जल को काली नदी में बहाने के बजाए इसे दोबारा उपयोग में लाया जाएगा। जलनिगम ने तैयार की है कार्ययोजना 22 करोड़ आएगा खर्च।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2022 08:05 PM (IST)Updated: Mon, 15 Aug 2022 08:05 PM (IST)
मेरठ में सीवेज का पानी ट्रीट करके दोबारा लाया जाएगा उपयोग में, यह है पूरी तैयारी
72 एमएलडी एसटीपी के शोधित जल का होगा दोबारा उपयोग।

मेरठ, दिलीप पटेल। सबकुछ योजना के तहत हुआ तो कमालपुर स्थित 72 एमएलडी एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से शोधित जल को काली नदी में बहाने के बजाए इसे दोबारा उपयोग में लाया जाएगा। एसटीपी के शोधित जल से खेतों की सिंचाई होगी। शहर की सड़कों पर छिड़काव, पार्क व डिवाइडर के पौधों की सिंचाई की जाएगी। इससे भूगर्भ जल का दोहन कम होगा और पेयजल बर्बादी रुकेगी। जलनिगम ने कार्ययोजना तैयार की है। जो स्वीकृति के लिए 15 वें वित्त आयोग की आगामी बैठक में रखी जाएगी।

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कमालपुर में है 72 एमएलडी का एसटीपी

जाग्रति विहार एक्सटेंशन के समीप कमालपुर में जलनिगम का 72 एमएलडी एसटीपी है। यहां लगभग 60 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन शोधित होता है। शोधित जल को काली नदी में बहा दिया जाता है। अब शोधित जल को दोबारा उपयोग में लाने के लिए जलनिगम अधिकारियों ने कमालपुर के आसपास काली नदी किनारे खेती करने वाले किसानों से संपर्क किया है। तैयारी ये है कि शोधित जल को खेतों तक पहुंचाने के लिए पाइप लाइन डाली जाएगी। सिंचाई की ड्रिप व स्प्रिंकलर तकनीक को अपनाया जाएगा। किसानों को सिंचाई के लिए एसटीपी का शोधित जल सस्ते दर पर दिया जाएगा।

पार्क और डिवाइडर के पौधों भी शोधित जल से होंगे हरे-भरे

तैयारी ये भी है कि 72 एमएलडी एसटीपी का शोधित जल शहर के पार्कों व डिवाइडरों पर लगे पौधों की सिंचाई में भी उपयोग में लाया जाए। सड़क पर शोधित जल का ही छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए जलनिगम एसटीपी पर एक वाटर कलेक्शन टैंक बनाएगा। यहीं से टैंकरों में शोधित जल भरकर उपयोग में लाया जाएगा।

30 साल पहले थी ये व्यवस्था

करीब 30 साल पहले हापुड़ रोड स्थित कमेला पंपिंग स्टेशन से सीवेज के पानी से लिसाड़ी गांव के आसपास खेतों की सिंचाई होती थी। पंपिंग स्टेशन पर एक बड़ी टंकी के जरिए छानकर सीवेज का पानी खेतों में पहुंचाया जाता था। क्योंकि उस समय एसटीपी नहीं थे। लेकिन बढ़ते शहरीकरण में यह व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो गई।

इन्‍होंने बताया...

शासन के निर्देशानुसार पेयजल से सड़कों पर छिड़काव, पार्क व डिवाइडर के पौधों की सिंचाई की व्यवस्था को खत्म करना है। एसटीपी का शोधित जल इन कामों में उपयोग में लाना है। करीब 22 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई है। इससे भविष्य में बड़ी मात्रा में पेयजल बर्बादी रुकेगी।

- मोहित वर्मा, परियोजना प्रबंधक, जलनिगम नागर इकाई।

 


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