मातृवेदी के बलिदानी : लगन की ‘जंग’...पूरी पीढ़ी पर चढ़ा फौजी रंग Meerut News
खुद फौजी बनकर देशसेवा की कसक मन में रह गई तो परिजनों ने वर्दी का ख्वाब बच्चों के इर्द-गिर्द बुनना शुरू कर दिया। इसे पूरा करने में पूरी शिद्दत से जुटे भी रहे।
By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 11:13 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 11:13 AM (IST)
मेरठ, [अमित तिवारी]। खुद फौजी बनकर देशसेवा की कसक मन में रह गई तो परिजनों ने वर्दी का ख्वाब बच्चों के इर्द-गिर्द बुनना शुरू कर दिया। इसे पूरा करने में पूरी शिद्दत से जुटे भी रहे। बच्चों ने भी इस ख्वाब को साकार करने की खातिर जी-जान लगा दिया। मेहनत रंग लाई और उम्मीदों के दीये जल उठे। यह ख्वाब देखा था मूलरूप से जंगेठी निवासी जल सिंह चौधरी और उनकी पत्नी अनीता सिंह ने। उद्देश्य साफ-सुथरा था और लक्ष्य स्पष्ट, लिहाजा ये सतरंगी सपने हकीकत में तब्दील होते गए। दोनों बेटे व बहू के बाद भतीजे, दामाद सहित एक ही पीढ़ी में सात सैन्य अफसर बन गए।
रंग लाई माता की मेहनत
भारत सरकार में सामाजिक सुरक्षा अधिकारी के तौर पर कार्यरत जल सिंह चौधरी के अनुसार, उनकी पत्नी अनीता ने शुरू से ही बच्चों को सेना में भेजने का सपना देखा था। लगन के साथ आगे बढ़ते हुए उनके इकलौते बेटे अंकुर सबसे पहले वर्ष 2009 में वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर नियुक्त हुए। वहीं पर अंकुर की मुलाकात स्क्वाड्रन लीडर दीक्षा चौधरी से हुई। विचारों का संगम हुआ तो उन्हें अपनी जीवन संगिनी बना लिया। बड़े भाई व भाभी के बाद अंकुर के चचेरे भाई अंकित चौधरी ने भी सेना का रुख किया और एनडीए और आइएमए से निकलकर कैप्टन बने। डीएमए स्कूल में उनकी सहपाठी रहीं कनिका मिश्र को भी अंकित ने सीडीएस के जरिए सेना में आने के लिए प्रेरित किया और वह भी साफ्टवेयर इंजीनियरिंग छोड़कर सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं। बाद में दोनों ने विवाह कर लिया।
परिवार से बाहर भी निकली प्रेरणा
जल सिंह के अनुसार, अंकुर के साथ शुरू हुई यह परंपरा उनकी ससुराल तक पहुंची। उनके साले अनिल चौधरी ने भी सेना से सेवानिवृत्त होकर श्रम मंत्रालय ज्वाइन किया। उनकी बेटी गरिमा चौधरी मेडिकल क्षेत्र से एसएसबी के जरिए कैप्टन बनीं। गरिमा मेरठ मेडिकल कालेज में चार विषयों में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं थीं। गरिमा का विवाह पूर्व सैनिक श्यामवीर सिंह के पुत्र मेजर अंकित डांगी से हुआ। अंकित के ममेरे भाई वरुण चौधरी और विजेंद्र पंवार भी सेना और वायु सेना में शामिल हुए। अब जल सिंह की बेटी कर्निका चौधरी एमएससी फिजिक्स कर वायु सेना और गरिमा के भाई वैभव मेडिकल क्षेत्र से सेना का रुख कर रहे हैं।
रंग लाई माता की मेहनत
भारत सरकार में सामाजिक सुरक्षा अधिकारी के तौर पर कार्यरत जल सिंह चौधरी के अनुसार, उनकी पत्नी अनीता ने शुरू से ही बच्चों को सेना में भेजने का सपना देखा था। लगन के साथ आगे बढ़ते हुए उनके इकलौते बेटे अंकुर सबसे पहले वर्ष 2009 में वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर के पद पर नियुक्त हुए। वहीं पर अंकुर की मुलाकात स्क्वाड्रन लीडर दीक्षा चौधरी से हुई। विचारों का संगम हुआ तो उन्हें अपनी जीवन संगिनी बना लिया। बड़े भाई व भाभी के बाद अंकुर के चचेरे भाई अंकित चौधरी ने भी सेना का रुख किया और एनडीए और आइएमए से निकलकर कैप्टन बने। डीएमए स्कूल में उनकी सहपाठी रहीं कनिका मिश्र को भी अंकित ने सीडीएस के जरिए सेना में आने के लिए प्रेरित किया और वह भी साफ्टवेयर इंजीनियरिंग छोड़कर सेना में लेफ्टिनेंट बन गईं। बाद में दोनों ने विवाह कर लिया।
परिवार से बाहर भी निकली प्रेरणा
जल सिंह के अनुसार, अंकुर के साथ शुरू हुई यह परंपरा उनकी ससुराल तक पहुंची। उनके साले अनिल चौधरी ने भी सेना से सेवानिवृत्त होकर श्रम मंत्रालय ज्वाइन किया। उनकी बेटी गरिमा चौधरी मेडिकल क्षेत्र से एसएसबी के जरिए कैप्टन बनीं। गरिमा मेरठ मेडिकल कालेज में चार विषयों में गोल्ड मेडलिस्ट रहीं थीं। गरिमा का विवाह पूर्व सैनिक श्यामवीर सिंह के पुत्र मेजर अंकित डांगी से हुआ। अंकित के ममेरे भाई वरुण चौधरी और विजेंद्र पंवार भी सेना और वायु सेना में शामिल हुए। अब जल सिंह की बेटी कर्निका चौधरी एमएससी फिजिक्स कर वायु सेना और गरिमा के भाई वैभव मेडिकल क्षेत्र से सेना का रुख कर रहे हैं।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें