2031 महायोजना की बुनियाद रखेगा भूकंपीय सर्वेक्षण
सिस्मिक माइक्रोजोनेशन की रिपोर्ट के आधार पर आवासीय और कामर्शियल भवनों की ऊंचाई तय होगी। सोफीपुर, जिटौली, जुर्रानपुर जैसे क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतें बन चुकी हैं।
मेरठ (ओम बाजपेयी) : दो साल से चल रहा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) का सर्वेक्षण नए मेरठ के निर्माण की ठोस बुनियाद रखेगा। इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही 2031 की महायोजना का ताना बाना बुना जाएगा।
जीएसआइ की सिस्मिक माइक्रोजोनेशन रिपोर्ट से सर्वेक्षण के दायरे में लिए गए सभी 28 माइक्रोजोन की धरा का पूरा आकलन होगा। हर क्षेत्र की भूमि की प्रकृति के आधार पर वहां शहरीकरण और विकास की योजना बनाई जाएगी। महायोजना में उसी आधार पर इमारतों की ऊंचाई और निर्माण संबंधी मानक निर्धारित किए जाएंगे। सिस्मोग्राफी मैप के आधार पर एमडीए और आवास विकास परिषद जैसी संस्थाएं आवासीय और कामर्शियल निर्माणों के नक्शे स्वीकृत करेंगी। चिंताजनक बात यह है कि जहां कई-कई मंजिला इमारतें खड़ी हो गई हैं और जहां की मिट्टी में रेत बहुतायत में मिला है उनका क्या होगा। बताते चलें कि सोफीपुर, गंगानगर, हापुड़ रोड, मोदीपुरम, जिटौली जैसे क्षेत्र हाईवे से सटे हैं और यहां पर दर्जनों बहुमंजिला इमारतें परवान चढ़ चुकी हैं।
शहरीकरण के नए केंद्रों की बुनियाद टटोली
सूक्ष्म भूकंपीय सर्वेक्षण की रिपोर्ट में मेरठ जनपद को 28 माइक्रो जोन में बांटा गया है। सर्वेक्षण में उन क्षेत्रों को लिया गया है जहां पर तेजी से शहरीकरण हो रहा है। रैपिड, मेट्रो, डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर जैसी योजनाएं दिल्ली-देहरादून बाईपास, दौराला, मोदीपुरम से गुजरेंगी, इसलिए इन स्थानों को विशेष रूप से चयनित किया गया है। एमडीए की दौराला महायोजना के लिए प्रस्तावित गांव दौराला, लावड़ आदि इसमें शामिल हैं। इसी तरह बिजली बंबा बाईपास में जुर्रानपुर, गंगानगर, सैनी समेत शहरीकरण के दायरे में आने वाले गांवों में गहन सर्वेक्षण हुआ है।
जीएसआइ की टीम ने 28 माइक्रो जोन में खोदाई, अलग-अलग सतहों का परत दर परत अध्ययन, अलग-अलग सतहों से मिट्टी के सैंपल लेने जैसे कार्य कुछ दिन पूर्व ही समाप्त किए हैं। अब प्रयोगशाला में मिट्टी के सैंपल की जांच चल रही है।
इन 28 माइक्रोजोन में हुई सैंपलिंग
जीएसआइ की ड्रिलिंग यूनिट के शिविर प्रभारी वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि परतापुर और सैनिक विहार में 60-60 मीटर तक खोदाई की और 26 स्पाट पर 30-30 मीटर गहरी खोदाई कर अध्ययन किया गया है।
1, गंगानगर
2, दुल्हैड़ा
3, रामपुर पावटी
4, परतापुर
5 पावली खुर्द
6, सैनिक विहार
7, रेस कोर्स
8, रिठानी
9, बज्जेवास
10, साबुन गोदाम
11 दौराला
12, मोदीपुरम
13, सोफीपुर
14, गांधी बाग
15, नौचंदी
16, जुर्रानपुर
17, अनवारी
18, संधौली
19, मामेपुर
20, चौधरी चरण सिंह विवि
22, जलालपुर
23, सैनी
24, इस्लामाबाद छिलौरा
25, दतौली
26, हाजीपुर
27, लावड़
28, जिटौली
मेरठ विकास प्राधिकरण के सहायक नगर नियोजक गोर्की कौशिक ने बताया कि जीएसआइ की रिपोर्ट तैयार हो जाने के बाद हमारे पास जनपद के हर क्षेत्र विशेष की भूगर्भ की प्रकृति की पूरी जानकारी होगी। महायोजना 2031 में इसके आधार पर सुरक्षित विकास का खाका तैयार हो सकेगा।