आरट्रैक आने के बाद कैंट एरिया में सुरक्षा का नया खाका तैयार करेगी सेना
मेरठ कैंट एरिया में आर्मी ट्रेनिंग कमांड (आरट्रैक) आने के बाद छावनी की सुरक्षा का नया खाका तैयार किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 10:13 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 10:13 AM (IST)
मेरठ, [अमित तिवारी]। मेरठ छावनी में आर्मी ट्रेनिंग कमांड (आरट्रैक) आने के बाद छावनी की सुरक्षा का नया खाका तैयार किया जाएगा। कमांड और इसके आस-पास के क्षेत्र को और अधिक सुरक्षित करते हुए यहां आम लोगों की आवाजाही पर रोक भी लगाई जा सकती है। कमांड मुख्यालय और ट्रेनिंग के लिए चिन्हित स्थानों को भी बाहरी लोगों की पहुंच से दूर रखा जाएगा। सुरक्षा के लिहाज से आमतौर पर सेना छावनी को पांच जोन और 11 सेक्टर में विभाजित कर सुरक्षा के मापदंड तय करती है।
दोनों डिवीजन पर समान जिम्मेदारी
छावनी की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी वर्तमान में पाइन डिवीजन और चार्जिग रैम डिवीजन पर बराबर है। छावनी के विभिन्न हिस्सों को पाइन डिव के अंतर्गत आने वाली यूनिट सुरक्षा घेरे में रखती हैं तो शेष की जिम्मेदारी चार्जिग रैम डिवीजन की ब्रिगेड और यूनिटों के पास है। समय-समय पर पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय की ओर से की जाने वाली सिक्योरिटी डिल में दोनों डिवीजन की ओर से सैन्य ब्रिगेड व यूनिटें हिस्सा लेती हैं। कुछ स्थानों पर दोनों अलग-अलग डिल करते हैं तो कुछ जगहों पर यह डिल संयुक्त होती है।
अब चार्जिग रैम को मिलेगी जिम्मेदारी
आर्मी ट्रेनिंग कमांड के मेरठ छावनी में आने पर इसका मुख्यालय पाइन डिवीजन के मुख्यालय में बनने जा रहा है। कमांड के आने के साथ ही डिव को छावनी से अन्यत्र ले जाने की योजना है। ऐसे में पूरी छावनी की जिम्मेदारी चार्जिग रैम डिवीजन पर आ सकती है। इसलिए रैम डिवीजन की ओर से पूरी छावनी के लिए सुरक्षा का खाका तैयार करना होगा। इसमें छावनी में तैनात अधिकतर सैन्य यूनिटों को शामिल किया जा सकता है,ताकि कमांड के साथ ही छावनी की सुरक्षा का घेरा भी मजबूत किया जा सके। सेना की ओर से की जा रही प्राथमिक तैयारियों में पाइन डिव के बाद कोई और डिव मेरठ आएगी या नहीं इस पर निर्णय नहीं लिया गया है।
जासूसों के रडार पर रही है छावनी
सेना मुख्यालय के निकट और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मेरठ छावनी हमेशा से दुश्मन जासूसों के रडार पर रही है। छावनी और आस-पास के क्षेत्रों से पहले भी कई बार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के जासूस पकड़े जा चुके हैं। इस साल के शुरुआत में सेना के सिग्नल रेजिमेंट का एक जवान भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था। ऐसे में ट्रेनिंग कमांड के आने के बाद यहां गतिविधियां बढ़ सकती हैं। सेना की ओर से इस बात को भी ध्यान में रखते हुए सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता किया जाएगा।
छावनी की फेंसिंग हुई पूरी
छावनी में आम जनता की चहल-पहल अधिक रहती है। कैंट क्षेत्र चारों तरफ से खुला होने के कारण भी यहां सुरक्षा को लेकर चुनौती बनी रहती है। इसीलिए सेना ने कुछ साल पहले छावनी के प्रमुख रास्तों पर गेट लगाए थे,ताकि जरूरत पड़ने पर इसे अविलंब सुरक्षा घेरे में लिया जा सके। अब एक बार फिर मध्य कमांड के सहयोग से छावनी के सभी प्रमुख सैन्य ठिकानों, यूनिटों व रिहायशी कालोनियों को फेंसिंग के दायरे में ले लिया गया है। छावनी में पिछले कुछ महीनों से चल रही करीब 50 किलोमीटर तक की फेंसिंग का काम अब पूरा हो चुका है।
दोनों डिवीजन पर समान जिम्मेदारी
छावनी की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी वर्तमान में पाइन डिवीजन और चार्जिग रैम डिवीजन पर बराबर है। छावनी के विभिन्न हिस्सों को पाइन डिव के अंतर्गत आने वाली यूनिट सुरक्षा घेरे में रखती हैं तो शेष की जिम्मेदारी चार्जिग रैम डिवीजन की ब्रिगेड और यूनिटों के पास है। समय-समय पर पश्चिम यूपी सब-एरिया मुख्यालय की ओर से की जाने वाली सिक्योरिटी डिल में दोनों डिवीजन की ओर से सैन्य ब्रिगेड व यूनिटें हिस्सा लेती हैं। कुछ स्थानों पर दोनों अलग-अलग डिल करते हैं तो कुछ जगहों पर यह डिल संयुक्त होती है।
अब चार्जिग रैम को मिलेगी जिम्मेदारी
आर्मी ट्रेनिंग कमांड के मेरठ छावनी में आने पर इसका मुख्यालय पाइन डिवीजन के मुख्यालय में बनने जा रहा है। कमांड के आने के साथ ही डिव को छावनी से अन्यत्र ले जाने की योजना है। ऐसे में पूरी छावनी की जिम्मेदारी चार्जिग रैम डिवीजन पर आ सकती है। इसलिए रैम डिवीजन की ओर से पूरी छावनी के लिए सुरक्षा का खाका तैयार करना होगा। इसमें छावनी में तैनात अधिकतर सैन्य यूनिटों को शामिल किया जा सकता है,ताकि कमांड के साथ ही छावनी की सुरक्षा का घेरा भी मजबूत किया जा सके। सेना की ओर से की जा रही प्राथमिक तैयारियों में पाइन डिव के बाद कोई और डिव मेरठ आएगी या नहीं इस पर निर्णय नहीं लिया गया है।
जासूसों के रडार पर रही है छावनी
सेना मुख्यालय के निकट और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मेरठ छावनी हमेशा से दुश्मन जासूसों के रडार पर रही है। छावनी और आस-पास के क्षेत्रों से पहले भी कई बार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के जासूस पकड़े जा चुके हैं। इस साल के शुरुआत में सेना के सिग्नल रेजिमेंट का एक जवान भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के लिए जासूसी के आरोप में पकड़ा गया था। ऐसे में ट्रेनिंग कमांड के आने के बाद यहां गतिविधियां बढ़ सकती हैं। सेना की ओर से इस बात को भी ध्यान में रखते हुए सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता किया जाएगा।
छावनी की फेंसिंग हुई पूरी
छावनी में आम जनता की चहल-पहल अधिक रहती है। कैंट क्षेत्र चारों तरफ से खुला होने के कारण भी यहां सुरक्षा को लेकर चुनौती बनी रहती है। इसीलिए सेना ने कुछ साल पहले छावनी के प्रमुख रास्तों पर गेट लगाए थे,ताकि जरूरत पड़ने पर इसे अविलंब सुरक्षा घेरे में लिया जा सके। अब एक बार फिर मध्य कमांड के सहयोग से छावनी के सभी प्रमुख सैन्य ठिकानों, यूनिटों व रिहायशी कालोनियों को फेंसिंग के दायरे में ले लिया गया है। छावनी में पिछले कुछ महीनों से चल रही करीब 50 किलोमीटर तक की फेंसिंग का काम अब पूरा हो चुका है।
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