सुरक्षा व्यवस्था : बैंकों के लॉकर में महफूज है सुकून Meerut News
शहर की सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए ऐसा लगने लगा है कि अब तो बैंक के लॉकर में रखा पैसा भी सुरक्षित नहीं रह गया है। पुलिस को व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है।
मेरठ, जेएनएन। अपने कीमती सामान और दस्तावेज को सुरक्षित रखने के लिए अमूमन बैंकों के लॉकर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बैंकों में लॉकर लेने की प्रवृत्ति बताती है कि आपका शहर कितना सुरक्षित है। मेरठ जैसे शहर में पुलिस कानून व्यवस्था को लेकर चाहे कितना भी दावा करे और दंभ भरे, लेकिन बैंकों में लॉकर लेने की संख्या को देखते हुए लगता है कि लोग अपनी कीमती चीजें घर में रखने की जगह बैंक के लॉकर में रख रहे हैं। इसे देखते हुए ज्यादातर बैंकों के लॉकर में प्रतीक्षा सूची चल रही है।
बैंकों में तीन तरह के लॉकर होते हैं। इसमें स्माल, मीडियम और बिग साइज शामिल हैं। मेरठ में सबसे अधिक मांग छोटे साइज के लॉकर की है। मेरठ के ज्यादातर बैंकों के आवासीय क्षेत्र में जो भी ब्रांच हैं, उनके लॉकर भरे पड़े हैं। बहुत से बैंकों के लॉकर काफी समय से नहीं खोले गए हैं, जिन्हें बैंकों की ओर से समय-समय पर नोटिस भेजा रहा है। शहर में बैंकों की ओर ग्राहकों को यह जानकारी तो दी जाती है कि इस ब्रांच में लॉकर हैं, लेकिन लॉकर खाली है या नहीं, इसकी जानकारी नहीं दी जाती है। ग्राहकों को ब्रांच के मैनेजर की इच्छा पर ही लॉकर मिलता है। लॉकर की उपलब्धता को लेकर पारदर्शिता न होने की वजह से ग्राहकों को परेशानी भी हो रही है। बैंक के अधिकारियों की मानें तो बैंक में कुछ लॉकर रिजर्व रखा जाता है, जो ग्राहकों के जरूरत को देखते हुए दिया जाता है।
ग्राहक सालभर में एक बार जरूर खोलें लॉकर
बैंक के लॉकर में जो भी रखा जाता है। उसकी जानकारी केवल ग्राहक को होती है। बैंक के अधिकारी उसके विषय में नहीं जानते हैं। लॉकर को लेकर आरबीआइ की ओर से कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं। नए नियम के तहत ग्राहक को साल में एक बार बैंक लॉकर को खोलना जरूरी है। लंबे समय तक लॉकर न खुलने पर बैंक नोटिस देकर उसे खोल सकता है। तीन साल तक लॉकर न खोलने पर ग्राहक को पूरी कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी, तभी वह लॉकर खोल पाएंगे। लॉकर को लेकर ग्राहकों की जवाबदेही बनाने के लिए स्टेट बैंक की ओर से लॉकर का किराया लेने के लिए फिक्स डिपाजिट भी कराया जा रहा है।