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नई शिक्षा व्यवस्था में स्कूलों के टॉपर बनेंगे बच्चों के ‘ट्यूटर’, ऐसे बचेगा कोचिंग का खर्च

नई शिक्षा नीति में देश भर में एक राष्ट्रीय ट्यूटर्स कार्यक्रम शुरू होगा। इसमें स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को ट्यूटर्स के रूप में सप्ताह में पांच घंटे देंगे।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 04:03 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 04:03 PM (IST)
नई शिक्षा व्यवस्था में स्कूलों के टॉपर बनेंगे बच्चों के ‘ट्यूटर’, ऐसे बचेगा कोचिंग का खर्च
नई शिक्षा व्यवस्था में स्कूलों के टॉपर बनेंगे बच्चों के ‘ट्यूटर’, ऐसे बचेगा कोचिंग का खर्च
मेरठ, [अमित तिवारी]। हर स्कूल में कुछ ऐसे बच्चे जरूर होते हैं जिन्हें कक्षा से अतिरिक्त पढ़ने-पढ़ाने की जरूरत होती है। ऐसे बच्चों को मदद पहुंचाने और मेधावी बच्चों को प्रतिभाग का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करने के लिए स्कूलों में एक नई व्यवस्था शुरू की जाएगी। नई शिक्षा नीति के अनुसार देश भर में एक राष्ट्रीय ट्यूटर्स कार्यक्रम (एनटीपी) शुरू होगा। इसमें स्कूल में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले बच्चों को ट्यूटर्स के रूप में सप्ताह में पांच घंटे के लिए इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। यह बच्चे निचली कक्षाओं के बच्चों के लिए ट्यूटर का काम करेंगे।
बनेंगी पूर्व प्राथमिक शालाएं
केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत तीन से छह साल के बच्चों को शिक्षण से जोड़ने के लिए पूर्व प्राथमिक शालाएं बनाई जाएंगी। जिन प्राथमिक विद्यालयों में आंगनवाड़ी केंद्र हैं, वहां उन्हें प्राथमिक विद्यालय से जोड़ते हुए व्यवस्थित किया जाएगा। जहां आंगनवाड़ी केंद्र नहीं हैं वहां प्राथमिक विद्यालयों में ही पूर्व प्राथमिक शालाएं बनाई जाएंगी। स्वास्थ्य, पोषण और बच्चों के विकास पर ध्यान देने जैसी आवश्यक सेवाओं के द्वारा इस पूर्व प्राथमिक शालाओं को सहायता प्रदान की जाएगी।
बचेगा कोचिंग का खर्च भी
स्कूलों में हर कक्षा में कुछ ऐसे बच्चे होते ही हैं जिन्हें कक्षा से अतिरिक्त पढ़ने-पढ़ाने की जरूरत होगी है। ऐसे में इस बच्चों को स्कूल में ही कोचिंग मिलने से बाहर उन्हें कोचिंग पर अतिरिक्त रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही शिक्षकों के मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम के दौरान ट्यूटर बने बच्चों के कांसेप्ट को भी परखा जाएगा, कि उन्होंने विभिन्न बिंदुओं को महज रटा है या फिर समझा भी है।
दो बार मिलेगा मिड-डे मील
मिड-डे मील की व्यवस्था को और विस्तार दिया जाएगा। इसमें पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को पौष्टिक नाश्ता (दूध और एक केला) के बाद दोपहर में भोजन दिया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि विशेष तौर पर वंचित पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच के समय को अधिक उत्पादक बनाने में मदद करेगा। भोजन की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सुबह और दोपहर के भोजन पर होने वाले खर्च को महंगाई घटने-बढ़ने के अनुसार तय किया जाएगा जिससे गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।
प्रदेश स्तर पर मिलेगा प्रमाण पत्र
एनटीपी कार्यक्रम के अंतर्गत पीयर ट्यूटर के रूप में चुना जाना एक सम्मान जनक स्थिति माना जाएगा। ऐसे बच्चों का चयन स्कूलों की ओर से विशेष तौर पर प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे बच्चों को प्रोत्साहित व सम्मानित करने के लिए प्रदेश स्तर पर एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस प्रमाण पत्र में यह इंगित होगा कि बच्चे ने एनटीपी कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल में कितने घंटे की सेवाएं दी हैं। इससे जहां मदद की जरूरत वाले बच्चों को स्कूल परिसर में ही ट्यूटर मिल जाएगा वहीं ट्यूटर के तौर पर चयनित बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। 

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