जर्मनी में संस्कृत सर्वाधिक लोकप्रिय, अब पढ़ रहे उर्दू भी
चौ. चरण सिंह विवि के उर्दू विभाग की ओर से आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बहुभाषाई संगोष्ठी में जर्मनी से पधारे आरिफ नकवी ने बताया कि जर्मनी के लोगों में संस्कृत भाषा का बहुत अधिक सम्मान रहा है। यह सम्मान उनमें आज से नहं बल्कि 70 के दशक में भी खूब थी।
मेरठ । चौ. चरण सिंह विवि के उर्दू विभाग की ओर से आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बहुभाषाई संगोष्ठी में जर्मनी से पधारे आरिफ नकवी ने बताया कि जर्मनी के लोगों में संस्कृत भाषा का बहुत अधिक सम्मान रहा है। यह सम्मान उनमें आज से नहं बल्कि 70 के दशक में भी खूब थी। जबकि ¨हदी व उर्दू को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1974 में उनकी उर्दू कहानी 'नया जर्मन' को लोगों से सराहना मिली तो उन्होंने उर्दू को विकसित करने के लिए खूब काम किया जिसके फलस्वरूप अब जर्मनी में लोग उर्दू को भी पसंद करने लगे हैं। अब जर्मनी में उर्दू साहित्य प्रेमी ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और यहां की जीवन शैली से भी बेहद प्रभावित हैं।
'वर्तमान सामाजिक परिवर्तन के फिक्शन पर प्रभाव' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय भाषण में प्रो. शमीम हनीफ ने कहा कि दोष भाषाओं का नहीं इंसानों का है, क्योंकि भाषाओं का मफाद नहीं होता है। इंसानों का मफाद होता है जो भाषाओं का प्रयोग करके एक-दूसरे को हानि पहुंचाता है और भाषा को धर्म व जाति के नाम पर बांट दिया जाता है। डा. सैय्यद फारुख ने कहा कि भाषाओं का आपस में संबंध होता है। इस तरह के बहुभाषाई कार्यक्रमों से लोग एक-दूसरे के करीब आएंगे जिससे सशक्त भारत का निर्माण होगा। विवि के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि भाषाएं प्रेम का संदेश देती हैं और आशा है कि संगोष्ठी में उपस्थित हर भाषा से जुड़े साहित्यकार उसी प्रेम का संदेश लेकर लौटेंगे। प्रो. असलम जमशेदपुरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा से सभी को परिचित कराया।
नज्मों पर थिरकीं छात्राएं
कार्यक्रम की शुरुआत में एपीजे अब्दुल कलाम पब्लिक स्कूल के बच्चों ने अल्लामा इकबाल की नज्म 'लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी', इस्माइल गर्ल्स इंटर कालेज की छात्राओं ने इस्माइल मेरठी की नज्म 'सुबह की आमद' और भवानी डिग्री कालेज शाहजहांपुर ने कव्वाली 'भर दो झोली मेरी या मुहम्मद' पर प्रस्तुति दी। शाम को शाम-ए-गजल कार्यक्रम में फनकार व गजल गायक मुकेश तिवारी ने कार्यक्रम पेश किया। मुख्य अतिथि के तौर पर अमेरिका से आए सरदार अली के अलावा डा. मेराजुद्दीन अहमद, डा. हासिम रजा जैदी और हाजी इमरान सिद्दीकी उपस्थित रहे। मुकेश तिवारी ने हफीज मेरठी, दानिश अली गढ़ी, हक्की हिजी, हसरत मोहाली की गजलों को पेश किया।