मेरठ के 32 नगरों में संघ ने निकाला पथ संचलन
विजयादशमी के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मेरठ महानगर के 32 नगरों में पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित किया। मेरठ
मेरठ, जेएनएन। विजयादशमी के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मेरठ महानगर के 32 नगरों में पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता शामिल हुए। तीन स्थानों पर प्राथमिक शिक्षा वर्ग भी संपन्न हुआ। बौद्धिक में वक्ताओं ने मां दुर्गा के हाथों में शस्त्र और शास्त्र दोनों होने का उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि हिन्दुत्व को मजबूत समाज बनाने के लिए आगे आने की अपील की।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में प्रतिभाग किया। जगह-जगह लोगों ने फूल मालाओं की वर्षा कर उनका स्वागत किया। शस्त्र पूजा की गई। बैंड की धुन पर स्वयंसेवकों ने कदमताल किया। डा. नीरज सिंघल ने बौद्धिक में कहा कि घोड़े, हाथी या शेर की कभी बलि नहीं दी जाती, बल्कि कमजोर पशु बकरा ही इसका शिकार होता रहा है। कारण, दुर्बल पर ही आक्रमण होता है, ऐसे में शक्तिशाली समाज बेहद जरूरी है। शास्त्रीनगर, गंगानगर एवं शताब्दीनगर में प्राथमिक शिक्षा वर्ग लगा। माधवकुंज छात्रावास, विद्यालय व मंदिर के प्रमुख संतराम ने कहा कि विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। सदैव धर्म का पालन करना चाहिए। राष्ट्रहित सर्वोपरि है। क्षेत्र संघचालक डा. सूर्यप्रकाश टांक और अजय मित्तल ने बौद्धिक में कहा कि 1925 में विजयदशमी के दिन डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उनकी प्रेरणा से समाज से जात-पात और भेदभाव समाप्त करने की दिशा में बड़ा काम हुआ। पथ संचलन में प्रमुख रूप से कृष्ण गोपाल (नगर संघचालक) राघवेंद्र (सह भाग कार्यवाह), सुमित (नगर कार्यवाह), गोपाल शर्मा विहिप, अंकित गोयल (नगर शारीरिक प्रमुख) व अन्य सैकड़ों स्वयंसेवक उपस्थित रहे। उधर, गंगानगर में विद्या भारती के प्रांत संगठन मंत्री तपन ने स्वयंसेवकों को बौद्धिक संबोधन में कहा कि 2014 में जो देश में हुआ वो आजादी से भी बड़ी बात थी। स्वयंसेवकों ने एच-ब्लॉक, आइ-ब्लॉक, जेजी, एफ व जीपी ब्लॉक होते हुए घोष के साथ पथ संचलन निकाला। पूर्व महापौर हरिकांत अहलूवालिया, विनोद राणा, संजीव शर्मा, कपिल शर्मा, व कमल राठी आदि मौजूद रहे। सरधना रोड स्थित महावीर एजुकेशनल पार्क में ढाई सौ से ज्यादा स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया। वक्ताओं ने समाज के चरित्र निर्माण पर जोर दिया।