शाबाश उर्मिला! चुनौतियों को हराकर बेटियों को जिता दिया
बेशक, बेटियां आज किसी से कम नहीं लेकिन कुंद समाज की सोच किसी भी सूरत-ए-हाल इस सच को स्वीकारना नहीं चाहती।
मेरठ। बेशक, बेटियां आज किसी से कम नहीं लेकिन कुंद समाज की सोच किसी भी सूरत-ए-हाल इस सच को स्वीकारना नहीं चाहती। उर्मिला के साथ भी ऐसा ही हुआ। पति के असमय निधन के बाद जिंदगी सूखे तिनकों की तरह बिखर गई। सामने थी पहाड़ सी जिंदगी और चुनौती थी चार बेटियों के भविष्य की। कदम-कदम पर आर्थिक संकट और पग-पग पर बेटियां होने के ताने..। ऐसे हालात में किसी महिला के दुखों की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। पर, मुश्किलों के दोराहे पर खड़ी उर्मिला ने हार नहीं मानी और चुनौतियों के आगे तनकर खड़ी हो गई। आज उनकी चारों बेटियां कामयाब हैं। उर्मिला, धन्य हैं तुम्हारी बेटियां और धन्य हो तुम, जिसने ऐसा बेटियां जनीं।
ऐसे टूटा दुखों का पहाड़
साहस और धैर्य की यह कहानी है फूलबाग कॉलोनी निवासी उर्मिला त्यागी (59) की। उर्मिला की सिर्फ चार बेटियां हैं। बेटों की चाह न तो उर्मिला को रही और न उनके पति को। 21 साल पहले हार्ट अटैक से पति विजय कुमार त्यागी का निधन हुआ तो जिंदगी में दुखों के पहाड़ टूट पड़े। शादी के बाद सबकुछ हंसी-खुशी चल रहा था लेकिन इस अनहोनी ने उर्मिला को विचलित कर दिया। उस समय चारों बेटियां छोटी थीं। बड़ी बेटी 12वीं कक्षा में थी जबकि सबसे छोटी छठी में।
ऐसे बटोरा साहस
उर्मिला ने कुछ समय तक पति के ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय को भी संभाला। एक-एक चीज को समझा और देखा लेकिन अनुभव नहीं होने के कारण कदम-कदम पर चुनौतियां मिलीं। तमाम लोग उनके रास्ते में अवरोध पैदा करते रहे लेकिन वह उद्देश्य से डिगीं नहीं।
स्कूल खोलकर शुरू किया शिक्षण
दो विषय में एमए उर्मिला ने इसके बाद घर पर ही एक स्कूल खोलकर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। अपनी चारों बेटियों की पढ़ाई में खुद को झोंक दिया। कई बार आर्थिक दिक्कतें भी आई। कई बार तो लोगों ने उन्हें बेटियां होने का भी ताना दिया लेकिन उर्मिला ने न तो खुद को टूटने दिया और न बेटियों को यह महसूस होने दिया कि वे बेटियां होने के कारण किसी से कमतर हैं।
रंग लाई मेहनत
उर्मिला ने लोगों की बातों पर ध्यान देने के बजाय बेटियों पर ही ध्यान दिया। इसके बाद मेहनत रंग लाने लगी। आज उनकी दो बेटियां शिवानी और मीनाक्षी शिक्षिका हैं। तीसरे नंबर की बेटी शालिनी स्विट्जरलैंड में हैं जबकि सबसे छोटी बेटी शैलजा गुड़गांव में किसी फार्मा कंपनी में हैं। उर्मिला कहती हैं कि उन्हें कभी बेटे की चाह नहीं रही। उनकी बेटियां ही बेटों से बढ़कर हैं। उन्हें ऐसी बेटियों की मां होने पर गर्व है।