गन्ने के साथ सहफसली की खेती से मालामाल हो रहे मेरठ के किसान, इन फसलों को साथ लगाने से हो रहा मुनाफा
Sahfasli Kheti Profits आजकल किसान गन्ने के साथ सहफसली खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। फसल खराब भी हो जाए तो उसके नुकसान की भरपाई दूसरी उपाय से हो सकती है। अतः जहां तक संभव हो सहफसल खेती किसानों को लगाना चाहिए।
मेरठ, जेएनएन। सहफसली योजना किसानों के साथ उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने में कारगर सिद्ध हो रही है। एक ही खेत में एक से अधिक फसलें पुरानी परंपरा है - जैसे गेहूं चना एक साथ उगाना। मुख्य फसल की दो पंक्तियों के बीच में जल्दी पकने और बढ़ने वाली धनी फसलें बोई जा सकती हैं। स्तंभ आकार औषधि पौधे जो बड़े हैं उनके नीचे बेल वाली जैसे करेला और पहुंच आदि की फसलें लगा सकते हैं। छाया की आवश्यकता वाली फसलें अदरक सफेद मूसली अश्वगंधा हल्दी आदि लगाकर अधिकतम भूमि का प्रयोग करके उत्पाद की गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध लाभ बढ़ाया जा सकता है। किसी कारणवश एक फसल खराब भी हो जाए तो उसके नुकसान की भरपाई दूसरी उपाय से हो सकती है। अतः जहां तक संभव हो सहफसल खेती किसानों को लगाना चाहिए। आजकल किसान गन्ने के साथ सहफसली खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
भूमि में बढ़ाएं नाइट्रोजन खाद
कृषि विश्वविद्यालय मोदीपुरम के विज्ञानी डा. आरएस सेंगर का कहना है कि लगातार धान गेहूं और आलू की खेती करने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है।इसलिए फसल चक्र में दाल वाली फसलें शामिल करने से प्रति बीघा 25 से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन खाद की वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ती है, इसलिए फसल चक्र को जरूर अपनाना चाहिए। इसके अलावा किसानों को कार्बनिक खेती पर अर्थात प्राकृतिक खेती पर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि उससे कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल जाता है। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट यानि केंचुआ खाद और नीम या मूंगफली आदि की खली के प्रयोग से मिट्टी में जीवाणुओं की वृद्धि होती है।