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अंग्रेजों के जमाने की कोठी में शूट होगा दादी चंद्रो और प्रकाशो का बचपन

शूटर दादी चंद्रो और प्रकाशो के जीवन पर बन रही फिल्म सांड़ की आंख की शूटिंग अब मेरठ के गांव में चल रही है। यहां दादी चंद्रो और प्रकाशो का बचपन फिल्माया जा रहा है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 11:36 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 11:36 AM (IST)
अंग्रेजों के जमाने की कोठी में शूट होगा दादी चंद्रो और प्रकाशो का बचपन
अंग्रेजों के जमाने की कोठी में शूट होगा दादी चंद्रो और प्रकाशो का बचपन
मेरठ, [पंकज त्यागी]। बागपत के जौहड़ी गांव की शूटर दादी चंद्रो और प्रकाशी तोमर पर बन रही बायोपिक ‘सांड़ की आंख’ में धनपुर गांव की ब्रिटिशकालीन 100 साल पुरानी सेठ ओमप्रकाश शर्मा की कोठी भी दिखाई देगी। लखोरी ईंटों से बनी कोठी में दादियों का बचपन फिल्माया जाएगा।
कौन हैं सेठ ओमप्रकाश
सेठ ओमप्रकाश शर्मा ब्रिटिशकालीन जमींदार थे। खाईखेड़ी, आसमाबाद और ललियाना समेत कई गांवों में उनकी हजारों बीघा जमीन थी और गरीबों के लिए हर वक्त दरवाजे खुले रहते थे। आजादी के आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे।

बीस कमरों की कोठी को बनने में लगे 20 वर्ष
इस कोठी का निर्माण वर्ष 1910 में शुरू हुआ था और बीस साल में बनकर तैयार हुई थी। उनके पोते रामगोपाल ने बताया कि तीन मंजिला कोठी में बीस कमरों के अलावा बरामदा भी है।
निर्देशक अनुराग कश्यप ने देखी थी कोठी की लोकेशन
मवाना के ढिकौली में पूर्व में बनी बॉलीवुड फिल्म सरोज का रिश्ता और जाको राखे साइयां भी 100 साल पुरानी कोठी में बनी थी। इस फिल्म के लिए के लिए भी ऐसी ही पुरानी कोठी की तलाश थी। फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े स्थानीय लोगों ने आठ माह पूर्व इसके फोटो मंगवाए थे। फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप खुद एक माह पूर्व यहां आए थे और लोकेशन फाइनल कर गए थे।
इंटर कालेज का मैदान में भी सीन होंगे शूट
धनपुर स्थित राष्ट्रीय इंटर कॉलेज के मैदान में भी रविवार को फिल्म शूट होगा। इसे शूटिंग रेंज के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, जहां चंद्रो व प्रकाशी निशाना साधती दिखेंगी। कालेज गेट की रंगाई पुताई के साथ मैदान की सफाई भी की गई।
हस्तिनापुर के बस्तौरा में भी होगा फिल्म शूट
कई सीन हस्तिनापुर के बस्तौरा गांव में भी शूट होंगे। डायरेक्टर ने लोकेशन फाइनल कर दी है। धनपुर के बाद यहीं फिल्म शूट होगा। फिल्म के सह निर्देशक तुषार हीरनंदानी और अंकुर ने बताया मांग के अनुसार ही लोकेशन का चयन हुआ है। अन्य जगहों पर भी फिल्म के सीन शूट होंगे।

भूमि ने तापसी पन्नू संग खेत में चलाया ट्रैक्टर
बॉलीवुड बायोपिक ‘सांड़ की आंख’ की शूटिंग शनिवार को मेरठ के धनपुर गांव में शुरू हुई। बागपत के जौहड़ी गांव की शूटर दादी चंद्रो व प्रकाशी तोमर द्वारा खेत में ट्रैक्टर चलाने और खेती से जुड़े अन्य सीन शूट किए गये। इस बीच गीत ‘कोई कुछ न करो, नटखट सी टोटली..ओ बेबी गोल्ड गोल्ड’ भी फिल्माया गया।
जौहड़ी में भी हुई थी शूटिंग
अनुराग कश्यप के निर्देशन में जौहड़ी गांव की शूटर दादी चंद्रों व प्रकाशी तोमर के जीवन पर बायोपिक ‘सांड़ की आंख’ बन रही है। बागपत में शूटिंग पूरी करने के बाद शनिवार मवाना के गांव धनपुर में सेट लगाया गया। सह निर्देशक तुषार हीरानंदानी व अंकुर सुबह आठ बजे फिल्म के सेट पर आ डटे थे। दादी चंद्रो की भूमिका निभा रही अभिनेत्री भूमि पेडनेकर व दादी प्रकाशी की भूमिका में तापसी पन्नू घाघरा-कुर्ता व ओढ़नी में थीं। ट्यूबवेल की हौज में सहेलियों के साथ अठखेलियां करते हुए पानी में नहाने का सीन शूट किया। कुछ दूरी पर गेहूं के खेत में सेट लगा। पास में बुग्गी से एक सांड़ बांधा गया। खेत के एक कोने में पुआल का ढेर लगाया गया। गेहूं की फसल में खाद डालने का सीन भी कई प्रयास में पूरा हुआ। गांव के पास ही खाली खेत में प्रकाशी दादी चंद्रों के साथ ट्रैक्टर चलाती है। वहीं, सहेलियां पास ही सरसों के खेत में नाचते हुए वापस आती हैं। शूटर सीमा तोमर भी वहां मौजूद रहीं।
साढ़े तीन मिनट के गाने के साथ खेती का शूट होगा पूरा
शूटर दादियों द्वारा खेत में की गई कड़ी मशक्कत का शूट साढ़े तीन मिनट के गाने में पूरा होगा। गाने के बीच यह सब फिल्माया गया। इंचौली पुलिस व बाउंसरों का सख्त पहरा रहा। ड्रोन द्वारा निगरानी की गई।
तीन मार्च तक चलेगी शूटिंग
जौहड़ी में लोगों के शूटिंग के दौरान घुसने के कारण कई सीन छूट गए थे। उक्त सीन यहां पूरे किए जाएंगे। इनमें दोनों दादियों के बचपन के साथ शूटिंग रेंज भी शामिल हैं।

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