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विश्वविद्यालय में लिपिक बनवाने के नाम पर तीन लाख ठगे

चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में लिपिक बनवाने के नाम पर तीन लाख रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। थाना स्तर पर कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित ने एसपी क्राइम से शिकायत की है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 08:56 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 08:56 PM (IST)
विश्वविद्यालय में लिपिक बनवाने के नाम पर तीन लाख ठगे
विश्वविद्यालय में लिपिक बनवाने के नाम पर तीन लाख ठगे

मेरठ, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में लिपिक बनवाने के नाम पर तीन लाख रुपये की ठगी का मामला प्रकाश में आया है। थाना स्तर पर कार्रवाई नहीं होने पर पीड़ित ने एसपी क्राइम से शिकायत की है। पूर्व में की गई शिकायत के आधार पर विवि के राजनीति विभागाध्यक्ष मामले की जांच कर रहे थे। कई माह बीत जाने के बाद भी आरोपित के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा आरोपित पीड़ित को धमकी भी दे रहा है। परीक्षितगढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम जिठौली निवासी धर्मेंद्र सिंह पुत्र मूलचंद स्वजन के साथ रहते हैं। वर्ष 2017 अगस्त में उन्हें अजय कुमार नाम के युवक ने काल किया। वह विवि में लिपिक के पद पर तैनात है। उसने बताया कि विवि में लिपिक की जगह खाली है। संविदा के बाद नौकरी पक्की कराने के लिए उनकी तीन लाख 12 हजार रुपये में बात तय हो गई। उन्होंने अजय को पैसे दे दिए। कई माह तक आरोपित धर्मेंद्र को टरकाता रहा। नौकरी नहीं लगने पर उन्होंने पैसे वापस मांगे तो आरोपित अजय ने उन्हें धमकाकर भगा दिया। पीड़ित ने करीब तीन माह पहले मेडिकल थाने और विवि में अजय की शिकायत की थी। उस दौरान विवि ने राजनीति विभागाध्यक्ष डा. पवन शर्मा के नेतृत्व में एक कमेटी गठित की थी। कार्रवाई नहीं होने पर गुरुवार को धर्मेद्र ने एसपी क्राइम से आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। एसपी क्राइम राम अर्ज का कहना है कि तीन महीने पहले दिए गए शिकायत पत्र के आधार पर विवि की एक टीम जांच कर रही है। गुरुवार को मामले में कार्रवाई के लिए धर्मेंद्र मिले थे। मेडिकल थाना प्रभारी प्रमोद कुमार गौतम को मामले की जांच कर निष्पक्ष कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं, राजनीति विभागाध्यक्ष डा. पवन शर्मा का कहना है कि पूर्व में दिए गए शिकायत पत्र के आधार पर टीम गठित की गई थी। टीम ने सभी तथ्यों पर बारीकी से जांच की थी। मामले की फाइनल रिपोर्ट बनाकर आगे भेज दी गई है। आगे की कार्रवाई कुलपति द्वारा की जाएगी।

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