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मोबाइल पर गेम और ताश खेलने से खराब होता है रोजा

रमजान के पहले जुमा पर कोतवाली स्थित शाही जामा मस्जिद समेत शहर की मुख्य मस्जिदों में काफी संख्या में अकीदतमंद पहुंचे। शाम को मंदिरों में लाइटों की भव्य सजावट की गई। मस्जिदों में उलेमा ने अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने की अपील की। रात में तरावीह हुई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 03:00 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 06:27 AM (IST)
मोबाइल पर गेम और ताश खेलने से खराब होता है रोजा
मोबाइल पर गेम और ताश खेलने से खराब होता है रोजा

मेरठ। रमजान के पहले जुमा पर कोतवाली स्थित शाही जामा मस्जिद समेत शहर की मुख्य मस्जिदों में काफी संख्या में अकीदतमंद पहुंचे। शाम को मंदिरों में लाइटों की भव्य सजावट की गई। मस्जिदों में उलेमा ने अल्लाह के बताए रास्ते पर चलने की अपील की। रात में तरावीह हुई।

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शहर काजी जैनुस साजिदीन ने कहा कि कारोबार से जो समय बचे उसे कुरान को पढ़ने और अल्लाह को याद करने में लगाएं। उन्होंने कहा रमजान के दौरान शरीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देखने में आता है कि लोग खाली समय में मोबाइल में मशगूल रहते हैं या टीवी देखते हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल पर बेफालतू की बातों में लगे रहना, ताश और गेम खेलना यह सब रोजा को खराब करती हैं। इंसान के अंदर एक ओर शैतानी आदतें होती हैं वहीं दूसरी फरिश्तों में पाई जाने वाली मानसिकता भी होती है। रमजान में हमें खुद को पाक बनाना चाहिए और अच्छे काम करना चाहिए। हाथ, आंख और मन से कोई गलत काम नहीं करना चाहिए। किसी भी प्रकार झगड़ा और झंझट नहीं करना चाहिए।

दिल्ली रोड स्थित शाही ईदगाह में देर रात पांच रोज शबीना पूरा हुआ। कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने दुआ कराई। उन्होंने कहा कि रमजान के दिनों में गरीब से गरीब आदमी वह नेमतें खाता है जो उसे पूरे साल नहीं मिलती। रमजान के माह में लोग बुराइयों से रुक जाते हैं जो इस माह की बरकत है। कारी अफ्फान कासमी ने शबीना सुनाया।

गुलजार ए इब्राहिम स्थित मस्जिद शैखान मे मौलाना मोहम्मद हारून ने पांच रोज शबीना पूरा किया। नायब शहर काजी जैनुर राशिदीन ने रमजान ककहा कि रमजान की पाक रातों में एक रात को कुरान 21,23,25,27 और 29 में से एक रात को कुरान पाक उतारा गया। हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम यह मोहम्मद साहब को सुनाते थे और वह उसे यादकर लेते थे। यह 23 साल में पूरा हुआ जब हुजूर मोहम्मद साहब की उम्र 40 वर्ष थी। इमलियान, बड़ी मस्जिद, मस्जिद अंसारियान में लाइटों की सजावट की गई।


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