Move to Jagran APP

टोल प्लाजा पर सेंसर तो कभी हैंडलिग मशीन से फास्टैग की रीडिंग

सिवाया टोल प्लाजा के सेंसर गाड़ी के शीशे पर लगे फास्टैग को ठीक से रीड नहीं कर पा रहे हैं। जिस वजह से टोल कर्मचारी हैंडलिग मशीन से फास्टैग को रीड करते हैं। टोल कंपनी का दावा है कि गाड़ी के शीशे पर गलत लगे फास्टैग पर सेंसर ठीक से रीड नहीं कर पाता है। वहीं एक्सपर्ट की राय जुदा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 04:09 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 04:09 AM (IST)
टोल प्लाजा पर सेंसर तो कभी हैंडलिग मशीन से फास्टैग की रीडिंग
टोल प्लाजा पर सेंसर तो कभी हैंडलिग मशीन से फास्टैग की रीडिंग

मेरठ, जेएनएन। सिवाया टोल प्लाजा के सेंसर गाड़ी के शीशे पर लगे फास्टैग को ठीक से रीड नहीं कर पा रहे हैं। जिस वजह से टोल कर्मचारी हैंडलिग मशीन से फास्टैग को रीड करते हैं। टोल कंपनी का दावा है कि गाड़ी के शीशे पर गलत लगे फास्टैग पर सेंसर ठीक से रीड नहीं कर पाता है। वहीं एक्सपर्ट की राय जुदा है। उनका कहना है कि सभी टोल प्लाजा पर एक दो लेन को छोड़ बाकी सभी लेन पर सेंसर हाईस्पीड के लगे हुए हैं, जो गाड़ी की डिग्गी में रखे फास्टैग को भी रीड कर सकते हैं। उधर, कुछ राहगीरों का कहना है कि उत्तराखंड के टोल पर फास्टैग कटा, मगर सिवाया टोल प्लाजा पर आकर थोड़ी दिक्कत होती है। इसे लेकर कई बार बहसबाजी भी होती है।

prime article banner

हाईवे-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा की सभी 12 लेन फास्टैग हैं। मेरठ से मुजफ्फरनगर जाने वाली छह में से दो लेन पर कृषि कानून के विरोध में भाकियू का धरना चल रहा है। छह लेन से निकलने वाला ट्रैफिक बची चार लेन से निकल रहा है, जिस वजह से जाम के हालात रहते हैं। दूसरी ओर, मुजफ्फरनगर से मेरठ आने वाले छह लेन पर ट्रैफिक सरपट दौड़ रहा है। वहीं टोल प्लाजा पर हाईस्पीड के सेंसर से गाड़ियों पर लगे फास्टैग ठीक से रीड नहीं हो पा रहे हैं, जिस वजह से टोल कर्मचारी ड्राइवर से गाड़ी को कभी थोड़ा आगे तो थोड़ा पीछे करने को कहते हैं, ताकि सेंसर से फास्टैग ठीक तरह से रीड हो जाए। उसके बावजूद जब सेंसर से फास्टैग रीड नहीं होता है तो कर्मचारी हैंडलिग मशीन से फास्टैग को रीड करा टोल वसूलते हैं। शुक्रवार को भी कमोवेश यहीं स्थित सभी लेन पर दिखाई दे रही थी। ऐसे होने से पीछे वाहनों की लंबी कतार लग जाती है जिससे फास्टटैग का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है।

टोल प्लाजा का तर्क कुछ और

अधिकांश गाड़ियों पर फास्टैग गलत चस्पा होते हैं, जो सेंसर से रीड न होने पर हैंडलिग मशीन से रीड करने पड़ते हैं। यह देखा गया है कि जो फास्टैग आनलाइन मिलते हैं, उनमें दिक्कतें आती हैं।

- प्रदीप चौधरी, वरिष्ठ मैनेजर-टोल प्लाजा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.