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बच्चियों का यौन शोषण : मासूमों को सालों से दरिंदगी के दलदल में धकेल रहा था विमल

जागृति विहार कॉलोनी में एलआइसी का रिटायर अफसर कई सालों से मासूमों को दरिंदगी के दलदल में धकेल रहा था। पुलिस को इससे पूछताछ में अहम जानकारी मिलने की उम्मीद है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 02:54 PM (IST)
बच्चियों का यौन शोषण : मासूमों को सालों से दरिंदगी के दलदल में धकेल रहा था विमल
बच्चियों का यौन शोषण : मासूमों को सालों से दरिंदगी के दलदल में धकेल रहा था विमल
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। दुनियादारी के छलावे से अनजान मासूम बेटियों के लिए विमल चंद भगवान के समान था। उसकी वजह से परिवार को एक हद तक राहत जो मिल रही थी। लेकिन,राहत की आड़ में उसका मकसद उनके शरीर को नोंचना था, यह मासूमों को नहीं पता था। विमल चंद ने एक कमरे में एक ही नहीं,बल्कि एक साथ कई-कई बच्चियों को साथ लेकर जिस्म से खिलवाड़ का गंदा खेल खेला। इस करतूत ने उन बच्चियों के शरीर ही नहीं, बल्कि आत्मा तक मार डाली।
दरिंदगी की शिकार बेटियों की फेहरिस्‍त लंबी
मासूम बच्चियों के साथ दरिंदगी करने वाले विमल चंद का काला चिट्ठा सबके सामने आ चुका है। पुलिस की जांच में अभी तक आधा दर्जन पीड़ित बच्चियां सामने आई हैं,लेकिन विमल चंद की हैवानियत कई वषों से चल रही है। अब डर यह है कि कहीं दरिंदगी की शिकार बेटियों की फेहरिस्त लंबी तो नहीं। जानकारी के मुताबिक 2015 में विमल चंद की पत्नी का देहांत हो गया था।
चक्रव्यूह रचा गया
तभी से उसने अपनी हवस मिटाने के लिए ऐसा खौफनाक चक्रव्यूह रचा कि उसमें न जाने कितनी मासूम फंसती चली गई। सूत्रों की मानें तो खुद विमल चंद को भी नहीं पता कि उसने कितनी मासूमों की जिंदगी बर्बाद की है। शिक्षा का खर्च उठाने और परवरिश देने की आड़ पर हैवानियत जो गंदा खेल खेला, उसे देखकर हर कोई हैरान है।

दरिंदगी का इतिहास खंगालेगी पुलिस
एसपी सिटी डॉ. अखिलेश नारायण सिंह का कहना है कि हैवानियत का नंगा नाच कब से चल रहा था, इस संबंध में विमल चंद से पूछताछ की जा रही है। पूर्व में उसने कितनी बच्चियों को शिकार बनाया, इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। विमल चंद की शिकार हर पीड़िता को न्याय दिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि विमल चंद की करतूतों के बारे में उसके आस-पड़ोसियों से भी जानकारी जुटाई जा रही है। पीड़िताओं से भी यह जानकारी जुटाई जाएगी कि उनकी कोई जानकार तो हैवानियत का शिकार नहीं हुई।
मासूमों को ‘मुस्कान’मिली न दरिंदगी से ‘मुक्ति’
परिवार से भूले-भटके बच्चे हों या जबरन भीख मंगवाने वाले गिरोह के चंगुल में फंसे मासूम। यौन शोषण की शिकार बालिकाएं हों या जबरन देह-व्यापार की दलदल में झोंकी जाने वाली किशोरियां। इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रदेश में अभियान तो तमाम चलाए गए,लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते मासूम अभी भी दरिंदगी की दलदल में फंसे हैं। जागृति विहार में सामने आए शर्मनाक घटनाक्रम ने समाज का खौफनाक चेहरा सामने ला दिया है। बच्चे-बच्चियों को हैवानियत,दरिंदगी और बाल श्रम से निजात दिलाने के लिए मुस्कान,इस्माइल और मुक्ति जैसे अभियान प्रदेश में चलाए गए। सेमिनार व बैठकों में योजना का जमकर बखान हुआ,लेकिन धरातल की तस्वीर आज तक धुंधली रही।

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