बाठला फैमिली प्रकरण : करोड़ों की धोखाधड़ी में मनोज बाठला के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज Meerut News
निदेशक विश्वनाथ बाठला ने बड़े भाई मनोज बाठला पर साढ़े छह करोड़ की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। लंबी जांच के बाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है।
By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 02:03 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 02:03 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। महानगर की हाईप्रोफाइल बाठला फैमिली का विवाद मुकदमेबाजी तक पहुंच गया है। निदेशक विश्वनाथ बाठला ने मेडिकल थाने में बड़े भाई मनोज बाठला पर साढ़े छह करोड़ की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। लंबी जांच के बाद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है।
पुस्तकों की बिक्री का काम देखते थे
शिवलोक कालोनी निवासी विश्वनाथ बाठला का कहना है कि वह जीआर बाठला पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं। कंपनी के दूसरे निदेशक मनोज कुमार हैं। कारपोरेट ऑफिस प्रकाश बिल्डिंग नैय्यर पैलेस के सामने है। वह प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम देखते हैं, जबकि मनोज बाठला पुस्तकों की बिक्री और कच्चे माल के क्रय आदि का कार्य देखते हैं। कंपनी के एकाउंट्स और बिलिंग भी उन्हीं की निगरानी में रहते हैं।
फर्जी कागजातों से बैंक में खोले गए खाते
आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी से कंपनी के नाम पर फर्जी कागजातों की मदद से तेजगढ़ी स्थित इंडसइंड बैंक में खाते खोले। इसके बाद उन्होंने कंपनी का पैसा जालसाजी से अपने, बेटे सुगम बाठला, मधुर बाठला और पत्नी रचना बाठला के खातों में ट्रांसफर कर दिया। मनोज बाठला ने 24 दिनों में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
11 साल पहले शुरू हुई थी कपंनी
मूलरूप में मुजफ्फरनगर के द्वारकापुरी निवासी प्रकाश बाठला ने 2008 में नई कंपनी जीआर बाठला प्रकाशन शुरू की थी। उससे पहले बड़े बेटे मनोज बाठला निवासी साकेत की जीआर एंड संस कंपनी थी।
पुस्तकों की बिक्री का काम देखते थे
शिवलोक कालोनी निवासी विश्वनाथ बाठला का कहना है कि वह जीआर बाठला पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं। कंपनी के दूसरे निदेशक मनोज कुमार हैं। कारपोरेट ऑफिस प्रकाश बिल्डिंग नैय्यर पैलेस के सामने है। वह प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम देखते हैं, जबकि मनोज बाठला पुस्तकों की बिक्री और कच्चे माल के क्रय आदि का कार्य देखते हैं। कंपनी के एकाउंट्स और बिलिंग भी उन्हीं की निगरानी में रहते हैं।
फर्जी कागजातों से बैंक में खोले गए खाते
आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी से कंपनी के नाम पर फर्जी कागजातों की मदद से तेजगढ़ी स्थित इंडसइंड बैंक में खाते खोले। इसके बाद उन्होंने कंपनी का पैसा जालसाजी से अपने, बेटे सुगम बाठला, मधुर बाठला और पत्नी रचना बाठला के खातों में ट्रांसफर कर दिया। मनोज बाठला ने 24 दिनों में करीब साढ़े छह करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
11 साल पहले शुरू हुई थी कपंनी
मूलरूप में मुजफ्फरनगर के द्वारकापुरी निवासी प्रकाश बाठला ने 2008 में नई कंपनी जीआर बाठला प्रकाशन शुरू की थी। उससे पहले बड़े बेटे मनोज बाठला निवासी साकेत की जीआर एंड संस कंपनी थी।
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