देवी आराधना के लिए वर्षो से अन्न, नमक व मिष्ठान का त्याग
नवरात्र के दौरान देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के यत्न करते रहते हैं। कुछ भक्त सामान्य तौर पर विश्वास नहीं होने वाली साधना भी करते हैं। ऐसे भी भक्त हैं पुरानी मोहनपुरी निवासी डा. विकास शर्मा।
मेरठ, जेएनएन। नवरात्र के दौरान देवी को प्रसन्न करने के लिए भक्त तरह-तरह के यत्न करते रहते हैं। कुछ भक्त सामान्य तौर पर विश्वास नहीं होने वाली साधना भी करते हैं। ऐसे भी भक्त हैं पुरानी मोहनपुरी निवासी डा. विकास शर्मा। पेशे से होम्योपैथिक चिकित्सक विकास शर्मा ने कई सालों से अन्न, नमक और कृत्रिम रूप से बनी चीनी का त्याग कर रखा है। वह प्राकृतिक रूप से फल आदि के रूप में ही चीनी का सेवन करते हैं। नवरात्र में उनका अधिकांश समय ध्यान और मंत्रजाप में व्यतीत होता है। वह अपने क्लीनिक पर भी नहीं जाते। फोन पर ही सिर्फ दो से तीन घंटे तक गंभीर मरीजों को परामर्श देते हैं। प्रतिदिन केवल शाम को एक दो फल खाते हैं। दिन में दो बार पानी पीते हैं। डा. विकास ने बताया कि 12 वर्ष की उम्र से उन्होंने पिता के पास आए एक संत की प्रेरणा से अन्न का त्याग कर दिया था। कुछ समय बाद नमक और मीठे का भी त्याग कर दिया। चाय और बाजार की निíमत कोई वस्तु वह नहीं खाते हैं। उनका मानना है कि देवी के ध्यान में ये खाद्य सामग्री बाधक हैं। जितना हल्का आहार लेंगे, उतना अधिक गहरे ध्यान में उतरने की ताकत मिलती है। सामान्य दिनों में वह केवल उबली हुई सब्जी का सेवन करते हैं। पढ़ाई के दिनों में हास्टल में भी वह दूध और सब्जी से गुजारा करते थे। उन्होंने बताया कि ध्यान के माध्यम से उन्हें आध्यात्मिक शक्ति की अनुभूति होती है। देवीय प्रेरणा से चिकित्सीय पेशे में मदद मिलती है। देवी की कृपा से कई ऐसे मरीज ठीक हो गए, जिन्हें हर जगह लाइलाज घोषित कर दिया गया था।