राम के दीयों से जगमग हुआ बागपत का रावण गांव, यहां सदियों से रामलीला हुई न दशानन दहन, जानें क्या थी वजह
बागपत के बड़ागांव में सदियों से रामलीला हुई न दशानन दहन। श्रीराम मंदिर शिलान्यास की खुशी में घर-घर जले दीप।
बागपत, [जहीर हसन]। अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि के पूजन और मंदिर शिलान्यास का जश्न रावण उर्फ बड़ागांव में भी मनाया गया। विजयदशमी की तरह यहां अंधेरा नहीं रहा, बल्कि रावण द्वारा स्थापित मंशा देवी मंदिर समेत पूरा गांव आस्था की रोशनी से जगमगा उठा। सदियों से रामलीला मंचन और दशानन के पुतला दहन से परहेज करते आ रहे इस गांव में घर-घर दीये जले और राम का पाठ हुआ।
बागपत से 22 किमी दूर ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे किनारे स्थित रावण उर्फ बड़ागांव में 1000 परिवारों को अयोध्या में रामलला मंदिर के शिलान्यास का बेसब्री से इंतजार था। पीएम मोदी ने बुधवार को जैसे ही पूजन कर मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी, गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शाम को हर घर में दीये जले तो दीपावली जैसा नजारा बन गया।
ग्रामीण रजनेश तथा श्रीवेश ने कहा कि राम मंदिर शिलान्यास से नए युग का सूत्रपात हुआ है। मिठाई बांटकर खुशी मनातीं सुशीला त्यागी और रितू त्यागी बोलीं कि श्री राम तो कण-कण में हैं फिर जश्न क्यों न मनाएं। प्रधान रीना त्यागी ने कहा कि श्रीराम मंदिर शिलान्यास होने पर गांव में दीये जले और मिटाई बांटकर जश्न मनाया गया।
मंशादेवी मंदिर पर जले 5100 दीप
मां मंशा देवी मंदिर में दिन में राम पाठ हुआ तथा रात में दीप जले। पुजारी अरुण शुक्ला ने बताया, 500 साल बाद श्रीराम जन्म भूमि पर मंदिर स्थापना की शुभ घड़ी आई है। इस खुशी में मंदिर में देसी घी के 5100 दीये और जोत जलाकर खुशी मनाई।
ऐसे पड़ा गांव का नाम रावण
किवदंती है कि लंकाधिपति रावण हिमालय से मंशा देवी की मूर्ति लेकर गुजर रहा था। बड़ा गांव के पास रावण मूर्ति रखकर लघुशंका को चला गया। मूर्ति को लेकर एक दैवीय शर्त थी कि पहली बार मूर्ति जहां रखी जाएगी, वहीं स्थापित हो जाएगी। मूर्ति यहां स्थापित हो गई। तब रावण ने कुंड खोदकर स्नान व तप किया। इसी घटना के बाद गांव का नाम रावण पड़ा। गांव में जैन प्राचीन मंदिर और त्रिलोकतीर्थ धाम भी है।
रावण के स्थापित मंदिर में राम परिवार
मंशा देवी मंदिर में मां मंशा देवी, भगवान राम, मां सीता, लक्ष्मणजी, हनुमानजी, भगवान विष्णु, शिवजी, गणेशजी, पार्वती, कार्तिक और राधा-कृष्णजी की मूर्तियां स्थापित हैं।