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रैपिड रेल का जल्द शुरू हो जाएगा निर्माण कार्य, प्रस्तावित टेंडर खुलेंगे

रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर को केंद्र सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है जिससे जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 03:00 AM (IST)
रैपिड रेल का जल्द शुरू हो जाएगा निर्माण कार्य, प्रस्तावित टेंडर खुलेंगे
रैपिड रेल का जल्द शुरू हो जाएगा निर्माण कार्य, प्रस्तावित टेंडर खुलेंगे

मेरठ । रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर को केंद्र सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है जिससे जल्द ही निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। प्रस्तावित टेंडर भी खोल दिए जाएंगे।

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दरअसल अब तक केंद्र व प्रदेश सरकार के दो वर्ष के बजट को मिलाकर 2309 करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं। इस धनराशि से काम शुरू हो जाएगा। अधिकांश कार्य टेंडर से होने से हैं, जिसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए जा चुके हैं, बस उन्हें खोला नहीं गया है। निर्माण कार्य का टेंडर खोलने के लिए कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार था। बहरहाल, बुनियादी कार्य के टेंडर पहले ही जारी हो गए थे उससे संबंधित कंपनियां जियो टेक्निकल इंवेस्टिगेशन, रोड चौड़ीकरण, यूटिलिटी डायवर्जन, प्रारंभिक पाइल लोड टेस्टिंग आदि कार्य कर रही हैं। एनसीआर में रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम परियोजना के डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन व रखरखाव के लिए एनसीआरटीसी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम) अधिकृत है। अब तक 2309 करोड़ मिले हैं सरकार के बजट से

-400 करोड़ यूपी सरकार ने 2019 बजट में दिए

-250 करोड़ यूपी सरकार ने 2018 बजट में दिए

-1000करोड़ केंद्र सरकार ने 2019 बजट में दिए

-659 करोड़ केंद्र सरकार ने 2018 बजट में दिए

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एडीबी से जल्द मिल जाएगा ऋण

परियोजना की पूरी लागत 31 हजार 274 करोड़ रुपये है इसका 60 फीसदी धन एशियन डेवलपमेंट बैंक से ऋण लिया जाएगा। ऋण की प्रक्रिया भी अंतिम चरणों में है। 40 फीसदी धन में केंद्र सरकार, यूपी सरकार और दिल्ली सरकार को हिस्सेदारी करनी है। 2022 तक भी पूरा किया जा सकता है निर्माण

रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम परियोजना को पूरा करने का वास्तविक लक्ष्य 2025 है। मगर इसे लगातार कम करने की कोशिश की जा रही है। पहले इसे 2024 तक किया गया, फिर 2023 तक लाने का लक्ष्य रखा गया। मगर इसे अब 2022 तक पूरा करने की भी बात चल रही है। अगर केंद्र व प्रदेश सरकारों के हिस्से का धन मिलने, ऋण मिलने व अधिग्रहण आदि में अड़चन नहीं आई तो 2022 तक भी इसे पूरा किया सकता है। रैपिड रेल से मेरठ में आएगी समृद्धि

रैपिड रेल की वजह से उसके कॉरीडोर के दोनों तरफ डेढ़ किमी क्षेत्र को विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रयास होगा। दौराला व परतापुर में औद्योगिक व शैक्षिक जोन बनाया जाएगा। कुछ स्टेशनों में मॉल खोले जाएंगे। उसमें अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के भी आउटलेट खोले जाएंगे। रैपिड रेल की यह हैं खूबियां

82 किमी लंबे इस कॉरीडोर पर रैपिड रेल से 60 मिनट से भी कम समय में दिल्ली पहुंच सकेंगे। इसकी डिजाइन स्पीड 180 किमी प्रति घटे है, ऑपरेशन स्पीड 160 जबकि औसत स्पीड 100 किमी प्रति घटे है। प्रत्येक ट्रेन 5-10 मिनट की आवृत्ति पर उपलब्ध होगी। रैपिड रेल एयरोडायनामिक होंगी और 160 किमी प्रति घटे की ऑपरेटिंग गति से चलेंगी। इस तरह के डिजाइन हवा का कम से कम प्रतिरोध करते हैं और मनचाही गति प्राप्त करने में सहायता मिलती हैं। ऊर्जा बचाने के लिए, ट्रेनों में रीजनिरेटीव ब्रेकिंग सिस्टम होगा, जो ट्रेन के ब्रेक लगने पर ग्रिड को वापस ऊर्जा लौटाएगा। ट्रेन संचालन को सुरक्षित बनाने के लिए ईटीसीएस-2 सिग्नल प्रणाली का प्रयोग होगा। ऐसी प्रणाली यह भी सुनिश्चित करेगी कि मानसून या कोहरे जैसी स्थिति में ट्रेन संचालन में बाधा न आए। ट्रैन पूरी तरह से वातानुकूलित होंगी और इसमें दोनों तरफ दो-दो सीटें होंगी। सामान रखने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी। मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग पॉइंट की भी सुविधा होगी। दिव्यांगों, महिलाओं और बुजुगरें के लिए सीटें स्पष्ट रूप से चिह्नित की जाएंगी। बिजनेस यात्रियों के लिए एक विशेष बिजनेस क्लास कोच होगा। बिजनेस क्लास के लिए अलग एंट्री और एग्जिट गेट लगाए जाएंगे जो ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) सिस्टम जैसे क्यूआर कोड आधारित टिकट और नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी) इनेबल्ड फोन द्वारा संचालित होंगे।

सराय काले खां स्टेशन पर जो तीनों कॉरीडोर का विलय बिंदु भी है, प्रवेश और निकास के लिए अलग-अलग प्लेटफार्म होंगे और ट्रेन के दरवाजे दोनों तरफ से खुलेंगे। यह देश में पहली बार होगा जहा मास ट्राजिट सिस्टम में प्रवेश और निकास के लिए दो अलग-अलग प्लेटफॉर्म होंगे। 21000 नौकरियां देगी रैपिड रेल

रैपिड रेल प्रोजेक्ट के पहले फेज के अंतर्गत तीन कॉरीडोर निर्माणाधीन हैं। एनसीआरटीसी का अनुमान है कि पहले फेज के जरिए 21000 से अधिक नौकरियां मिलेंगी। पहले फेज में दिल्ली-गुरुग्राम-रेवाड़ी-अलवर जिसमें 16 स्टेशन, दिल्ली-सोनीपत-पानीपत कॉरीडोर जिसमें 16 स्टेशन व दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरीडोर है, जिसमें 22 स्टेशन शामिल हैं। इन तीनों कॉरीडोर के बनने से बड़ी संख्या में रैपिड रेल से संबंधित स्टाफ रखे जाएंगे। इसी के साथ ही उसी के समानांतर नौकरियों का भी दरवाजा खुलेगा। इन समानांतर नौकरियों में रैपिड स्टेशन में दुकानें, स्टेशन के आसपास दुकानें, फीडर बस सेवा, ई-रिक्शा आदि के जरिए भी नौकरियां पैदा होंगी। एक लाख वाहनों और प्रदूषण का दबाव कम कर देगी रैपिड

रैपिड रेल चलने से दिल्ली-मेरठ की सड़कों पर करीब एक लाख वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। वर्तमान में 36 फीसद कार, 32 फीसद रेल व 27 फीसद लोग बाइक से जाते हैं दिल्ली

रैपिड रेल को संचालित करने वाली संस्था एनसीआरटीसी का अनुमान है कि वर्तमान में भारतीय रेल से करीब 32 फीसद लोग दिल्ली जाते हैं, यह संख्या घटकर 15 फीसद पर आएगी। 36 फीसद लोग कार से जाते हैं, इसकी संख्या घटकर 22 पर आएगी। 27 फीसद लोग टू व्हीलर से जाते हैं, अनुमान है यह संख्या घटकर 15 पर आ जाएगी। बस से पांच फीसद लोग जाते हैं। रैपिड चलने पर बस से महज दो फीसद लोग ही जाएंगे।

रैपिड रेल के तीनों कॉरीडोर दिल्ली के सात मेट्रो स्टेशनों को इंटर कनेक्ट करेंगे। ऐसे में रैपिड रेल के स्टेशन से आसानी से मेट्रो स्टेशन जाया जा सकेगा। मेट्रो तो दिल्ली-एनसीआर में कोने-कोने तक पहुंचा रही है। एनसीआरटीसी के आंकड़े के मुताबिक 537 कार व एक हजार 158 बाइक प्रतिदिन दिल्ली की सड़कों पर बढ़ रहे हैं। यही नहीं दिल्ली में कार व बाइक के रजिस्ट्रेशन में प्रतिवर्ष सात फीसद की बढ़ोतरी हो रही है। ये होगे स्टेशन

सरायकाले खां, न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदीनगर साउथ, मोदीनगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी, शताब्दीनगर,ब्रह्मापुरी,मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, बेगमपुल, एमईएस कालोनी, डौरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम इन्होंने कहा..

रैपिड रेल मेरठ के लिए प्रधानमंत्री का तोहफा है। इसके लिए मैं उनका आभार जताता हूं। इसे केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है जिससे अब निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा। इससे दिल्ली तक आने-जाने में बेहद कम समय लगेगा, जिससे मेरठ के विकास में लाभ मिलेगा और लोगों को सहूलियत मिलेगी।

-राजेंद्र अग्रवाल, सांसद


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