तकनीक का नायाब नमूना होगी रैपिड रेल, इतनी रफ्तार से दौड़ेगी
रैपिड रेल तकनीक का नायाब नमूना होगी। इसमें विश्वस्तरीय तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसी तकनीक होगी कि इस पर मौसम या आपदा का भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 05:17 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 05:17 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। रैपिड रेल डाटा और इंफॉर्मेशन के मामले में हाईफाई टेक्नोलॉजी से लैस रहेगी। सीडीई और बीम टेक्नोलॉजी की मदद से यह ट्रेन अत्याधुनिक होने के मानकों को पूरा करेगी और इसी तकनीक के माध्यम से यह 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।
इस तकनीक से होगी लैस
रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम को क्लाउड बेस्ड कॉमन डाटा एनवायरमेंट (सीडीई) और बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (बीम) टेक्नोलॉजी से लैस किया जाएगा। इसके लिए टेंडर निकाला गया है। इसका टेंडर 29 मार्च को खुलेगा। इन दोनों तकनीक के इस्तेमाल से कोई भी सूचना बिना बाधा के तत्काल रिसीवर तक पहुंचाई जा सकेगी। इंटरनेट स्पीड और क्लियरिटी इतनी होगी कि पलक झपकने से पहले ही वांछित डाटा उपलब्ध होगा।
मौसम से नहीं पड़ेगी खलल
मौसम या आपदा भी इसमें खलल नहीं डाल सकेंगे। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मिलंद का कहना है कि बड़े और आधुनिक प्रोजेक्ट इन दोनों तकनीकों को अपनाते हैं। हम सबका अधिकांश डाटा व कांटेक्ट आदि भी गूगल क्लाउड पर ही सेव करता है। कोई सॉफ्टवेयर विशेष को इंस्टाल करके और उसके माध्यम से इंटरनेट प्रयोग करने के बजाय सीधे इंटरनेट प्रयोग किया जाता है।
मोबाइल रेडियो कम्यूनिकेशन और गीगाबाइट इथरनेट बढ़ाएगी स्पीड
रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछेगा। सभी स्टेशन और डिपो गीगाबाइट इथरनेट के जरिए ट्रेन की स्पीड बढ़ाने में सहयोग करेंगे। यही नहीं, संचालन में टेट्रा (दी टेरिस्टियल ट्रंक्ड रेडियो) स्टैंडर्ड वाला मोबाइल रेडियो कम्यूनिकेशन का भी इस्तेमाल होगा।
प्लेटफार्म और डिब्बे की गतिविधि देख सकेंगे ड्राइवर
रैपिड रेल पूरी तरह से सीसीटीवी से लैस रहेगा। प्लेटफार्म पर रुकने और ट्रेन रवाना होने तक की पूरी गतिविधि ड्राईवर के मॉनीटर पर दिखाई देगी। यही नहीं, डिब्बे के अंदर भी क्या-क्या गतिविधि चल रही है, उसे भी ड्राइवर देख सकेंगे। इसका मकसद यात्रियों की सुरक्षा है।
इस तकनीक से होगी लैस
रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम को क्लाउड बेस्ड कॉमन डाटा एनवायरमेंट (सीडीई) और बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (बीम) टेक्नोलॉजी से लैस किया जाएगा। इसके लिए टेंडर निकाला गया है। इसका टेंडर 29 मार्च को खुलेगा। इन दोनों तकनीक के इस्तेमाल से कोई भी सूचना बिना बाधा के तत्काल रिसीवर तक पहुंचाई जा सकेगी। इंटरनेट स्पीड और क्लियरिटी इतनी होगी कि पलक झपकने से पहले ही वांछित डाटा उपलब्ध होगा।
मौसम से नहीं पड़ेगी खलल
मौसम या आपदा भी इसमें खलल नहीं डाल सकेंगे। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मिलंद का कहना है कि बड़े और आधुनिक प्रोजेक्ट इन दोनों तकनीकों को अपनाते हैं। हम सबका अधिकांश डाटा व कांटेक्ट आदि भी गूगल क्लाउड पर ही सेव करता है। कोई सॉफ्टवेयर विशेष को इंस्टाल करके और उसके माध्यम से इंटरनेट प्रयोग करने के बजाय सीधे इंटरनेट प्रयोग किया जाता है।
मोबाइल रेडियो कम्यूनिकेशन और गीगाबाइट इथरनेट बढ़ाएगी स्पीड
रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए ऑप्टिकल फाइबर का जाल बिछेगा। सभी स्टेशन और डिपो गीगाबाइट इथरनेट के जरिए ट्रेन की स्पीड बढ़ाने में सहयोग करेंगे। यही नहीं, संचालन में टेट्रा (दी टेरिस्टियल ट्रंक्ड रेडियो) स्टैंडर्ड वाला मोबाइल रेडियो कम्यूनिकेशन का भी इस्तेमाल होगा।
प्लेटफार्म और डिब्बे की गतिविधि देख सकेंगे ड्राइवर
रैपिड रेल पूरी तरह से सीसीटीवी से लैस रहेगा। प्लेटफार्म पर रुकने और ट्रेन रवाना होने तक की पूरी गतिविधि ड्राईवर के मॉनीटर पर दिखाई देगी। यही नहीं, डिब्बे के अंदर भी क्या-क्या गतिविधि चल रही है, उसे भी ड्राइवर देख सकेंगे। इसका मकसद यात्रियों की सुरक्षा है।
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