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रैपिड रेल से घटेगा दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण, ऐसे मिलेगी राहत

रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम दिल्ली-एनसीआर में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इससे यातायात सुगम व तेज होगा तो वहीं वायु प्रदूषण से बहुत ज्यादा राहत मिलेगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 01:06 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 01:06 PM (IST)
रैपिड रेल से घटेगा दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण, ऐसे मिलेगी राहत
रैपिड रेल से घटेगा दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण, ऐसे मिलेगी राहत

मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। वायु प्रदूषण से हांफती दिल्ली और एनसीआर के फेफड़ों को ऑक्सीजन देने में रैपिड रेल अहम योगदान करने जा रही है। रैपिड रेल यानी रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) चलने से पीएम-2.5 करीब 60 हजार टन हर साल कम होगा। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रैपिड रेल 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी तो लोग खुद ही वाहनों को छोड़कर इससे आवाजाही शुरू करेंगे। यह बात अलग है कि यह सपना 2023-24 में पूरा होगा, लेकिन तब भी यह सुखद ही होगा। पेश है प्रदीप द्विवेदी की एक रिपोर्ट...

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ये है पीएम 2.5

पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है। इन कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। मनुष्य के एक बाल की चौड़ाई पर इसके 40 कण आ सकते हैं, इसलिए इसे रोकने में साधारण मास्क भी कारगर नहीं हैं। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कणों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसे घटाना सबसे बड़ी चुनौती है।

एनसीआरटीसी ने कराया अध्ययन

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के आधिकारिक विवरण के अनुसार दिल्ली मेट्रो की मदद से कुछ हद तक वायु प्रदूषण को रोका गया है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के शोध के अनुसार, दिल्ली मेट्रो से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ 2) और कार्बन मोनोऑक्साइड (सीओ) का स्तर कम हुआ है। मेट्रो का नेटवर्क तेजी से बढ़ रहा है। मेट्रो के चौथे चरण का काम भी प्रक्रिया में है। हालांकि, मेट्रो केवल शहर के अंदर की ही परिवहन व्यवस्था है। इस वजह से बाहर से आने वाले वाहनों द्वारा प्रदूषण होता रहता है। इसके लिए वर्तमान में सबसे बेहतर विकल्प आरआरटीएस है। यह तेज यातायात की सुविधा तो देगा ही वायु प्रदूषण में भी कमी लाएगा। क्योंकि बड़ी संख्या में लोग निजी या अन्य यात्री वाहन छोड़कर रैपिड रेल से आवागमन सुनिश्चित करेंगे। अध्ययन के अनुसार प्रतिवर्ष पीएम 2.5 कण 60,000 टन कम होगा। इसमें नाइट्रोजन ऑक्साइड 4,75,000 टन, हाइड्रोकार्बन 8,00,000 टन और कार्बन मोनोऑक्साइड 8,00,000 टन कम होगी।

प्रदूषण में वाहन के धुएं का 40 फीसद योगदान

एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग रिसर्च (एसएएफएआर) की सूची में यह सामने आया है कि अकेले वाहनों से निकलने वाले धुएं का वायु प्रदूषण में 40 फीसद का योगदान है। औद्योगिक क्षेत्र की इसमें भागीदारी 48 फीसद है। ऐसे में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) व दिल्ली मेट्रो का चौथा चरण वायु प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

सार्वजनिक परिवहन 37 से बढ़कर 63 फीसद हो जाएगा

इसके शुरू होने से दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ रोड पर सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी 37 फीसदी से बढ़कर 63 प्रतिशत हो जाएगी। एक लाख वाहन कम हो जाएंगे। क्योंकि इसकी अधिकतम गति 180 किमी प्रति घंटे व औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है। यानी अभी तक जिस यात्र को पूरा करने में यात्रियों को तीन घंटे गंवाने पड़ रहे हैं। वह यात्र रैपिड रेल से महज एक घंटे में पूरी हो सकेगी।

इन्‍होंने बताया 

रीजनल रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम दिल्ली-एनसीआर में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। इससे यातायात सुगम व तेज होगा तो वहीं वायु प्रदूषण से बहुत ज्यादा राहत मिलेगी। मेट्रो का फायदा सिर्फ शहर के अंदर मिल रहा है जबकि इसका फायदा दिल्ली के बाहर व आसपास के शहरों को मिलेगा।

- सुधीर शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआरटीसी

ये होंगे बदलाव

100000 वाहन दिल्ली रोड पर कम हो जाएंगे

800000 टन कार्बन मोनोऑक्साइड घटेगी

475000 टन नाइट्रोजन ऑक्साइड कम होगी

800000 टन हाइड्रोकार्बन घटेगी


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