Rani Laxmibai Scheme: जांच-पड़ताल में उलझी मदद, छह साल में मात्र 107 को मिली धनराशि; महिलाओं के लिए शुरू थी योजना
तेजाबी हमला दहेज उत्पीडऩ पति द्वारा त्याग कर देना दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग के साथ दुष्कर्म व छेडख़ानी सामुहिक दुष्कर्म और हत्या जैसी गंभीर अपराधों से पीड़ितों को इस योजना के तहत लाभ दिया जाता है। लेकिन मेरठ में छह साल में केवल 107 को लाभ मिला है।
जागरण संवाददाता, मेरठ। महिला उत्पीडऩ को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार काफी गंभीर है। उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को राहत व मदद देने के लिए मुख्य रूप से रानी लक्ष्मीबाई सम्मान कोष योजना शुरू की गई। जनपद में पिछले छह साल में महिला उत्पीडऩ के हजारों मामले दर्ज होने के बाद भी गिनती की महिलाओं को ही नाम का सम्मान मिल सका है। ऐसा तब है जब हर वर्ष हजार से अधिक महिला उत्पीडऩ के मामले जनपद भर के थानों में दर्ज होते हैं।
उत्तर प्रदेश में किसी भी तरह की ङ्क्षहसा से पीडि़त महिलाओं को मदद करने के लिए वर्ष 2015 में रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष शुरू किया। योजना के तहत महिलाओं को इलाज व पुनर्वास के लिए 03 से 10 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है। जनपद की स्थिति पर नजर डाले तो आंकड़े चौंकाने वाले सामने आए हैं। पिछले छह साल में तमाम जांच और पूछताछ के बाद मात्र 400 आवेदन ही मदद के लिए सूची मेें दर्ज किए गए। सबसे हैरानी की बात है कि तमाम कोशिशों के बाद मात्र 107 को ही मदद दी जा सकी।
इसलिए शुरू हुई योजना
महिला सम्मान कोष का उद्देश्य किसी भी तरह की पीडि़त महिलाओं और युवतियों को हर तरह की मदद देना है। मदद के माध्यम से उनके पुनर्वास कार्यक्रम या जरूरत हो तो शिक्षा के साथ आजीविका के लिए सहायता उपलब्ध कराई जाती है। ङ्क्षहसा में मृतक के आश्रितों को भी आॢथक सहायता दिए जाने का प्रावधान है।
इन्हें मिलता है लाभ
तेजाबी हमला, दहेज उत्पीडऩ, पति द्वारा त्याग कर देना, दुष्कर्म पीडि़ता, नाबालिग के साथ दुष्कर्म व छेडख़ानी, सामुहिक दुष्कर्म और हत्या जैसी गंभीर अपराधों को शामिल किया है।
जनपद की स्थिति
400 - आवेदन सूची में हुए दर्ज
107 - मामलों में किया भुगतान
33 - प्रकरण की चार्जशीट लंबित
39 - मामले मेडिकल में लंबित
100 - प्रोबेशन विभाग में लंबित
1500 - प्रकरण औसतन हर वर्ष हुए दर्ज
जिला प्रोबेशन विभाग उपनिदेशक महेश कण्डवाल ने कहा कि जांच व कोर्ट में प्रकरण होने के कारण कुछ देरी हो जाती है। लेकिन पीडि़त महिलाओं को शीघ्र से शीघ्र मदद देने का प्रयास रहता है। अभी 33 प्रकरण को फाइनल कर शासन को भेजा जा रहा है।