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स्मृति शेष : रामविलास पासवान ने शेरगढ़ी कांड को बनाया था मुद्दा, मेरठ में रहा था गहरा नाता

दलित समाज के हितों के लिए संघर्ष करने वाले रामविलास पासवान ने भले ही बिहार की राजनीति पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया था पर वर्षों पहले की बात है जब उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मेरठ जिले में उनकी अलग ही पहचान थी।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 09 Oct 2020 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2020 09:35 AM (IST)
स्मृति शेष : रामविलास पासवान ने शेरगढ़ी कांड को बनाया था मुद्दा, मेरठ में रहा था गहरा नाता
केंद्र सरकार में मंत्री रहे रामविलास पासवान की कई यादें क्रांतिधरा मेरठ के साथ भी जुड़ी हैं।

मेरठ, जेएनएन। रामविलास पासवान ने भले ही बिहार की राजनीति पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया था पर वर्षों पहले की बात है जब उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मेरठ जिले में उनकी अलग ही पहचान थी। पासवान मेरठ के दलित समाज के सर्वमान्य नेता उस समय विशेष रूप से बन गए थे जब शेरगढ़ी कांड हुआ था। वह शेरगढ़ी कांड जिसमें आरोप है कि पुलिस की गोली से दलित समाज के दो युवकों की जान चली गई थी। शेरगढ़ी कांड को रामविलास ने बड़ा मुद्दा बना दिया। वह मेरठ आए तो उनको देखने के लिए युवा उमड़ पड़े थे। हालांकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था।

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उनसे जुड़ीं यादें

भाजपा से राज्यसभा सदस्य विजय पाल सिंह तोमर उस समय को याद करते हुए बताते हैं कि दूसरे दिन राम विलास फिर आए रात में। 12 बजे उनके आवास पर चुपके से आए। फिर उन्हें मेडिकल कालेज व जेल भी लोगों से मुलाकात के लिए ले जाया गया। तब विजयपाल, राम विलास के साथ जनता पार्टी के लिए काम किया करते थे। लीलापत एडवोकेट उन्हें याद करके बेहद दुखी हैं। बताया कि वह उनसे 1987 में जुड़ गए थे। पहली बार 87 में पासवान मेरठ आए। उस समय से लेकर अब तक वह पासवान के साथ-साथ रहे। पासवान ने उन्हें हस्तिनापुर से टिकट दिया था। भाजपा नेता चरण सिंह लिसाड़ी ने कहा कि सर्वमान्य नेता के निधन से सर्वसमाज दुखी है। डा. आंबेडकर समारोह समिति के अध्यक्ष चैतन्य देव स्वामी ने कहा कि मेरठ से उनका जुड़ाव अलग ही तरह का था। मायावती की सक्रियता से पहले उनकी विशेष पकड़ दलित समाज में थी।

दलित समाज के हितों के लिए संघर्ष

बसपा जिलाध्यक्ष मोहित जाटव ने कहा कि पासवान ने दलित समाज के हितों के लिए हमेशा संघर्ष किया। उनके निधन पर राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी शोक व्यक्त किया है। यह दलित समाज ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लिए क्षति है। कांग्रेस नेता मोनिंदर सूद वाल्मीकि व सपा नेता शाहिद मंजूर ने भी उनके निधन पर दुख जताया। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि पासवान ने राजग का साथ नहीं छोड़ा। वह अनुसूचित जाति के सर्वमान्य नेता थे। उनके निधन पर दुख है।


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