Fraction In BKU : टिकैत परिवार को राजेंद्र मलिक ने घेरा, नरेश ने धर्मेंद्र को कहा गद्दार
Another Fraction In Bhartiya Kisan Union रविवार को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) की घोषणा की गई थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश की किसान राजनीति में हलचल है। दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप भी लगाए जा रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। भारतीय कियान यूनियन (भाकियू) में टूट के बाद अब आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। मंगलवार को नवगठित भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के संरक्षक एवं गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह मलिक ने टिकैत परिवार पर बड़ा हमला बोला, वहीं भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने पुराने दिनों के करीबी साथी धर्मेंद्र मलिक को गद्दार बताया। राजेंद्र सिंह मलिक ने आरोप लगाया कि एक तरफ टिकैत परिवार गांवों में विद्युत मीटर लगाने का विरोध करता था, जबकि मीटर लगाने का ठेका ही भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के बेटे गौरव टिकैत के नाम पर था। इन आरोपों को भाकियू (युवा विंग) के अध्यक्ष गौरव टिकैत ने बेबुनियाद बताया। कहा, मीटर और खनन के ठेकों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि आरोप लगाने वालों के पास जानकारी है तो सबूत के साथ सार्वजनिक करें।
भाकियू कभी सरकार पर दबाव नहीं बनाना चाहती: राजेंद्र सिंह
शामली के गांव लिसाढ़ में मंगलवार को राजेंद्र सिंह ने कहा कि भाकियू कभी सरकार पर दबाव नहीं बनाना चाहती, क्योंकि अगर सरकार पर दबाव बनाती तो किसानों को आज यह दिन नहीं देखना पड़ता। उन्होंने टिकैत परिवार पर आरोप जड़ा कि ये लोग सरकार से ही खनन, मिट्टी आदि के ठेके लेते हैं तो फिर सरकार पर दबाव किस तरह बनाएंगे। भाकियू चलाने वाले इतने लंबे समय में एक उपलब्धि बताएं कि किसानों की कौन सी मांग पूरी कराई।
दस देशों की यात्रा कराई व बागडोर सौंपी, फिर भी सब्र नहीं हुआ : नरेश टिकैत
टिकैत बंधुओं के बेहद करीब रहे धर्मेंद्र मलिक को नरेश टिकैत ने गद्दार तक की संज्ञा दी। बोले, धर्मेंद्र मलिक समाजवादी पार्टी से टिकट मांग रहे थे, लेकिन हमने मना कर दिया था। मंगलवार को इंटरनेट मीडिया पर एक वायरल वीडियों में अपने मीडिया प्रभारी रहे धर्मेंद्र मलिक (अब भाकियू अराजनैतिक में राष्ट्रीय प्रवक्ता) के लिए कहा कि कभी धर्मेंद्र टेलीफोन के गड्ढ़े खोदते थे। केबल के तार जोड़ते थे। भाकियू ने 10 देशों की यात्रा कराई और संगठन की बागडोर सौंपी। इतने में भी सब्र नहीं हुआ। धर्मेंद्र मलिक लंबी छलांग लगाना चाहते थे। सपा का टिकट मिल जाता, विधायक बन जाते तो कहते मुख्यमंत्री बनाओ। फिर, प्रधानमंत्री। वे बोले, पैर चलने के लिए दिए हैं, उड़ने को नहीं। वहीं, जवाब में धर्मेंद्र मलिक ने कहा है कि देश का संविधान सबको बराबरी का अधिकार देता है। आजादी के बाद आज भी सामंतवादी व कबीला प्रथा की सोच कुछ स्थानों पर व्यक्ति विशेष में है। संविधान के अधिकार के कारण ही देश में चाय बेचने वाला अगर प्रधानमंत्री बन सकता है तो खेत में काम करने वाला या मजदूर, यूनियन या अन्य संगठन का सदस्य क्यों नहीं बन सकता? बड़े नेताओं को बड़ा मन भी रखना चाहिए।