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4000 वैक्सीन मांगा था, मिली सिर्फ 200 वायल एंटी रेबीज

जागरण संवाददाता, मेरठ: सेहत को लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावे धराशायी हो गए। जिले में भ

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 02:00 AM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 02:00 AM (IST)
4000 वैक्सीन मांगा था, मिली सिर्फ 200 वायल एंटी रेबीज
4000 वैक्सीन मांगा था, मिली सिर्फ 200 वायल एंटी रेबीज

जागरण संवाददाता, मेरठ: सेहत को लेकर स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावे धराशायी हो गए। जिले में भारी खपत के बावजूद वैक्सीन की दोनों फर्मो ने तकरीबन हाथ खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने चार हजार वॉयल आर्डर भेजा था, किंतु दवा कंपनी महज 200 वॉयल थमाने पर राजी हुई।

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मेरठ में कुत्तों एवं बंदरों का आतंक देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कई बार शासन को पत्र लिखकर ज्यादा वैक्सीन की मांग की। मीट बहुल क्षेत्र, गंदगी, घनी आबादी एवं हस्तिनापुर सेंचुरी आसपास होने से जिले में बंदर, लोमड़ी एवं बिल्लियों के हमले में भी कई घायल हो चुके हैं। इन जीवों की लार में रेबीज नामक जानलेवा वॉयरस हो सकता है, जिसके संक्रमण से मरीज की मौत होती है। इससे बचने के लिए 24 घंटे के अंदर एंटी रेबीज इंजेक्शन का पहला डोज लगना जरूरी है। किंतु सालभर विभाग में वैक्सीन की तंगी बनी रही।

स्वास्थ्य विभाग ने दर्जनों बार वैक्सीन के लिए दवा कंपनियों से पत्राचार किया। इस बीच तमाम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर वैक्सीन खत्म होने स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी तक से शिकायत की। स्वास्थ्य विभाग ने हाल में 150 वायल वैक्सीन उधार लिया। जिला अस्पताल ने ग्रामीण मरीजों को वैक्सीन लगाने से मना कर दिया। यहां पर हर माह करीब साढ़े चार हजार डोज वैक्सीन की खपत होती है।

कंपनियां भी बेबस

दवा कंपनियों की मानें तो एंटी रेबीज वैक्सीन का निर्माण कम हो रहा है। नई खेप की टेस्टिंग नहीं हुई, ऐसे में डिलीवरी देर से की गई। गत छह माह से वैक्सीन की कमी से स्वास्थ्य विभाग तबाह है। हाल में विभाग ने दवा कंपनियों के पास चार हजार वायल का इंटेंड भेजा, किंतु कंपनी महज 200 वॉयल देने पर राजी हुई। उधर, पुराना पेमेंट न मिलने से भी कंपनियों ने हाथ खींचा।

खरोंच पर भी लगवा लेते हैं वैक्सीन

कुत्तों या बंदरों के काटने को लेकर लोगों में दहशत है। अगर कुत्ते का दांत कपड़े से रगड़ खा गया तो भी लोग वैक्सीन लगवाने की जिद करते हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर कई बार झगड़ा हो चुका है। वैक्सीन की तंगी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने केंद्रों पर मरीजों की काउंसलिंग शुरू कर दी, ताकि गैर जरूरी मरीजों पर वैक्सीन खर्च न हो।

ये है तस्वीर

- जिला अस्पताल में हर माह करीब 4500 डोज की खपत।

-12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में औसतन सप्ताह में दो दिन लगती है वैक्सीन

-सीएमओ के अधीन केंद्रों पर हर माह एक हजार वायल यानी 5000 डोज की खपत

-एक वैक्सीन में पांच डोज होती है, जो ढाई व्यक्ति के अनुपात से लगाई जाती है।

इनका कहना है...

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एंटी रेबीज वैक्सीन की कमी प्रदेशभर में सालभर से बनी हुई है। हालांकि अब दोनों कंपनियां दे रही हैं, किंतु चार हजार के सापेक्ष महज दो सौ वैक्सीन की उपलब्धता बताई गई। शासन से संपर्क साधा गया है।

डा. राजकुमार, सीएमओ।

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मैंने दोनों दवा कंपनियों ने नियमित संपर्क एवं समय पर पेमेंट कर अतिरिक्त वायल का स्टाक रखा। कई बार स्वास्थ्य विभाग को उधार भी दिया। प्रदेश में वैक्सीन की कमी को देखते हुए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है।

- डा. पीके बंसल, सीएमएस, पीएल शर्मा अस्पताल।


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