Move to Jagran APP

स्मार्ट एजुकेशन से लौट रही बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता

बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और बचों का रुझान पढ़ाई की ओर आकर्षित करने में शिक्षकों का नवाचार और आइसीटी बेस्ड टीचिंग-लर्निग काफी सहायक हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 07:00 AM (IST)
स्मार्ट एजुकेशन से लौट रही बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता
स्मार्ट एजुकेशन से लौट रही बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता

मेरठ । बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और बच्चों का रुझान पढ़ाई की ओर आकर्षित करने में शिक्षकों का नवाचार और आइसीटी बेस्ड टीचिंग-लर्निग काफी सहायक हो रहा है। समय की जरूरत को भांपते हुए जिन शिक्षकों ने स्कूल में मॉडर्न शिक्षण पद्धति को अपनाया, उनके स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ रही है। जहां संख्या नहीं भी बढ़ी है तो वहां बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुझान काफी बढ़ा है। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने मोबाइल, लैपटॉप, डेस्कटॉप जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया। जब रिजल्ट दिखने लगा तो विभाग की ओर से भी स्कूलों में स्मार्ट एजुकेशन के उपकरण मुहैया कराए जा रहे हैं।

loksabha election banner

आसान हुआ विषयों को समझाना

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगसोना में इंचार्ज के तौर पर शिक्षण दे रहीं निधि रानी के अनुसार लैपटॉप से बच्चों को पढ़ाने के दौरान विज्ञान व इतिहास जैसे विषयों के कंटेंट को समझाने में मदद मिली है। बच्चे अब सोलर कूकर जैसे मॉडल स्वयं बनाने में सहयोग देने लगे हैं। थ्रीडी कंटेंट या मैप के जरिए उन्हें कोई बिंदु कम समय में समझा पाते हैं। अब विभाग की ओर से प्राइमरी सेक्शन में स्मार्ट टीवी मिली है जिससे पढ़ाई का माहौल बदलने लगा है। इसका असर यह रहा कि स्कूल में जहां बच्चों की संख्या बढ़ी हैं वहीं जो परिजन पहले बच्चों को काम पर भेजने की बातें करते थे अब बच्चों की रुचि देख स्कूल भेजने लगे हैं।

प्राइवेट स्कूलों से लौटे बच्चे

प्राथमिक विद्यालय रजपुरा की प्रधानाध्यापक पुष्पा यादव बताती हैं स्कूल में एलईडी टीवी लगने के बाद कक्षा चार तक के बच्चों का सिलेबस पेन ड्राइव के जरिए टीवी पर ही पढ़ाया व दिखाया जा रहा है। टीवी पर ग्राफिक्स में देखने के बाद बच्चे आसानी से लिख भी लेते हैं। इससे स्कूल में बच्चों की संख्या तो बढ़ी ही साथ ही आस-पास के निजी स्कूलों से बच्चों को निकाल कर परिजन प्राइमरी स्कूल में दाखिला दिला रहे हैं। बच्चे देख कर अधिक सीखते हैं। उनकी उसी क्षमता का सही इस्तेमाल करते हुए शिक्षण को नवाचार और आइसीटी से जोड़ने का प्रयास हुआ जो सफल रहा है।

बिजली नहीं, पर पढ़ाई जारी रही

प्राथमिक विद्यालय सलावा-एक सरधना की शिक्षिका गीता सचदेवा के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की समस्या के बावजूद उन्होंने बच्चों की रुचि को बनाए रखने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया। ऑनलाइन पोर्टलों व यू-ट्यूब पर उपलब्ध लर्निग मैटेरियल से बच्चों को जोड़ा। बच्चों के लिए कुछ नया सीखने का अवसर था। यहीं से महज किताबी पढ़ाई की बजाय शिक्षण पद्धति में नए-नए प्रयोग किए गए जिसका लाभ बच्चों पर दिखने लगा तो हिम्मत भी बढ़ी गई।

इंग्लिश मीडियम से बदलेगी शिक्षा

बेसिक शिक्षा अधिकारी सतेंद्र कुमार के अनुसार पिछले साल 71 प्राइमरी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम में संचालित किया गया। इस साल करीब 65 प्राइमरी व कुछ जूनियर स्कूलों में इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई शुरू की जानी है। जहां भी अंग्रेजी में पढ़ाई शुरू हुई है उन स्कूलों की तस्वीर एक साल में ही बदली है। इसके साथ ही शिक्षण में नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोशिश है कि अधिक से अधिक ऐसे शिक्षकों को बढ़ावा मिले जो मॉडर्न शिक्षण पद्धति के साथ पढ़ा रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.