प्रोसेस्ड दाल-चावल कृषि उत्पाद की सूची से बाहर हों
कोरोना संक्रमण के दौरान खाद्यान्न और खाद्य तेल की आपूíत निर्बाध रूप से हुई है। इनसे संबंधित व्यापारी बजट में कृषि उत्पाद की श्रेणी में आने वाली चीजों में संशोधन की मांग कर रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के दौरान खाद्यान्न और खाद्य तेल की आपूíत निर्बाध रूप से हुई है। इनसे संबंधित व्यापारी बजट में कृषि उत्पाद की श्रेणी में आने वाली चीजों में संशोधन की मांग कर रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि पहले तो दाल घरों में हाथ से दली जाती थी। अब दाल फैक्ट्री में बनती है। किसान तो साबुत दाल उगाता है। इसी तरह चावल भी फैक्ट्रियों में प्रोसेस हो रहा है। चने से बेसन बनता है। उस पर मंडी शुल्क नहीं है। वहीं, उससे दाल बनती है तो मंडी शुल्क है। प्रोसेस्ड आयटमों पर मंडी शुल्क नहीं लगना चाहिए। वर्तमान में अगर दाल और चावल ब्रांडेड कंपनी के हैं तो उन्हें जीएसटी और मंडी शुल्क देना पड़ रहा है। दालें एमएसपी से नीचे बिक रही हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी चिता जाहिर की है।
खाद्य तेल के दामों में बढ़ोतरी
खाद्य तेलों के दाम 1900 रुपये प्रति 15 लीटर है। पहले यह 1600 रुपये थे। दो माह में यह तेजी आई है। कारण यह है कि खाद्य तेलों का स्टाक काफी कम है। आयात में कमी आई है। भारत में 75 प्रतिशत खाद्य तेल की आपूíत आयात से पूरी होती है। ब्राजील और कनाडा में इस बार फसल कमजोर होने से आपूíत कम है। इससे दामों में इजाफा है। इस बार भारत में सरसों की फसल अच्छी बतायी जा रही है। सरकार की मजबूरी है कि आयात शुल्क कम करती है तो आयात बढ़ेगा जिससे दामों में कमी आएगी। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके इसके लिए दामों में बढ़ोतरी जरूरी है। ऐसे में सरकार को ग्राहकों और किसानों के हितों के बीच संतुलन साधना है।
मंडी शुल्क को लेकर पूरे देश में एक समान नियम लागू होना चाहिए। जनपद में वर्तमान में एक प्रतिशत मंडी शुल्क और 0.50 पैसे विकास सेस है। दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में मंडी शुल्क नहीं है।
मनोज गुप्ता, नवीन मंडी व्यापार मंडल
प्रोसेस्ड दाल और चावल को कृषि उत्पाद में नहीं शामिल करना चाहिए। इसे प्रोसेस्ड आयटम की सूची में डालना चाहिए। इससे नियमानुसार व्यापार करने वालों और गुणवत्ता वाला माल बेचने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा।
संजय बिदल, दाल व्यापारी
खाद्य तेलों के दाम बढ़े हुए हैं। इससे मांग कम हुई है। व्यापारी बहुत कम माíजन पर कार्य करता है। अगर माल अधिक बिकता है तो व्यापार के लिए अच्छा है। सरकार को आयकर की उच्चतम सीमा में भी छूट देनी चाहिए।
मुकेश गुप्ता, खाद्य तेल के थोक विक्रेता
खाद्यान्न में ब्रांडेड माल पर जीएसटी है और नान ब्रांड पर कोई जीएसटी नहीं है। इससे ब्रांडेड आयटम बेचने वाले भी अब नान ब्रांड में व्यापार कर रहे हैं। इसका नुकसान ग्राहक को हो रहा है। नान ब्रांड और ब्रांड पर एक समान टैक्स लगना चाहिए।
गिरीश अग्रवाल, महामंत्री नवीन मंडी व्यापार मंडल
व्यापारियों की मुख्य मांगें
- मंडी शुल्क पूरी तरह समाप्त होना चाहिए, मंडी की व्यवस्था के लिए प्रति दुकानदार कुछ मासिक चार्ज लिया जाए।
- भारत को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो फिनिश्ड खाद्यान्नों जैसे चावल और दाल पर जीएसटी लगनी चाहिए। इन पर मंडी शुल्क नहीं लगना चाहिए।
- आयकर की सीमा पांच लाख की जाए। आयकर की ऊपरी सीमा में भी छूट दी जानी चाहिए।
- मंडी व्यापारियों के लिए कोल्ड स्टोरेज और भंडारण गृह बनाए जाने चाहिए।
- सरकार को ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे खाद्य तेलोंके दामों में बढ़ोतरी पर रोक लगे।