आयुर्वेदिक औषधियों से संभव है हेपेटाइटिस की रोकथाम
महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय में विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आनलाइन वे
मेरठ,जेएनएन। महावीर आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एवं चिकित्सालय में विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। प्राचार्य डा. देवदत्त भादलीकर ने बताया कि हेपेटाइटिस संक्रामक बीमारियों का समूह है, जिसे ए, बी, सी और ई के नामों से जाना जाता है। हेपेटाइटिस आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है, इसके अलावा अत्यधिक एल्कोहल का सेवन, टाक्सिन और कुछ दवा और खास मेडिकल स्थितियां हैं। हेपेटाइटिस ए और ई आमतौर से दूषित भोजन और दूषित पानी के सेवन से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी का कारण संक्रमित रक्त और शरीर के तरल पदार्थो के संपर्क में आना है। हेपेटाइटिस डी उन लोगों को प्रभावित करता है, जो पहले ही हेपेटाइटिस बी से प्रभावित हैं। इसके अलावा हेपेटाइटिस फैलने का कारण मा से बच्चे में वायरस का ट्रासमिशन, असुरक्षित यौन संबंध और असुरक्षित सुइयों का इस्तेमाल भी है। इसकी रोकथाम आयुर्वेद पद्धति और औषधियों द्वारा संभव है। क्रिया शरीर के डा. मंसूर अहमद का कहना है कि यह सबसे अधिक बारिश के मौसम में सक्रिय होता हैं। ऐसे समय में खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। डा. अजित सिंह ने बताया कि हेपेटाइटिस की रोकथाम आयुर्वेद पद्धति और औषधियों के द्वारा की जा सकती है, जिसमें बहुमुखी कड़वी आयुर्वेदिक दवाएं अच्छा कार्य करती हैं। वेबिनार में डायरेक्टर जनरल सतीश राघव, सीईओ आशीष बालियान और विक्रांत यादव भी उपस्थित रहे।
पारंपरिक कला और वस्त्रों से सजी पद्माशाली प्रदर्शनी : पद्माशाली की ओर से बुधवार को होटल क्रिस्टल पैलेस में तीज और रक्षा बंधन पर दो दिवसीय वस्त्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसमें देश के अलग-अलग कला केंद्र की हस्तशिल्प को दर्शाया गया। प्रदर्शनी में बनारसी, चंदेरी, कांजीवरम, प्राणपुर की वस्त्र कला को प्रमुखता से पसंद किया गया। संयोजक आस्था मांगलिक ने बताया कि देश में बुनाई के कई प्रसिद्ध केंद्र हैं, और हर केंद्र की अपनी अलग विशिष्टताएं हैं। महिलाओं की साड़ियों और अन्य वस्त्रों की अत्यंत उत्कृष्ट और कलात्मक बुनाई की परंपराओं कई शहरों से जोड़ कर पहचाना जाता है।