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गति नियंत्रित और सीट बेल्ट लगी होती तो बच जाती प्रशात की जान

प्रशात बिश्नोई उर्फ पाशा की फॉ‌र्च्यूनर की गति नियंत्रण में होती तो जान बच सकती थी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 01:10 AM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 01:10 AM (IST)
गति नियंत्रित और सीट बेल्ट लगी होती तो बच जाती प्रशात की जान
गति नियंत्रित और सीट बेल्ट लगी होती तो बच जाती प्रशात की जान

मेरठ, जेएनएन। प्रशात बिश्नोई उर्फ पाशा की फॉ‌र्च्यूनर की गति नियंत्रण में होती तो जान बच सकती थी। तेज गति से गंगनहर मोड़ पर असंतुलित होकर फॉ‌र्च्यूनर पलट गई। दुर्घटनाग्रस्त कार से सड़क की दूरी देख पुलिस का अनुमान है कि कार कम से कम चार बार पलटी होगी। घटनास्थल और कार की स्थिति की जांच-पड़ताल के बाद पुलिस का कहना है कि यदि प्रशात विश्नोई बेल्ट लगाकर रखते तो शायद उनको बचाया जा सकता था। इसके पीछे का तर्क दिया जा रहा है कि गाड़ी के एयर बैग खुल गए थे। संभवत: बेल्ट लगाकर सीट के पीछे छोड़ दिया गया था, चालक ने पहना नहीं था। बेल्ट न पहनने की वजह से ही प्रशात ड्राइविंग सीट से इधर-उधर खिसक गए और एयर बैग खुलने के बाद भी उनकी जान नहीं बच पाई। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी।

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थाना प्रभारी उपेंद्र सिंह का कहना है कि प्रशात विश्नोई 10:15 बजे जिटौली से चले थे। संभवत: उन्होंने शराब का सेवन कर रखा था। गाव से बाहर निकलते ही उनकी फॉ‌र्च्यूनर की गति अधिक थी। गंगनहर के मोड़ पर उनकी गाड़ी मुड़ नहीं पायी और उन्होंने संतुलन खो दिया। ऐसे में गाड़ी असंतुलित होकर गड्ढे में गिर गई। उपेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस की जाच में सामने आया कि हादसा फा‌र्च्यूनर के गड्ढे में गिरने से हुआ है। किसी अन्य वाहन से टक्कर नहीं हुई है।

समय रहते ही पहुंच गए थे अस्पताल

शराब कारोबारी उमेश गुर्जर ने बताया कि महावीर अस्पताल के मालिक मोनू ने करीब 10.30 बजे पाशा की कार को पलटा देख कर जानकारी दी। उसके बाद 10.50 तक गाव के काफी लोग वहा पहुंच गए थे। तभी प्रशात को उठाकर महावीर अस्पताल बागपत रोड पर ले गए। वहा तक पहुंचने में 20 मिनट का समय लगा। प्राथमिक उपचार देने के बाद रात 12.15 बजे आनंद अस्पताल ले गए, जहा पर चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। थाना प्रभारी उपेंद्र ने बताया कि अभी तक परिवार के लोगों की तरफ से तहरीर नही मिली। पुलिस ने जीडी में तस्करा डालकर पोस्टमार्टम कराकर शव परिवार को सौंप दिया था। बेटियों ने दी मुखाग्नि

प्रशांत के बाद परिवार में अब उनके वृद्ध माता-पिता, पत्‍‌नी निधि व दो बेटियां रागिनी व परणी हैं। बेटियों ने ही मुखाग्नि दी। इनसेट

112 नंबर पर काल करें तुरंत मदद मिलेगी

संपर्क मार्ग पर हादसा होने की स्थिति में मदद के लिए 112 नंबर पर काल कीजिए। देहात में एबुलेंस की सुविधा 15 मिनट में मिल जाएगी। पब्लिक रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) पर मरीज को प्रथम उपचार की सुविधा भी है। इस हादसे में उमेश ने सीधे थाना प्रभारी को काल की। थाना प्रभारी का कहना है कि सूचना के बाद मौके पर पहुचे तो उमेश-मोनू प्रशांत को अस्पताल ले गए थे। वहीं पर जाकर पुलिस ने कागजी कार्यवाही पूरी की।

हाईवे पर हादसों में मदद के बारे में उन्होंने बताया कि टोल फ्री नंबर पर काल करने से उनकी एबुलेंस मरीज को अस्पताल ले जाती है। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में तत्काल सेवा उपलब्ध कराने का मकसद यही है कि जो गोल्डन आवर होता है, उसमें घायल को यथासंभव चिकित्सकीय मदद दी जा सके, ताकि उसकी जान बचाई जा सके। इस मामले में मित्रों की मदद से घायल अस्पताल तक तो गोल्डन आवर में पहुंच गए थे, लेकिन दुर्घटना भीषण थी, जिसकी वजह से जान नहीं बच सकी।


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