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Positive India: आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने दिन-रात एक कर बना दिए 39 हजार मास्क Bagpat News

आजीविका मिशन से जुडी हुई महिलाओं को मास्क बनाने के लिए कपड़ा नहीं मिला तो खुद व्यवस्था करके मास्क बनाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में मास्क बनाने के दिए टारगेट को पूरा कर लिया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 11:40 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 11:40 PM (IST)
Positive India: आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने दिन-रात एक कर बना दिए 39 हजार मास्क Bagpat News
Positive India: आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने दिन-रात एक कर बना दिए 39 हजार मास्क Bagpat News

बागपत, [जहीर हसन]। हौसले बुलंद और संकल्प दृढ़ हो तो कोई भी बाधा राह नहीं रोक सकती। इसे साबित किया है बागपत की नारी शक्ति ने। आवंटित कपड़ा नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने खुद के दम पर 39 हजार मास्क तैयार कर दिए। विषम हालात में महिलाओं का यह जुनून काबिल-ए-तारीफ है।

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कोरोना से निपटने के लिए प्रदेश सरकार ने घर से बाहर निकलने पर मास्क लगाने की अनिवार्यता की हुई है। मास्क बनाने का जिम्मा राष्ट्रीय आजीविका मिशन के महिला स्वयं सहायता समूहों को भी मिला। शासन ने अप्रैल के प्रथम सप्ताह में बागपत जिले के लिए खादी आश्रम शामली से कपड़ा आवंटित होना था। इस कपड़े से 55 हजार मास्क बनाने का लक्ष्य दिया गया।

अधिकारियों ने महिलाओं को एक-दो दिन में कपड़ा उपलब्ध कराने का भरोसा दिया। दो सप्ताह तक भी कपड़ा नहीं मिला तो बागपत में आजीविका मिशन से जुड़ी 107 महिलाओं ने लॉकडाउन की सख्ती के बावजूद इधर-उधर से खुद कपड़े की व्यवस्था कर ली। दिन-रात काम किया और 39 हजार मास्क बना दिए, जो तय लक्ष्य का 71 फीसद है।

पंचायत राज, विकास विभाग के अधिकारी, प्रधान तथा समाजसेवी महिलाओं से 30 हजार से ज्यादा मास्क खरीदकर गांवों में बेसहारा लोगों, गरीबों, सफाई कर्मियों और कामगारों को मुफ्त बांट चुके हैं।

अच्छी क्वालिटी, कीमत भी कम

मवीकलां की सरोज देवी ने घर पर छह महिलाओं के सहयोग से सूती कपड़े के दस हजार मास्क बनाए। कासिमपुर खेड़ी की कुसुम ने छह हजार, बिजरौल गांव की रेखा, सुदेश, रितु, एकता, रिहाना और सलमा ने कुल 15 हजार और लधवाड़ी की रेखा ने 2500 मास्क तैयार कर दिए। सूती कपड़े से बने दो और तीन लेयर के मास्क की कीमत बाजार में 30-40 रुपये में कम नहीं, लेकिन महिलाओं के बने मास्क 15 से 18 रुपये में सहज उपलब्ध हैं।

जीवन बचाने को बना रहीं मास्क

बिजरौल की योगिता, मवीकलां की सरोज और लधवाड़ी गांव की रेखा तथा मोहसिना कहतीं हैं कि कमाई करने को पूरी जिंदगी है, लेकिन इस वक्त लागत मूल्य पर मास्क उपलब्ध करा रहीं हैं। इस समय जीवन बचाने की चुनौती है।

आजीविका मिशन के उपायुक्त-राष्ट्रीय ब्रजभूषण सिंह ने कहा कि वाकई महिलाओं का काम शानदार है। आवंटित कपड़ा नहीं मिलने से हम परेशान थे, लेकिन महिलाओं ने खुद इधर-उधर से कपड़ा खरीदकर मास्क बनाए और लक्ष्य की काफी पूर्ति कर दी है। 


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