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गुर्जर राजनीति में चौधराहट की जंग, हुकुम सिंह के विकल्प की हो रही तलाश Meerut News

पश्चिमी उप्र में भाजपा में दिग्गज चेहरों की एंट्री से मूल कैडर निराश है। ऐसे में हुकुम सिंह के विकल्प की तलाश भी जोरों पर है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 04 Aug 2019 11:42 AM (IST)Updated: Sun, 04 Aug 2019 11:42 AM (IST)
गुर्जर राजनीति में चौधराहट की जंग, हुकुम सिंह के विकल्प की हो रही तलाश Meerut News
गुर्जर राजनीति में चौधराहट की जंग, हुकुम सिंह के विकल्प की हो रही तलाश Meerut News
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत नए मोड़ पर पहुंच गई है। भगवा लहर से जातीय समीकरण भी करवट बदल रहे हैं। खासकर, गुर्जर राजनीति में चौधराहट की जंग तेज हो गई है। पूर्व कैबिनेट मंत्री चौ. वीरेंद्र सिंह का कद भाजपा में बढ़ने से संगठन के कई चेहरे मुरझा गए हैं, वहीं सुरेंद नागर और अवतार सिंह भड़ाना के भगवा खेमे में शामिल होने की अटकलों ने भी अंदरूनी पारा चढ़ाया है। योगी के मंत्रिमंडल विस्तार और गंगोह विस उपचुनाव से गुर्जर सियासत की दिशा तय होगी। पश्चिम उप्र में पार्टी बाबू हुकुम सिंह का विकल्प नहीं खोज पा रही है।
गुर्जरों में मुखिया की तलाश
भाजपा ने 2014 लोकसभा और 2017 विस चुनाव में जबरदस्त जीत दर्ज की, लेकिन गुर्जरों को संगठन और मंत्रिमंडल में ओहदा नहीं मिला। पिछले साल डिप्टी सीएम केशव मौर्य के ओबीसी सम्मेलन सत्र में गुर्जर नेता अवतार सिंह भड़ाना ने भाजपा पर जाटों को तवज्जो देने और गुर्जर समाज को उपेक्षित करने का आरोप मढ़ा था। 2019 लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उप्र की 14 सीटों में सिर्फ कैराना और अमरोहा लोकसभा पर गुर्जर को टिकट मिला। जबकि बागपत, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में पार्टी ने जाट चेहरे पर दांव खेला। चौ. अजित सिंह को हराने वाले जाट नेता डा. संजीव बालियान को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी स्थान मिला। अब पार्टी गुर्जरों में चेहरा तलाश रही है।
मंत्री बनने का गणित उलझा
प्रदेश संगठन में लंबे समय से अहम पदों पर रहे अशोक कटारिया का नाम मंत्रिमंडल की रेस में है। पिछले साल पार्टी ने उन्हें एमएलसी तो बनाया, किंतु मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी। कटारिया को प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल का करीबी माना जाता है। विश्लेषकों की मानें तो वीरेंद्र सिंह की एंट्री से गणित उलझ गया है। इधर, मेरठ के विधायक डा. सोमेंद्र तोमर सबसे युवा गुर्जर चेहरा हैं, जिन्हें पंचायती राज का सभापति बनाया गया। मंत्रिमंडल के लिए उनका दावा मजबूत है। दादरी विधायक तेजपाल नागर भी रेस में हैं। मीरापुर विधायक अवतार सिंह भड़ाना गुर्जरों के दिग्गज नेता माने जाते हैं, लेकिन गत लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस में चले गए थे। भड़ाना एक बार फिर भाजपा में एंट्री की फिराक में हैं। उन्हें न तो भाजपा ने निकाला है, और न ही उनकी विस सदस्यता रद हुई किंतु बगावती तेवर से वो मंत्रिमंडल की रेस में पीछे माने जा रहे हैं।
रैली में वीरेंद्र पर मेहरबान रहे योगी
पश्चिमी उप्र में मजबूत जनाधार रखने वाली बसपा के पास सिर्फ मलूक नागर के रूप में बड़ा गुर्जर चेहरा है, जबकि सपा के पाले से गाजियाबाद के दिग्गज नेता सुरेंद्र नागर अब भगवा पताका थामने की तैयारी में हैं। कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। पूरी सियासत भाजपा के इर्द गिर्द सिमट गई है। जल्द ही प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, जिसमें गुर्जरों का दावा मजबूत है। पूर्व कैबिनेट मंत्री चौ. वीरेंद्र सिंह का नाम चर्चा में है। विस चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री योगी ने पश्चिमी उप्र की रैलियों में चौ. वीरेंद्र सिंह की जमकर तारीफ की थी, जिसके अब मायने निकाले जा रहे हैं। वीरेंद्र के बड़े भाई गुर्जर समाज से सुप्रीम कोर्ट के पहले जज रहे हैं, जिनका राजनीतिक रसूख है।
गंगोह से तय होगी दिशा
गंगोह विस कैराना लोकसभा के अंतर्गत है, जिस पर गुर्जरों का दावा रहा है। यहां के विधायक प्रदीप चौधरी सांसद बन चुके हैं। उपचुनाव के लिए दर्जनों दावेदारों ने दिल्ली और लखनऊ की परिक्रमा तेज कर दी है। प्रदीप चौधरी अपने खेमे के व्यक्ति के लिए जोर लगाएंगे, जबकि संगठन नए नामों को तवज्जो दे सकता है। उधर, कैराना से टिकट पाने में चूकी बाबू हुकूम सिंह की पुत्री मृगांका सिंह भी बड़ी दावेदार हैं। पार्टी में कई दिग्गज उनकी पैरवी कर रहे हैं। 

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