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Meerut Cantt Board : राजनीति के ये रंग अजीब, दुश्मन बने दोस्त-हबीब Meerut News

कैंट बोर्ड के चुनावी सीन के मुताबिक विरोधी खेमा लामबंद दिखाई दे रहा है जबकि कल तक एक दूसरे के हमकदम आज आपस में ही छल-प्रपंच रच रहे हैं।

By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 29 Jul 2019 10:02 AM (IST)Updated: Mon, 29 Jul 2019 10:02 AM (IST)
Meerut Cantt Board : राजनीति के ये रंग अजीब, दुश्मन बने दोस्त-हबीब Meerut News
Meerut Cantt Board : राजनीति के ये रंग अजीब, दुश्मन बने दोस्त-हबीब Meerut News
मेरठ, जेएनएन। ‘‘सियासत साजिशों का एक ऐसा खेल है जिसमें, कई चालों को खुद से भी छिपाकर चलना पड़ता है।’’शायर अशोक साहिल का यह मकबूल शेर छावनी परिषद की चुनावी राजनीति की नुमाइंदगी करता नजर आ रहा है। चुनावी चौसर इस तरह बिछी हुई है कि शह-मात के खेल में दोस्त-दुश्मन की शिनाख्त करना नामुमकिन हो गया है। चुनावी सीन के मुताबिक, विरोधी खेमा लामबंद दिखाई दे रहा है, जबकि कल तक एक दूसरे के हमकदम आज आपस में ही छल-प्रपंच रच रहे हैं।
सभी सोढ़ी के साथ हैं
चार साल पहले छावनी परिषद का चुनाव हुआ था। चुनाव में वार्ड एक से रिनी जैन और वार्ड पांच से अनिल जैन सीधे तौर पर भाजपा के सिंबल पर चुनाव जीते थे। वार्ड दो बुशरा कमाल निर्दलीय चुनी गईं थीं। वर्तमान में वार्ड तीन की सदस्य बीना वाधवा को छोड़कर सभी भाजपा का दामन थाम चुके हैं। छह सदस्यों ने उपाध्यक्ष के पद पर विपिन सोढ़ी का नाम प्रस्तावित किया है, लेकिन कई बार बोर्ड बैठक में एक ही मुद्दे पर इन सदस्यों में भी मतभेद रहा है। ऐसे में एक अगस्त को उपाध्यक्ष के चुनाव में सात- एक का अनुपात रहता है, या फिर 5-4 का। इसे लेकर भी अटकलें चलने लगी हैं। हालांकि सभी सदस्यों की मानें तो सभी विपिन सोढ़ी के साथ हैं।
सोनकर भी अब भाजपाई हो गए
छावनी में भाजपा के सक्रिय सदस्यों को छोड़ दें तो वार्ड दो की सदस्य बुशरा के भाजपा समर्थित उम्मीदवार के साथ खड़ा होना, कई सवाल खड़े करता है। जिसमें यह भी कहा जा रहा है कि क्या मुस्लिम समुदाय को भाजपा की नीतियों से लाभ हुआ है, जिसकी वजह से अजमल भाजपा की ओर आए हैं, हालांकि पार्षद पति ने साफ किया है कि वह भाजपा की वजह से नहीं आए हैं। सुनील वाधवा के वादा खिलाफी के कारण आए। जिसमें उन्होंने पूर्व में स्वीकार किया था कि वह तीन महीने के लिए बुशरा को भी उपाध्यक्ष बनाएंगे। उधर, वार्ड सात के सदस्य धमेंद्र सोनकर का भाजपा के साथ खड़े होने को लेकर चर्चा है। चुनाव में धमेंद्र ने भाजपा के उम्मीदवार गोविंद सोनकर को हराया था। अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट से धमेंद्र सोनकर अब भाजपाई हो गए।
धुर विरोधी भी बीजेपी में
कैंट की राजनीति में अनिल जैन और दिनेश गोयल एक दूसरे के सबसे बड़े विरोधी माने जाते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में गोयल की भाजपा में ज्वाइनिंग को लेकर जो हो-हल्ला हुआ, वह शायद ही कोई भूला हो। वर्तमान में अनिल जैन वार्ड पांच और दिनेश गोयल की पत्‍नी मंजू गोयल वार्ड छह की सदस्य हैं। आज दोनों ही भाजपा के एक ही छत्र के नीचे आ गए हैं। यह साथ उपाध्यक्ष के चुनाव तक रहेगा या आगे तक चलता रहेगा। इसे लेकर भी छावनी में चर्चा आम है।
मसूरी छुट्टी मनाने गए कई सदस्य
छावनी परिषद के कई सदस्य इस समय मसूरी छुट्टी मनाने गए हुए हैं। इसमें वार्ड एक की सदस्य रिनी जैन और उनके पति अनंत जैन, वार्ड दो के बुशरा कमाल और उनके पति अजमल कमाल, वार्ड चार के सदस्य नीरज शामिल हैं।
तो क्‍या सुनील वाधवा भाजपा में आएंगे
छावनी परिषद में उपाध्यक्ष के दोबारा चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं। कैंट बोर्ड की राजनीति में बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले पूर्व उपाध्यक्ष सुनील वाधवा के भाजपा में शामिल होने की चर्चा शुरू हो गई है। छावनी के कुछ सदस्य भी मान रहे हैं कि वह भाजपा में जा सकते हैं, जबकि सुनील वाधवा और भाजपा के पदाधिकारियों ने अभी इससे इन्कार किया है।
जानिए तब क्‍या होगी स्थिति
कैंट बोर्ड की उपाध्यक्ष बीना वाधवा के खिलाफ सात सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें बाहर कर दिया। अब एक अगस्त को छावनी परिषद में उपाध्यक्ष का फिर से चुनाव होना है। इसमें सात वार्ड के सदस्यों ने वार्ड आठ के सदस्य विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया है। इसमें भाजपा के पदाधिकारी भी जुड़े हैं। यह बदलाव भाजपा के सदस्यों की संख्या अधिक होने के बाद की गई। बीना वाधवा के उपाध्यक्ष पद से हटने के बाद से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि अगर सुनील वाधवा भाजपा ज्वाइन करते हैं तो स्थिति क्या होगी। संभवत: उपाध्यक्ष का पद बीना वाधवा के पास फिर से आ जाए। छावनी परिषद के कुछ सदस्यों की मानें तो सुनील वाधवा को भाजपा के कैंट विधायक भाजपा ज्वाइन करा सकते हैं। वाधवा बसपा छोड़कर भाजपा में जाने के लिए भाजपा के बड़े पदाधिकारियों के संपर्क में भी हैं।
कैंट विधानसभा में दूसरे नंबर पर रहे हैं सुनील वाधवा
कैंट बोर्ड की राजनीति के अलावा सुनील वाधवा कैंट की मुख्य राजनीति में दखल रखते हैं। विधानसभा चुनाव में बसपा के बैनर से दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों बार दो नंबर पर रहे। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सत्यप्रकाश अग्रवाल 56800 मत लेकर विजेता हुए थे। उन्हें 40.25 मत प्राप्त हुए थे। दूसरे नंबर पर रहे बसपा से सुनील वाधवा को 40621 मत प्राप्त हुए थे। मत प्रतिशत था। वहीं वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कैंट से सत्यप्रकाश अग्रवाल 70820 मत से जीते थे। उनका मत प्रतिशत 34.86 फीसद रहा, जबकि सुनील वाधवा 67207 मत लेकर दूसरे नंबर पर रहे। उनका मत प्रतिशत 33.08 फीसद रहा था। ऐसे में सुनील वाधवा सहित उनके खेमे में अधिकांश लोग सत्यप्रकाश अग्रवाल के बाद सुनील वाधवा को ही मजबूत दावेदार समझ रहे हैं, ऐसी स्थिति में अगर सुनील वाधवा भाजपा ज्वाइन करते हैं और आगे उन्हें कैंट की राजनीति में जगह मिलती है तो उनके सामने चुनौती अधिक नहीं रहेगी।
इनका कहना है
भाजपा बोर्ड में बहुमत है, कोई कितना भी समीकरण बना लें, विपिन सोढ़ी के साथ ही सभी सदस्य हैं। आगे वही उपाध्यक्ष बनेंगे।
- अनंत जैन, पार्षद पति, वार्ड एक
सुनील वाधवा से लिखित एग्रीमेंट हुआ था, तीन-तीन माह के लिए उन्होंने बुशरा सहित अन्य सदस्यों को उपाध्यक्ष बनाने के लिए कहा था। बाद में मुकर गए। सब एरिया मुख्यालय में जब सभी छह सदस्य एकजुट हुए और उन्हें बुलाया गया तो उन्होंने विकास के लिए उनका साथ देने का निश्चय किया है। वह विपिन सोढ़ी के साथ हैं।
- अजमल कमाल, पार्षद पति वार्ड दो
हम विपिन सोढ़ी और भाजपा के साथ हैं, पार्टी के आदेश से ही उपाध्यक्ष के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया। आगे पार्टी के बताए रास्ते चलेंगे।
- नीरज राठौर, सदस्य वार्ड चार
दिनेश गोयल या मंजू गोयल से मेरी कोई दुश्मनी नहीं है। अगर कोई भाजपा ज्वाइन करता है तो मुङो क्या आपत्ति होगी।
- अनिल जैन, सदस्य, वार्ड पांच
भाजपा के महानगर अध्यक्ष साथ हैं, उनके कहने पर विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किया गया है। आगे पार्टी जो निर्णय करेगी। हम उसी पर चलेंगे।
- दिनेश गोयल, पूर्व उपाध्यक्ष, पार्षद पति वार्ड छह
मैं हमेशा से भाजपा का कार्यकर्ता रहा हूं, पार्टी ने विपिन सोढ़ी को उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय किया है। मैं उनके साथ आज से आगे तक रहूंगा।
- धमेंद्र सोनकर, सदस्य वार्ड सात
मैं सुनील वाधवा को भाजपा में ज्वाइन कराने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा हूं। पार्टी में ज्वाइन कराना महानगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी है। हमारे लिए संगठन सवरेपरि है। मैं हर किसी से जुड़ा हुआ हूं, मेरा कोई विरोधी नहीं है।
- सत्यप्रकाश अग्रवाल, कैंट विधायक
सुनील वाधवा भाजपा में आने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जिस लिए वह इस समय भाजपा में आएंगे, इसलिए उन्हें ज्वाइन नहीं कराया जाएगा। कैंट बोर्ड में सात सदस्य भाजपा के साथ हैं। उपाध्यक्ष के उम्मीदवार विपिन सोढ़ी हैं।
- मुकेश सिंघल, महानगर अध्यक्ष, भाजपा
यह अफवाह है। उपाध्यक्ष के हटने के बाद से ऐसी चर्चा लोगों में हो रही है। उपाध्यक्ष के चुनाव में अभी कई दिन है। आगे क्या होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है।
- सुनील वाधवा, पूर्व उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड 
अब एक अगस्त को उपाध्यक्ष का चुनाव
छावनी परिषद में अब एक अगस्त को उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। बोर्ड के अध्यक्ष डिप्टी जीओसी अनमोल सूद ने पूर्व की बैठक में 31 जुलाई या एक अगस्त में चुनाव कराने को कहा था। 31 को बाहर रहने की वजह एक अगस्त को शाम चार बजे उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। जिसके लिए बोर्ड ने सभी सदस्यों को एजेंडा भेज दिया है।
अफवाहों का बाजार गर्म..
छावनी में चार साल पहले जब उपाध्यक्ष बीना वाधवा का चुनाव हुआ था। उस समय छावनी के सदस्य शहर से बाहर हो गए थे। एक बार फिर दोबारा से उपाध्यक्ष के चुनाव के बाद अफवाहों का बाजार गर्म है। सदस्यों को अपने पाले में रखने के लिए उपाध्यक्ष के उम्मीदवार हर कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह किसी के संपर्क में मत चले जाए। देर शाम कई सदस्यों के फोन भी स्वीच आफ मिले।

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