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मुजफ्फरनगर : वाह! रे खाकी, गजब तेरा खेल, हत्या को बना दिया आत्महत्या और कोर्ट में दे दी अंतिम रिपोर्ट

रस्सी का सांप बनाने के लिए मशहूर खाकी यह खेल गजब है। हत्या के एक मामले को आत्महत्या का मामला दर्शाकर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी। उधर कोर्ट ने एफआर को निरस्त कर दोबारा विवेचना के आदेश दे दिए।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 10:09 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 01:07 AM (IST)
मुजफ्फरनगर : वाह! रे खाकी, गजब तेरा खेल, हत्या को बना दिया आत्महत्या और कोर्ट में दे दी अंतिम रिपोर्ट
मुजफ्फरनगर कोतवाली थाना क्षेत्र की फाइल फोटो।

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। रस्सी का सांप बनाने के लिए मशहूर खाकी यह खेल गजब है। हत्या के एक मामले को आत्महत्या का मामला दर्शाकर कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी। उधर, कोर्ट ने एफआर को निरस्त कर दोबारा विवेचना के आदेश दे दिए। मामले में एक दर्जन से ज्यादा विवेचक बदल चुके हैं, लेकिन आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हुई। मृतक का पिता इंसाफ पाने के लिए 20 बार से ज्यादा शिकायत आलाधिकारियों को कर चुका है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

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यह था मामला

छह सितंबर 2017 को छपार थानाक्षेत्र के गांव कासमपुर पठेड़ी निवासी रिषिपाल के बेटे सुमित का शव गन्ने के खेत में मिला था। इस मामले में पुलिस ने सहारनपुर जनपद के नल्हेड़ा गुर्जर गांव निवासी छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। तत्कालीन विवेचक ने आत्महत्या का मामला बताते हुए एफआर लगा दी थी। विवेचक ने केस डायरी में शव और घटनास्थल के फोटो भी संलग्न नहीं किए थे।

कोर्ट ने एफआर निरस्त कर दोबारा जांच के आदेश दिए। इस मामले में एक दर्जन से ज्यादा विवेचक बदल चुके हैं। फिलहाल मामले की जांच पुरकाजी थाना प्रभारी मनोज यादव कर रहे हैं। रिषिपाल का आरोप है कि पुलिस जानबूझकर मामले को लटका रही है और आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं कर रही है। रिषिपाल ने एडीजी मेरठ को प्रार्थनापत्र भेजकर कार्रवाई की गुहार लगाई है।

स्टेट मेडिको लीगल सेल ने दी थी गोली मारने की रिपोर्ट

पुलिस शुरुआती दौर से ही मामले को आत्महत्या मानकर चल रही थी। इसके चलते पुलिस ने स्टेट मेडिको लीगल सेल लखनऊ से सलाह मांगी थी। सेल ने अपनी रिपोर्ट में साढ़े चार फीट की दूरी से गोली मारे जाने की बात लिखी थी और मामले को हत्या करार दिया था। इसके बाद पुलिस ने बहाना बनाया था कि रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है, जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि मृतक को साढ़े चार फीट की दूरी से गोली मारी गई थी। बावजूद इसके पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इस मामले में जब विवेचक मनोज यादव से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

सबूत छिपा रही पुलिस : ज्ञान

मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान कुमार का कहना है कि उन्होंने एफआर को रद करा दिया था। पुलिस आरोपितों को बचाने के लिए जानबूझकर सबूत छिपा रही है जो अपराध की श्रेणी में आता है। एसएसपी अभिषेक यादव ने कहा कि प्रकरण पुराना है। पूरे मामले की जांच कराने के बाद विधिसम्मत कार्रवाई कराई जाएगी।


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