PNG Issue In Meerut: आधी अधूरी तैयारियों के बीच आखिर पीएनजी पर कैसे शिफ्ट होंगे उद्योग, पढ़ें यह रिपोर्ट
PNG Issue In Meerut मेरठ में एक अक्टूबर से उद्योगों को पीएनजी में शिफ्ट करने का मामला। सीएक्यूएम के कानूनों के विरोध में उद्यमी आंदोलन की राह पर। जल्दी नया सेटअप तैयार करना न उद्यमियों के लिए आसान है और न ही सरकारी मशीनरी के लिए।
मेरठ, जागरण संवाददाता। PNG Issue In Meerut एनसीआर में वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) कई कदम उठा रहा है। एक अक्टूबर से उद्योगों और डीजल जनरेटरों को पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) में शिफ्ट करने के निर्देश भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं।
आंदोलन की राह
उद्यमियों ने इसके विरोध में आंदोलन की राह पकड़ ली है। दरअसल, एनसीआर के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) में संशोधन किया गया है। इसके तहत वायु की गुणवत्ता के आधार पर ग्रैप को अलग-अलग चार चरणों में विभाजित किया है।
इतनी जल्दी सेटअप तैयार संभव नहीं
एनसीआर में उद्योगों को पीएनजी में शिफ्ट करने के साथ ही डीजल जेनरेटरों पर पाबंदी का कानून एक अक्टूबर से लागू होना है। इतनी जल्दी नया सेटअप तैयार करना न उद्यमियों के लिए आसान है और न ही सरकारी मशीनरी इसके लिए सक्षम दिख रही है। नए नियमों में ग्रैप लागू होने पर उद्योगों में क्लीन फ्यूल के प्रयोग पर बल दिया जाएगा।
बायोमास का प्रयोग
जिन उद्योगों में पीएनजी की सप्लाई है, वे अपने यहां इसका प्रयोग करेंगे और जिनमें इसकी आपूर्ति अभी तक नहीं हो पाई है, वे बायोमास का प्रयोग फ्यूल के तौर पर करेंगे। सीएक्यूएम ने जिलों में भी पर्यावरण योजना तैयार करने के लिए कहा है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए विशेष निगरानी टीमों का गठन करने और रात को पेट्रोलिंग करवाने के साथ आकस्मिक चेकिंग कराने की हिदायत भी दी गई है।
ये रहेंगे पाबंदी से बाहर
सीएक्यूएम ने चिकित्सा सेवाएं, रेलवे सेवा, मेट्रो रेल सेवाएं, हवाई अड्डे, अंतरराष्ट्रीय बस टर्मिनल, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा संबंधित गतिविधियां, ट्रांसपोर्ट और पावर हाउस को डीजल के जेनरेटर चलाए जाने की छूट दी है। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी विजय का कहना है कि जिन संस्थाओं को इससे बाहर रखा है, उन्हें छोड़कर बाकी सभी पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा।
तुलनात्मक विवरण
प्रकार गैस आधारित जेनरेटर डीजल आधारित जनरेटर
कीमत 18-19 लाख 10 लाख
प्रति यूनिट खर्च 26 रुपये 30 रुपये
इकाई तक लाइन खर्च 10 हजार कोई नहीं
बैंक गारंटी एक लाख कोई नहीं
प्रदूषण की स्थिति न के बराबर दमघोंटू प्रदूषण होता है
(आंदोलन के संयोजक उद्यमी संजीव गुप्ता से मिली जानकारी के अनुसार यह विवरण 100 किलोवाट के जेनरेटर का है। गैस चलित जेनरेटर में 15 दिन का कुल बिल का एडवांस डिपोजिट भी कंपनी को कराना होगा। गैस के प्रेशर की दिक्कत का भी सामना करना होगा।)
यह है जिले में पीएनजी का हाल
जिले में करीब 40 हजार पीएनजी कनेक्शन हैं। इनमें से करीब 28 हजार कनेक्शन में सप्लाई चालू है। करीब 100 किमी स्टील पाइप और 1000 किमी एमडीपीई (प्लास्टिक) पाइप डाली गई है। जिले में अभी 51 औद्योगिक कनेक्शन हैं। किसी उद्यमी को कोई परेशानी नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में करीब 15 किमी स्टील पाइप और 50 किमी एमडीपीई पाइप डाली गई है। कुछ औद्योगिक क्षेत्र में पाइप डालने के लिए नगर निगम से अनुमति शेष है। यहां घरेलू पीएनजी की दर 51.85 रुपये एससीएम व औद्योगिक दर 76 रुपये एससीएम है।
- शिल्पी टंडन, प्रवक्ता, गेल गैस
सीएक्यूएम की गाइडलाइन जारी हो चुकी है। उद्यमियों को आदेश की जानकारी उपलब्ध करा दी गई है। इसकी निगरानी सीएक्यूएम की ओर से गठित समितियां करेंगी। जहां पीएनजी की लाइन उपलब्ध नहीं है, वहां एक जनवरी 2023 से यह आदेश लागू होगा।
- विजय, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, मेरठ
सीएक्यूएम के नए कानून पूरी तरह उद्यमियों के खिलाफ हैं। कोरोना काल के बाद से उद्योगों की हालत अच्छी नहीं है। ऐसे में नए कानून लागू होने से उद्योगों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। लागत बढ़ने से उत्पाद महंगे हो जाएंगे। कई खेल उद्यमी सरकार की तानाशाही के कारण जालंधर पलायन की तैयारी कर रहे हैं।
- सुमनेश अग्रवाल, अध्यक्ष आइआइए
सीएक्यूएम के प्रविधान एक अक्टूबर से लागू होंगे। इनका पूर्णतः पालन कराया जाएगा। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग को निर्देशित कर दिया गया है कि वह नियमानुसार जांच कर कार्रवाई करे। उद्यमी का पक्ष भी सुना गया है।
- दीपक मीणा, डीएम
यह है ग्रैप
एनसीआर में वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान तैयार किया गया था। इसके तहत हवा की गुणवत्ता को औसत से खराब, बहुत खराब और गंभीर श्रेणियों में बांट गया था। इसे नाम दिया ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप। ग्रैप को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वर्ष 2017 में नोटिफाई किया। लेकिन वर्ष 2020 में ईपीसीए को भंग कर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग बनाया गया। अब यह आयोग ग्रैप को लागू करने संबंधित प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।