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परीक्षा पर चर्चा 2020 कार्यक्रम लाइव देखकर बच्‍चों ने नोट किये सफलता के मंत्र Meerut News

मेरठ जिले के स्कूलों में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए प्रोजेक्टर लैपटॉप व टीवी लगाए गए। बच्चों ने पीएम की बात ध्यान से सुनी और महत्वपूर्ण बिंदु नोट किए।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 12:49 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 12:49 PM (IST)
परीक्षा पर चर्चा 2020 कार्यक्रम लाइव देखकर बच्‍चों ने नोट किये सफलता के मंत्र Meerut News
परीक्षा पर चर्चा 2020 कार्यक्रम लाइव देखकर बच्‍चों ने नोट किये सफलता के मंत्र Meerut News

मेरठ, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम बच्चों को लाइव दिखाने के लिए शहर के स्कूलों में अलग-अलग प्रबंध किए गए। जिन स्कूलों में जगह कम थी वहां थोड़े बच्चों को दिखाया गया। जिनके पास बड़ा हॉल था वहां अधिक से अधिक बच्चों को यह कार्यक्रम दिखाने के लिए प्रोजेक्टर, टीवी व लैपटॉप चलाए गए। बच्चों ने भी बड़ी संख्या में परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम देखा, सुना और प्रधानमंत्री द्वारा बताए गए महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट भी किया। कुछ स्कूलों में बच्चों को यह टास्क भी मिला कि पीएम की महत्वपूर्ण बातों को वह नोट करेंगे और बाद में क्लास में सभी को बताएंगे। इससे स्कूलों के सभी बच्चों तक पीएम की बात पहुंचेगी। उनके सुझाव पहुंचेंगे जिससे भविष्य में वह भी परीक्षाओं में इस्तेमाल कर सकेंगे।

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विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों के सवाल पर बताया कि विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा प्राप्त होती है। अगर आप किसी कार्य को करने में विफल हुए हैं तो यह मान लीजिए कि आप सफलता की ओर एक कदम और बढ़े हैं। ऐसा कतई नहीं मानना चाहिए कि एक बार विफल हो गए तो रास्ता वहीं समाप्त हो गया। इसी तरह बच्चों को धैर्य रखने, अपनी तैयारी को बेहतर करने और माता-पिता की स्थिति को समझने के लिए भी प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की जाने अनजाने सफलता का मापदंड परीक्षा के मार्क्स को ही मान लिया गया है, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। परीक्षा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव जरूर है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण या अंतिम पड़ाव बिल्कुल नहीं है। परिजनों को भी इस बात का दबाव नहीं बनाना चाहिए कि बच्चे परीक्षा में अंकों पर ही अधिक ध्यान दें। दुनिया बदल चुकी है, संभावनाएं बहुत हैं, रास्ते बहुत हैं। बच्चे एक बार असफल होंगे तो अपनी कमियों को और बेहतर कर दूसरे रास्ते पर अधिक सफल हो सकेंगे।

उदाहरण देकर समझाएं अपनी बात

प्रधानमंत्री ने किसानों का उदाहरण देते हुए बताया कि किसान भले ही कम पढ़े लिखे हो पर खेती किसानी के लिए विकसित नई-नई तकनीकी का इस्तेमाल कर लगातार खेती को बेहतर करते रहते हैं। इसलिए सभी कोशिश करें, परिणाम अच्छा ही होगा। इसके साथ ही बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2001 में कोलकाता में हुए भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच का भी उदाहरण दिया। जिसमें भारत बुरी तरह हारने की कगार पर था, लेकिन राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के दृढ़ निश्चय और धैर्य ने टीम को जिताने में मदद की। इसी तरह 2002 में दक्षिण अफ्रीका में गई भारतीय टीम मैच के दौरान अनिल कुंबले के जबड़े में गेंद लग गई थी। पीएम ने कहा कि वह चाहते तो न खेलते लेकिन सभी को प्रोत्साहित करने के लिए वह मैच खेले और सबसे अधिक विकेट भी लिए। कई बार किसी एक व्यक्ति के साहस और व्यक्तित्व से बहुत सारे लोग प्रोत्साहित होते हैं। इसलिए कभी किसी परिस्थिति में हताश होकर रुकना नहीं चाहिए। 


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