PM Fasal Bima Yojana: फसल बीमा से दूर हो रहे किसान, साल दर साल आवेदकों की घट रही संख्या
बीमा कंपनी करोड़ों की प्रीमियम राशि वसूलकर फसली नुकसान होने की सूरत में किसानों को बहुत थोड़ा क्लेम देकर पीछा छुड़ा लेती हैं। सरकार ने भी इसे स्वैच्छिक कर दिया है।
बागपत, जेएनएन। किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रास नहीं आ रही है। साल दर साल फसल बीमा कराने वाले किसान घट रहे हैं। कारण साफ है कि बीमा कंपनी करोड़ों की प्रीमियम राशि वसूलकर फसली नुकसान होने की सूरत में किसानों को बहुत थोड़ा क्लेम देकर पीछा छुड़ा लेती हैं। अब सरकार ने भी फसल बीमा की अनिवार्यता खत्म कर इसे स्वैच्छिक कर दिया है।
कृषि विभाग के अनुसार, साल 2016 में 16776 किसानों की फसलों का बीमा हुआ, जिससे कंपनी को 2.97 करोड़ रुपये प्रीमियम राशि किसानों से मिली। 501 किसानों को फसली नुकसान पर 17.76 लाख रुपये क्लेम मिला। वर्ष 2017 में 1699 किसानों की फसल का बीमा करने पर कंपनी को 7.84 लाख रुपये प्रीमियम प्राप्त हुआ, लेकिन फसल नुकसान पर क्लेम मात्र 1.02 लाख रुपये मिल सका।
बीमा करने पर कंपनी को 37.6 लाख प्रीमियम राशि मिली
साल 2018 में 3154 किसानों की फसल बीमा करने पर कंपनी को 37.6 लाख प्रीमियम राशि मिली, लेकिन 58 किसानों को 92 हजार रुपये क्लेम मिला। साल 2019 में 2542 किसानों से फसल बीमा करने पर कंपनी को 20 लाख से ज्यादा की प्रीमियम राशि प्राप्त हुई है, लेकिन किसानों को कितना क्लेम दिया यह ब्योरा कृषि विभाग में नहीं है। इससे साफ है कि हर साल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या घट रही है।
नहीं चाहिए फसल बीमा
निनाना के किसान चौ. इंद्रपाल सिंह व सरूरपुरकलां के सुभाष नैन ने कहा कि बीमा योजना के मानक के मुताबिक कंपनी को फायदा होता है। लिहाजा वह फसल बीमा नहीं कराएंगे। अन्य किसानों ने भी विभिन्न बैंकों को लिखकर दिया है कि वे फसल बीमा नहीं कराना चाहते।
जानिए प्रीमियम राशि
किसानों को खरीफ फसल के लिए दो फीसद तथा रबी के लिए 1.5 फीसद प्रीमियम राशि बीमा कंपनी को चुकानी होती है। बीमा कराने को खसरा खतौनी की फर्द, बैंक खाता व आधार कार्ड देना होता है। अब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना स्वैच्छिक कर दी गई है। फसल बीमा नहीं कराने वाले किसान 24 जुलाई तक संबंधित बैंक प्रबंधक को लिखित में अवगत करा दें। इसके बाद बैंक प्रबंधक कर्ज की राशि से बीमा प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को नहीं भेजेंगे। -प्रशांत कुमार, उप कृषि निदेशक