एमडीए के झूठ से प्लाट खरीदार हुआ बीमार, उपभोक्ता फोरम ने लगाया जुर्माना
एमडीए के झूठ के कारण एक आवंटी बीमार पड़ गया। आवंटी ने प्लाट पर मकान बना लिया लेकिन अगल-बगल सारे प्लाट खाली पड़े रहे। इनमें गंदगी के कारण आवंटी परेशान हो गया।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 04:27 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 04:27 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम का एक आवंटी के पक्ष में आया है जिसमें एमडीए पर 55 हजार का जुर्माना लगाया गया है। मामला एमडीए के एक झूठ की वजह से प्लाट खरीदार के बीमार होने से जुड़ा है।
अपने नाम कराया था प्लाट
गंगानगर पाकेट-के, भूखंड संख्या 82 निवासी कालूराम मलिक पुत्र स्व. कृपा राम मलिक ने एमडीए व उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ अप्रैल 2013 में परिवाद दायर किया था। इसमें परिवादी कालूराम ने फोरम के समक्ष अपना पक्ष रखा था कि उसने यह प्लाट 2001 में मूल आवंटी शकुंतला से खरीदकर अपने नाम दर्ज कराया था। उसने यह प्लाट इसलिए खरीदा था कि पांच साल के अंदर वहां सभी प्लाटों पर मकान बन जाएंगे और आबादी बस जाएगी क्योंकि एमडीए ने जून 2001 में शकुंतला को जारी किए विक्रय पत्र में यह शर्त रखी थी कि यदि खरीदे गए भूखंड पर पांच वर्ष के अंदर भवन निर्माण नहीं किया गया तो दो प्रतिशत का अधिभार लग जाएगा। यही नहीं विक्रय करार रद करके भूखंड वापस लेने का अधिकार भी एमडीए का होगा।
आसपास के प्लाट खाली रहे
उन्होंने फोरम को बताया कि उन्होंने तो प्लाट पर मकान बना लिया लेकिन आसपास के सभी प्लाट खाली रह गए, जिन पर झाड़ी उग आई। उसमें कीड़े मकोड़े व गंदगी पनप गई। खाली पड़े प्लाटों में से ही एक पर मोबाइल टावर लगा दिया गया। सुनसान जगह मकान होने से उसे सुरक्षा का खतरा रहता है और इस कारण उसे अपने खर्च पर गार्ड रखना पड़ा है। इन सबकी वजह से उसे मानसिक रूप से क्षति पहुंची है और वह उच्च रक्तचाप समेत कई बीमारियों की चपेट में आ गया है, इसलिए उसे एमडीए से इस क्षति व खर्च के लिए 15 लाख रुपये व वाद में खर्च हुए 10 हजार रुपये दिलाए जाएं।
एमडीए का झूठ आया सामने
सुनवाई में एमडीए का झूठ पकड़ा गया। 1998 और 2009 के शासनादेश में स्पष्ट है कि प्लाट में निर्माण न होने की दशा में अर्थदंड नहीं लगाया जाएगा। इस शासनादेश को छिपाकर एमडीए ने दंड लगाने वाली शर्त शामिल की। यही नहीं एमडीए ने कालूराम को अपना उपभोक्ता मानने से भी इन्कार किया था। फोरम के अध्यक्ष देशभूषण जैन व सदस्य इंदू चौधरी ने आदेश दिया कि एमडीए परिवादी को 2013 से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 50 हजार रुपये क्षति के रूप में व वाद व्यय के रूप में पांच हजार रुपये एक माह के अंदर अदा करे। इस संबंध में एमडीए वीसी साहब सिंह ने कहा कि अभी उन्होंने फोरम का आदेश नहीं देखा है। कानूनी परामर्श के बाद जो उचित होगा एमडीए कदम उठाएगा।
अपने नाम कराया था प्लाट
गंगानगर पाकेट-के, भूखंड संख्या 82 निवासी कालूराम मलिक पुत्र स्व. कृपा राम मलिक ने एमडीए व उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ अप्रैल 2013 में परिवाद दायर किया था। इसमें परिवादी कालूराम ने फोरम के समक्ष अपना पक्ष रखा था कि उसने यह प्लाट 2001 में मूल आवंटी शकुंतला से खरीदकर अपने नाम दर्ज कराया था। उसने यह प्लाट इसलिए खरीदा था कि पांच साल के अंदर वहां सभी प्लाटों पर मकान बन जाएंगे और आबादी बस जाएगी क्योंकि एमडीए ने जून 2001 में शकुंतला को जारी किए विक्रय पत्र में यह शर्त रखी थी कि यदि खरीदे गए भूखंड पर पांच वर्ष के अंदर भवन निर्माण नहीं किया गया तो दो प्रतिशत का अधिभार लग जाएगा। यही नहीं विक्रय करार रद करके भूखंड वापस लेने का अधिकार भी एमडीए का होगा।
आसपास के प्लाट खाली रहे
उन्होंने फोरम को बताया कि उन्होंने तो प्लाट पर मकान बना लिया लेकिन आसपास के सभी प्लाट खाली रह गए, जिन पर झाड़ी उग आई। उसमें कीड़े मकोड़े व गंदगी पनप गई। खाली पड़े प्लाटों में से ही एक पर मोबाइल टावर लगा दिया गया। सुनसान जगह मकान होने से उसे सुरक्षा का खतरा रहता है और इस कारण उसे अपने खर्च पर गार्ड रखना पड़ा है। इन सबकी वजह से उसे मानसिक रूप से क्षति पहुंची है और वह उच्च रक्तचाप समेत कई बीमारियों की चपेट में आ गया है, इसलिए उसे एमडीए से इस क्षति व खर्च के लिए 15 लाख रुपये व वाद में खर्च हुए 10 हजार रुपये दिलाए जाएं।
एमडीए का झूठ आया सामने
सुनवाई में एमडीए का झूठ पकड़ा गया। 1998 और 2009 के शासनादेश में स्पष्ट है कि प्लाट में निर्माण न होने की दशा में अर्थदंड नहीं लगाया जाएगा। इस शासनादेश को छिपाकर एमडीए ने दंड लगाने वाली शर्त शामिल की। यही नहीं एमडीए ने कालूराम को अपना उपभोक्ता मानने से भी इन्कार किया था। फोरम के अध्यक्ष देशभूषण जैन व सदस्य इंदू चौधरी ने आदेश दिया कि एमडीए परिवादी को 2013 से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 50 हजार रुपये क्षति के रूप में व वाद व्यय के रूप में पांच हजार रुपये एक माह के अंदर अदा करे। इस संबंध में एमडीए वीसी साहब सिंह ने कहा कि अभी उन्होंने फोरम का आदेश नहीं देखा है। कानूनी परामर्श के बाद जो उचित होगा एमडीए कदम उठाएगा।
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