खिलाड़ियों के घर-आंगन बने खेल के मैदान
लॉकडाउन में खिलाड़ियों की जीवनशैली भी पूरी तरह से बदल गई है। स्टेडियम में फर्राटा भरने वाले खिलाड़ियों के घर आंगन ही अब उनके खेल के मैदान बच चुके हैं। सुबह के वॉर्मअप से लेकर शाम के अभ्यास तक की गतिविधियां घर छत या घर के बाहर हो रही हैं। देहात में कुछ युवा साथ मिलकर खेतों या ग्रामीण रास्तों पर ट्रेनिग कर रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन में खिलाड़ियों की जीवनशैली भी पूरी तरह से बदल गई है। स्टेडियम में फर्राटा भरने वाले खिलाड़ियों के घर आंगन ही अब उनके खेल के मैदान बच चुके हैं। सुबह के वॉर्मअप से लेकर शाम के अभ्यास तक की गतिविधियां घर, छत या घर के बाहर हो रही हैं। देहात में कुछ युवा साथ मिलकर खेतों या ग्रामीण रास्तों पर ट्रेनिग कर रहे हैं। कोच के मार्गदर्शन में चल रही खिलाड़ियों की ट्रेनिग में उनके माता-पिता व अन्य स्वजन भी बराबर सहयोग दे रहे हैं। संबंधित खेल की पूरी ट्रेनिग न भी हो सके तो खिलाड़ी फिटनेस और स्ट्रेंथ पर ध्यान दे रहे हैं।
ट्रेनिग से नहीं दी है छूट
जिला एथलेटिक्स संघ के कोच गौरव त्यागी के अनुसार किसी भी खिलाड़ी को लॉकडाउन में ट्रेनिग से छूट नहीं दी गई है। एक बार फिटनेस खराब हो गई तो वापस तैयार होने में अधिक समय लगता है। इसीलिए खिलाड़ियों को जरूरी एक्सरसाइज बताकर घर पर ही करने को कहा गया है। साथ ही एक्सरसाइज का वीडियो भी मंगा कर देखते हैं। गलती होने पर उसे सुधारा भी जा रहा है, जिससे उनकी फिटनेस और स्ट्रेंथ बनी रहे। ग्रामीण क्षेत्र में बच्चे तीन-चार के ग्रुप में भी दूर-दूर रहते हुए एक साथ ट्रेनिग कर रहे हैं।
बच्चों का रुझान देख हमारा जोश भी बढ़ता है
बॉक्सिग की राष्ट्रीय व खेलो इंडिया की प्रतियोगिता में पदक जीत चुके बॉक्सर इश्मीत सिंह के पिता गुरविदर सिंह के अनुसार इश्मीत लॉकडाउन में शुरुआत से ही घर में हर दिन चार से पांच घंटे ट्रेनिग कर रहे हैं। इसके अलावा वह स्नातक परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं। ट्रेनिग में गुरविदर सिंह भी इश्मीत का पूरा साथ व सहयोग करते हैं। इश्मीत ने लॉकडाउन में एक भी दिन की ट्रेनिग मिस नहीं की है।
माताएं कर रहीं घर की सफाई
लंबे लॉकडाउन के बीच खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा में बनाए रखने के लिए कुछ खेल संगठनों ने ऑनलाइन खेल प्रतियोगिताएं भी कराई हैं। मेरठ में फुटबाल विकास समिति और जंप रोप एसोसिएशन की प्रतियोगिता में खिलाड़ियों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इसी तरह अब वुशू फेडरेशन ऑफ इंडिया भी राष्ट्रीय प्रतियोगिता कराने जा रहा है। वुशू संघ के सीईओ सुहेल अहमद के अनुसार ऑनलाइन वुशू की प्रतियोगिता के लिए बच्चे घर से प्रतिभाग कर रहे हैं। कैमरे पर घर साफ-सुथरा दिखे इसलिए माताएं घर और छत की भी सफाई कर रही हैं।
सीनियर खिलाड़ियों को घर जाने का मौका नहीं
खेल संगठनों ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को लॉकडाउन में घर जाने का मौका नहीं दिया है। एथलेटिक्स में अन्नू रानी, प्रियंका, पारुल चौधरी, छवि सहरावत आदि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को एथलेटिक्स फेडरेशन ने साई परिसरों में ही रखा है। वहीं पर उनकी ट्रेनिग चल रही है। मेरठ के अंतरराष्ट्रीय शूटर्स, जो लॉकडाउन के पहले घर आए थे, वह वहीं रुके हैं। अन्य वापस नहीं आ सके। इसी तरह क्रिकेटर्स व अन्य खेलों की स्थिति भी है। -----------------------------
-किसी भी खेल का खिलाड़ी ट्रेनिग और प्रतियोगिता का ही भूखा होता है। अच्छे खिलाड़ियों को ट्रेनिग न मिले तो वह बीमार हो जाते हैं। इसीलिए लॉकडाउन में भी जो जहां हैं उन्हें वहीं पर ट्रेनिग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे उनकी शारीरिक फिटनेस के साथ ही मानसिक फिटनेस भी बनी रहेगी और जब भी वह मैदान में उतरेंगे उन्हें नए सिरे से शुरुआत नहीं करनी होगी।
-आले हैदर, क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी, मेरठ