प्लास्टिक के कचरे से बनाया शीशा जोड़ने वाला पाउडर
03 साल से रिसर्च प्रोजेक्ट पर विवि के रसायन विज्ञान विभाग में चला शोध -300 रुपये का टेरा थेलमाइजस पाउडर 20 रुपये के प्लास्टिक कचरे से किया तैयार। 35 दिन का समय पेट प्लास्टिक से टेरी थेलमाइजस पाउडर तैयार करने में लग जाता है। 50 लाख रुपये देने का प्रस्ताव एक कंपनी ने इस तकनीक को हस्तांतरित करने के लिए दिया। 200 डिग्री से. तक तापमान सहने की क्षमता होती है कंपाउंड टेरा थेलमाइजस से बने प्लास्टिक में।
मेरठ। (ओम बाजपेयी) प्रदूषण का कारक बने प्लास्टिक के कचरे को मूल्यवान रासायनिक पाउडर में तब्दील करने में कामयाबी मिली है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में लेमिनेटेड ग्लास और कंड्यूट पाइप (बिजली के तारों की वाय¨रग में प्रयुक्त) के निर्माण में इस पाउडर का प्रयोग किए जाने की तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। निजी कंपनी इस तकनीक के लिए विवि को लाखों रुपये देने को तैयार है। पर्यावरण के लिए नुकसानदेह है पेट वेस्ट
शीतल पेय, मिनरल वाटर, खाद्य पदार्थ जैसे तेल, रिफाइंड के लिए प्रयुक्त बोतलें, सौंदर्य प्रसाधनों की ट्यूबों, डेयरी उद्योग में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक के पाउचों का आजकल बहुतायत प्रयोग हो रहा है। उपयोग के बाद फेंक दिए जाने वाला यह प्लास्टिक मिट्टी में दब जाने के बावजूद लंबे समय तक नष्ट (नान बायोडिग्रेडेबल) नहीं होते हैं। इसे पोली इथनाइल टेराफथलेंट (पेट वेस्ट) के नाम से जानते हैं। इसे रिसाइकल करने वाली मौजूदा तकनीक से जो प्लास्टिक तैयार होती है वह निम्न क्वालिटी की होती है। यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए और अधिक नुकसानदेह है। यह हुआ शोध
चौ. चरण सिंह विवि के रसायन विज्ञान विभाग में भारत सरकार के डिपार्टमेंट आफ साइंस एवं टेक्नोलाजी द्वारा अनुमोदित रिसर्च प्रोजेक्ट पर पिछले तीन साल से शोध चल रहा है। प्लास्टिक की बोतलों और ट्यूब को एकत्र करने के बाद साफ करके छोटे टुकड़ों में काटा गया। इन्हें अलग-अलग जार में विभिन्न प्रकार के रसायनों के माध्यम से री-साइकल किया गया। विभाग की रिसर्च साइंटिस्ट डा. मीनू तेवतिया ने बताया कि पीईटी वेस्ट को अमिनोलिसिस और एल्कोहोलिसिस प्रक्रिया द्वारा टेरी थेलमाइजस नाम के पाउडर में बदला गया है। इसमें 15 से 35 दिन लगते हैं। विदेशों मुद्रा की होगी बचत
विवि की प्रयोगशाला में ही इस पाउडर से एक लिक्विड फार्मुलेशन बनाया गया है। जिसका इमारतों और कारों में प्रयोग होने वाले लेमिनेटेड ग्लास को परस्पर जोड़ने में इंटरलेयर (दो सतहों को जोड़ने वाला तरल पदार्थ) के रूप में इस्तेमाल किया गया है। उद्योगों में यह इंटरलेयर विदेशों से आयात होता है। हर साल लेमिनेटेड ग्लास से जुड़ी कंपनियां इस पर लाखों डालर व्यय करती हैं। शोध पर कार्य कर रही टीम के अनुसार 20 रुपये के पेट वेस्ट से जो पाउडर तैयार हुआ है उसकी कीमत 300 रुपये तक है। मजबूती के मानक पर खरा उतरा लेमिनेटेड ग्लास
प्रो. आरके सोनी के निर्देशन में शोध कर रही टीम ने पाउडर से तैयार इंटरलेयर से ग्लासों को आपस में जोड़कर उन्हें अल्ट्रा वायलेट चेंबर में रखा। लेयर ग्लास की पूरी सतह में एक सार रूप से मिनटों में फैल गई। इस लेमिनेटेड ग्लास की मजबूती आंकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार 45.5 किलोग्राम भार (लेदर शाट बैग) को 1.3 मीटर की ऊंचाई से गिराया गया लेकिन ग्लास नहीं टूटा। विवि में विकसित तकनीक से तैयार लेमिनेटेड ग्लास का इस मानक पर खरा उतरना लेमिनेटेड ग्लास की इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। चौ. चरण सिंह विवि के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके सोनी ने बताया कि पेट वेस्ट से तैयार कंपाउंड टेरा थेलमाइजस से बने प्लास्टिक में 200 डिग्री सेंटीग्रेड तक तापमान सहने की क्षमता होती है। थर्मल स्टेबलाइजर और अग्निरोधक की तरह इसका प्रयोग हो सकता है। एक कंपनी ने इस तकनीक को हस्तांतरित करने के लिए 50 लाख रुपये देने का प्रस्ताव दिया है।