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जनता का सूख रहा कंठ, फाइलों में लबालब है पेयजल

शहर में 5 लाख से ज्यादा आवासीय और व्यवसायिक भवन, पेयजल कनेक्शन मात्र 1.19 लाख। फर्जी कनेक्शनों की भी भरमार, फिर भी 40 फीसदी जनता को नसीब नहीं पेयजल सरकारी आंकड़े कर रहे मांग से ज्यादा पानी का दावा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 02:58 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:58 PM (IST)
जनता का सूख रहा कंठ, फाइलों में लबालब है पेयजल
जनता का सूख रहा कंठ, फाइलों में लबालब है पेयजल

मेरठ। नगर निगम के अफसरों का दावा है कि शहर में मांग से ज्यादा पेयजल उपलब्ध है। शहर में पानी की कोई कमी नहीं है लेकिन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने रहने योग्य बेहतर शहरों की प्रतिस्पर्धा की घोषणा की तो निगम प्रशासन के इन कागजी दावों की पोल खुल गई। सामने आया कि शहर की 40 फीसदी से ज्यादा जनता को पीने का पानी ही नसीब नहीं हो रहा है। इसके साथ ही पेयजल की सुनिश्चित उपलब्धता के मापदंड में शहर को अंक नहीं मिल सके।

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शहर में पांच लाख भवन, चोरी से पी रहे पानी

शहर में या तो मकानों में पानी का कनेक्शन नहीं है या फिर बड़ी संख्या में लोग अवैध रूप से निगम की पेयजल लाइन से पानी ले रहे हैं। शहर में वर्तमान में साढ़े तीन लाख आवासीय और कुल लगभग पांच लाख भवन हैं। लेकिन नगर निगम से पेयजल के कनेक्शन मात्र 1.19 लाख लोगों ने लिए हैं। बड़ी संख्या स्वच्छ पेयजल से अछूती है। पुराने शहर में जहां पानी का प्रेशर नहीं मिलता। वहीं बाहरी क्षेत्रों में पेयजल लाइनें ही नहीं हैं। इन इलाकों में पेयजल किल्लत दूर करने को दस हजार से ज्यादा एक एचपी के सबमर्सीबल नगर निगम ने लगाये। जबकि 800 से ज्यादा सबमर्सीबल 10 एचपी क्षमता के लगाये गये। ये सभी आम लोगों के नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से प्रयोग किये जा रहे हैं।

न कनेक्शन देते, न बिल वसूलने को गंभीर

नगर निगम में जलकल विभाग को घोटालों का गढ़ कहा जाता है। लंबे समय से यहां तैनात अधिकारियों पर केवल मनमानी और सरकारी खजाने की बंदरबांट करने के आरोप लगते रहे हैं। नलकूपों के संचालन, उनके रखरखाव के नाम पर हर महीने लाखों रुपये के भुगतान किये जाते हैं। वहीं जनता पानी की बूंद बूंद को तरसती रहती है।

दुरुपयोग रोकने को स्काडा सिस्टम

नलकूपों और जलाशयों में बिना जरूरत बहने वाली पानी की बर्बादी को रोकने के लिए स्काडा सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। जल निगम का दावा है कि 120 नलकूपों पर यह सिस्टम लग गया है लेकिन नगर निगम के पुराने मोटर तथा उनके संचालन का देशी तरीका नये सिस्टम के लिए भी चुनौती बना है।

जल निगम ने बनाई योजना, फिर भी शहर फेल

केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत नगर निगम ने घर घर में पेयजल कनेक्शन लगाने, 150 किमी लंबी पेयजल लाइन डालने, 21 नए नलकूप लगाने, 12 पुराने नलकूपों की रिबो¨रग तथा 4 नई पानी की ओवरहैड टंकी निर्माण के लिए 108.92 करोड़ की योजना तैयार की थी। जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृति भी दे दी। प्रथम किश्त जारी कर दी गई। जल निगम का दावा है कि कनेक्शन जारी किये जा रहे हैं। लेकिन शहर की आवश्यक्ता के मुताबिक प्रयास नहीं हो सके।

बाहरी क्षेत्रों को प्राथमिकता

नगर निगम ने पेयजल कनेक्शन के लिए जल निगम को शहर के ऐसे बाहरी क्षेत्रों की सूची सौंपी है जहां पेयजल लाइन, नलकूप तथा पानी की टंकी आदि सभी संसाधन उपलब्ध करा दिए गए हैं लेकिन लोग कनेक्शन नहीं ले पाए हैं। जटौली, खड़ौली, रोशनपुर डौरली, डाबका समेत शहर की सभी दिशाओं के बाहरी इलाके इस सूची में शामिल हैं।

शहर का पेयजलनामा

कुल नलकूप 157

पेयजल लाइन 352 किमी

ओवरहैड टैंक 132

भूमिगत जलाशय 06

कुल कनेक्शन 1.19 लाख

गंगाजल प्रोजेक्ट की क्षमता 100 एमएलडी

अमृत पेयजल योजना पर एक नजर

प्रोजेक्ट राशि 108.92 करोड़

स्वीकृत राशि 74.91 करोड़

प्रथम किश्त 40.69 करोड़

जारी राशि 5.97 करोड़

काम जो होंगे

- प्रत्येक घर में पेयजल कनेक्शन

- 150 किमी पेयजल लाइन बिछाना

- 21 नए नलकूप की स्थापना

- 12 पुराने नलकूपों की रिबो¨रग

- 4 नई पानी की ओरहैड टंकियों का निर्माण

अपर नगर आयुक्त अलीहसन कर्नी का कहना है कि शहर को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। पूर्व समय में इसमें अपेक्षित गति से काम नहीं हुआ। अब पुराने सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा है। साथ ही नये कनेक्शन देने का काम भी किया जा रहा है। जल्द शहर की पेयजल व्यवस्था में बदलाव दिखेगा।


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