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सफर मेरठ से दिल्‍ली: लोग परेशान हैं, कृपया समाधान करिए

मेरठ से दिल्‍ली कुल 65 किलोमीटर के इस सफर में आपको दिखेगा संबंधित विभागों का इस मार्ग के प्रति घोर उपेक्षात्‍मक रवैया लालफीताशाही का मकड़जाल और सब चलता है की भावना।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 05 May 2019 03:12 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2019 03:12 PM (IST)
सफर मेरठ से दिल्‍ली: लोग परेशान हैं, कृपया समाधान करिए
सफर मेरठ से दिल्‍ली: लोग परेशान हैं, कृपया समाधान करिए
मेरठ, [जय प्रकाश पांडेय]। चीखते-चीखते उस एंबुलेंस का सायरन भी अब बैठ चुका था ...उसमें सफर कर रहे मरीज के दिल की तरह। मकड़जाल के जैसे बेतरह उलझे जाम में फंसी उस एंबुलेंस में बैठे मरीज के परिवारीजन उस वक्‍त कातर नजरों से बस सड़क की ओर देख रहे थे, जो गाडि़यों से ठंसी पड़ी थी। वाहन तो दूर, पैदल चलना मुहाल था। इस परिवार की सिस्‍टम से उम्‍मीद की डोर टूट चुकी थी। अब उसे केवल और केवल ऊपरवाले का ही सहारा था। मरीज के परिवारीजनों के हाथ खुद ब खुद जुड़ गए, विकराल विवशता में परिवार की दो महिलाएं रो पड़ीं। खैर, किसी तरह जाम कुछ हल्‍का हुआ और एंबुलेंस दिल्‍ली की ओर तेजी से भाग निकली। यह वाकया शुक्रवार का है, आप ऐसा वाकया सोमवार, गुरुवार, बुधवार या शनिवार ...जब चाहें, देख सकते हैं।
यह है मेरठ-दिल्‍ली रोड
इन दो स्‍थानों के बीच की दूरी है 65 किलोमीटर।
यदि आप पहली बार इस इलाके में आ रहे हैं तो बेशक खुश हो सकते हैं कि एनसीआर में 65 किलोमीटर का सफर तो पलक झपकते बीत जाएगा। आप गलत होंगे, क्‍योंकि मेरठ से दिल्‍ली या दिल्‍ली से मेरठ के बीच आपका सफर न्‍यूनतम तीन घंटे लेगा ...अधिकतम की कोई सीमा नहीं।
सीधा सवाल ...आखिर ऐसा क्‍यों
सीधा जवाब ...नाकाम-नकारा सिस्‍टम
कुल 65 किलोमीटर के इस सफर में आपको दिखेगा संबंधित विभागों का इस मार्ग के प्रति घोर उपेक्षात्‍मक रवैया, लालफीताशाही का मकड़जाल आैर 'सब चलता है' की भावना। इसके परिणाम में आपको मिलता है इस मार्ग पर जगह-जगह अतिक्रमण, जगह-जगह अवैध कट, कस्‍बों में लापता फुटपाथ, धूल बन चुके डिवाइडर और औंधे मुंह पड़ी पूरी व्‍यवस्‍था। एक बार सफर करिए इस सड़क पर ...खुदा खैर करे, पनाह न मांग गए आप तो कहिएगा। दो महानगरों के मध्‍य का सफर किस कदर हाहाकारी भी हो सकता है, महसूसना हो तो दिल्‍ली-मेरठ रोड पर आपका स्‍वागत है। इस सड़क पर आपको सदा-सर्वदा जाम का साम्राज्‍य मिलेगा। दिवस का कोई भी पहर हो, आपका जाम से ...भीषण जाम से सामना होना ही होना है, एक जगह नहीं ...कई-कई जगह।
ऐसा नहीं है कि इस मार्ग को तमाम जंजालों से मुक्‍त करने के कोई प्रयास न हो रहे हों, खूब हो रहे हैं। हालांकि सब कुछ कागजों पर। आप अभी फोन उठा लें, किसी संबंधित विभाग के किसी अधिकारी को मिला लें, तश्‍तरी में सजा सजाया सा एक बयान आपके सामने आ जाएगा ...कि, योजना बन गई है ...कि, बस अब बजट का ही इंतजार है ...कि, बस दो माह इंतजार कर लें ...कि, बहुत जल्‍द सारा दुख दूर हो जाएगा और यह सड़क ताज एक्‍सप्रेस वे को भी मात कर देगी, आदि आदि।
आइए, देखिए जरा इस मार्ग का सूरत-ए-हाल। कहां क्‍या गड़बड़ी, किसके द्वारा गड़बड़ी, क्‍या निदान, निदान की रफ्तार...
स्‍पीड की राह में मोदीनगर का ब्रेकर
आप भौचक रह जाएंगे जब चौड़ी सड़क वाले इस उपनगर में लगा देखेंगे भीषण जाम। बेमकसद, बेमतलब वजहों से यह इलाका कई किलोमीटर तक हमेशा जाम की चपेट में रहता है। कहीं से कोई ट्रैक्‍टर या आटो वाला उल्‍टी दिशा में भागा जा रहा है तो कहीं अवैध कट पर कोई वाहन मुड़ने का प्रयास कर रहा है। इसके चलते भीषण जाम। इस मार्ग के समानांतर चल रही रेलवे लाइन को जगह-जगह पार करती लिंक सड़कें उस वक्‍त भीषण जाम का सबब बन जाती हैं जब ट्रेन आने पर संबंधित फाटक बंद कर दिए जाते हैं। नतीजा, मुख्‍य मार्ग व रेलवे फाटक के लगभग दो - तीन सौ मीटर में भरते-भरते जाम का दानव मुख्‍य मार्ग को भी बुरी तरह घेर लेता है।
सीवेज, ट्रीटमेंट प्लांट
जल निगम और नगर पालिका ने इस उपनगर को गंदे पानी से निजात दिलाने के लिए एक बहुविकल्‍पीय वृहद योजना तैयार की है। आगामी 30 वर्ष को ध्‍यान में रखकर 500 करोड़ रुपये से क्रियान्वित हो रही यह योजना 30 माह में पूरी होगी। काम फरवरी 2019 से शुरू हुआ है, अगस्त 2021 तक पूरा करना है। अब इसके चलते इस उपनगर में जगह-जगह सड़क किनारे खोदाई की जा रही है। बेशक, खोदाई का तरीका व्‍यवस्थित व काम करने का तरीका वैज्ञानिक है मगर इससे सड़क की चौड़ाई स्‍वाभाविक रूप से प्रभावित हो गई है जो जाम की दूसरी वजह है।
''अभी अत्याधुनिक मशीन से 800 एमएम मोटाई वाली ट्रंक लाइन डाली जा रही है, तीन चरणों वाले काम का यह पहला चरण है। हम ध्‍यान रख रहे हैं कि किसी को दिक्‍कत न हो''
- अनुज कौशिक, ईओ, मोदीनगर नगर पालिका
''यह योजना बढ़ती आबादी के मद्देनजर आगामी 30 वर्ष को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हम पूरा ध्‍यान रख रहे हैं कि इस काम के किसी चरण में कोई दिक्‍कत न हो''
- सरोज शर्मा, मोदीनगर नगर पालिका चेयरमैन
मुरादनगर-गंगनहर पुल के पास जाम अभी झेलें छह माह 
मेरठ-दिल्‍ली रूट पर सफर के दौरान आपको झिलमिल नाम के दर्जनाधिक होटल, ढाबे, रेस्‍त्रां मिलेंगे। जब आप मोदीनगर से आगे बढ़ते हैं तब गंगनहर के कुछ पहले झिलमिल नाम के एक ऐसे ही होटल के ठीक सामने का कट इस मार्ग पर लगने वाले भीषणतम जाम की सबसे बड़ी वजह है। यहां मानक के अनुरूप बेहद चौड़ा यू-टर्न पैसेज बनाने की जरूरत है। आपको आश्‍चर्य होगा कि झिलमिल ढाबे के पास एक, और राज चौराहे के पास बैक-टू-बैक दो यू-टर्न बनाए जाने हैं। यह काम स्‍वीकृत भी हुआ, अप्रैल 2019 में ही इसे खत्‍म हो जाना था, अप्रैल समाप्‍त हो गया लेकिन काम शुरू ही नहीं हुआ। वजह, वन विभाग से पेड़ काटने की अनुमति नहीं मिली। अब नए प्रयास शुरू हुए लिहाजा भरोसा दिलाया गया है कि यह काम हो जाएगा ...हालांकि छह माह लगेंगे। तब तक झेलते रहिए भीषण जाम।
''वन निगम ने पेड़ काटने की अनुमति दे दी है। पेड़ कटने भी लगे हैं। भरोसा रखिए, छह माह में प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
- कंचन वर्मा, वी.सी., गाजियाबाद विकास प्राधिकरण
''झिलमिल ढाबा और राजनगर चौराहे के पास यू-टर्न स्वीकृत हैं। राजनगर एक्सटेंशन चौराहे पर फ्लाईओवर निर्माण पूर्ण होने तक यातायात सुचारू रखने के लिए हमने यू टर्न बनाया है। मुरादनगर गंगनहर पुल पर झिलमिल ढ़ाबा के सामने यू टर्न गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अपनी निधि से बनाया जाना है। बिजली के पोल व तार भी शिफ्ट करने हैं। बहुत जल्‍द यह काम पूर्ण कर लिया जाएगा''
- मनीष वर्मा, एक्‍सईएन, पीडब्ल्यूडी गाजियाबाद
ध्‍वस्‍त डिवाइडर, बनेंगे मेट्रो के पिलर
परतापुर मेरठ से दिल्‍ली के बीच डिवाइडर पूरी तरह ध्‍वस्‍त हो चुके हैं, कहीं-कहीं तो निशान भी नहीं मिलते डिवाइडर के। दर्जनाधिक जगहों से बाइक, कारें और ट्रैक्‍टर डिवाइडर के अवशेषों को फांदते हुए विपरीत लेन में जाने का प्रयास करते दिख जाते हैं। अवैध कट के बीच ध्‍वस्‍त हो चुकी डिवाइडर व्‍यवस्‍था ने जाम के लिए पूरा माहौल बना रखा है। बताया जा रहा है कि अब इन डिवाइडरों को तोड़कर रैपिड रेल व मेट्रो के लिए पिलर बनाए जाएंगे। तब तक इस समस्‍या से जूझते रहना होगा ...अर्थात 2024 तक। 

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